स्थानीय प्रशासन साधे हुए है चुप्पी
खलारी। एक तरफ राज्य के मुख्यमंत्री प्रकृति से हो रहे छेड़छाड़ के दुष्प्रभाव एवं वृक्ष लगाने की बात कर रहे हैं वहीं उन्हीं के राज्य में जिम्मेदार अधिकारियों के मिली भगत से प्रकृति का दोहन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री खुद पर्यावरण में बदलाव का कारण प्रकृति से छेड़छाड़, वृक्षों की कटाई, अवैध खनन आदि चीजों को बता रहे हैं वहीं राज्य में अंधाधुंध उत्खनन, उत्खनन के लिए वनों की कटाई, कई क्षेत्रों में विकास योजनाओं के कार्यान्वन के लिए बिना आदेश के वन संसाधनों का दोहन आदि कार्य सीमा के पार तक किया जा रहा है।
हाल ही में मुख्यमंत्री एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उपस्थित सभी लोगों को एक एक वृक्ष लगाने और उसे संरक्षित करने की बात कह रहे हैं और इधर पूरा का पूरा जंगल ही उजाड़ दिया जा रहा है। इसकी रोक थाम करने वाले अधिकारी मूक दर्शक बने बैठे हैं और होने वाली कमाई में अपना हिस्सा तै करने में लगे हैं।
जबकि एक बड़े क्षेत्रफल में तकरीबन 50 फिट से भी ज्यादा गहराई और कई एकड़ चौड़ाई तक स्लरी ( स्टोन डस्ट ) का खनन अब तक किया जा चुका है और यह लगातार जारी है। इस कार्य के लिए एक बड़े क्षेत्रफल का वन अबतक उजाड़ा जा चुका है और आगे ऐसे ही बहुत बड़े क्षेत्रफल का वन उजाड़ कर स्लरी खनन करने की योजना है।
हम बात कर रहे हैं खलारी प्रखंड के जी टाइप में खलारी सिमेंट फैक्ट्री के द्वारा कई दशकों से डंप कर जमा किये गए स्लरी की। बहुत बड़े भू-भाग में कई दशकों से स्लरी डंप कर जमा किये जाने वाले इस क्षेत्र में कालांतर में घने पेड़ पौधे उग जाने से यह क्षेत्र वन जंगल का रूप अख्तियार कर चुका है और अब उसी वन के पेड़ पौधों को उजाड़ कर स्लरी ( स्टोन डस्ट ) का अवैध उत्खनन कर वन को उजाड़ा जा रहा है। और अवैध खनन किये स्लरी को ईट निर्माण के लिए आसपास के ईट भट्ठों में, खाली जमीनों एवं रास्तों के भरावट के लिए, यहां तक की राँची या राँची के आसपास बन रहे फ्लैट मकानों में भरावट के लिए टर्बो एवं ट्रेक्टर से भिजवाया जा रहा है।
इस कार्य मे स्थानीय युवक तो शामिल हैं ही वहीं फैक्ट्री प्रबंधन इसे अपनी सम्पति बताकर और चालान काट कर बेच भी रही है। फैक्ट्री प्रबंधन बकायदा इसके लिए गन मैन व सुरक्षा कर्मी भी तैनात कर रखी है। एक छोर से फैक्ट्री प्रबंधन तो दूसरी छोर से स्थानीय युवक इस अवैध कारोबार के लिए स्लरी का लगातार खनन कर वनों को उजाड़ रहे हैं। वनों के उजड़ने और स्लरी के खनन व ढुलाई से यहाँ का वातावरण को प्रदूषित हो ही रहा है वहीं इसके जद में आने वाले ग्रामों के ग्रामीण बीमारियों का सामना कर रहे हैं।
स्लरी की ढुलाई जिस रास्ते एवं गांवों के बीच से किया जा रहा है वहाँ स्लरी के धूल गर्द से भारी प्रदूषण फैल रहा है। वहीं स्लरी ढुलाई में लगे वाहनों के बेतरतीब परिचालन एवं उनसे गिरने व उड़ने वाले धूल गर्द और स्लरी डस्ट से ग्रामीण परेशान हैं। जबकि जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए है और स्थानीय प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। इधर जानकार ग्रामीणों का कहना है कि इस कार्य में पैसों का खेल है इस लिए जिम्मेदार प्रतिनिधि और स्थानीय प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं।