21.1 C
Ranchi
Friday, November 22, 2024
Advertisement
HomeNational4 फरवरी की एकता महारैली में होगी आदिवासी मुद्दों की बात, आदिवासी...

4 फरवरी की एकता महारैली में होगी आदिवासी मुद्दों की बात, आदिवासी किसी के झांसे में नहीं आएंगे : बंधु तिर्की

बंधु तिर्की ने डीलिस्टिंग रैली पर उठाए कई सवाल…

-डीलिस्टिंग महारैली सिर्फ आरएसएस का फार्मूला लागू करने का प्रयास, जमीन लूटने वालों के खिलाफ क्यों नहीं बोलती भाजपा और उससे जुड़े संगठन

अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद द्वारा संचालित 72 विद्यालयों का अनुदान भाजपा सरकार ने क्यों बन्द किया?

रांची : पूर्व मंत्री एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि 4 फरवरी 2024 को राजधानी रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में आयोजित आदिवासी एकता महारैली में केवल आदिवासी मुद्दों की बात होगी और उनसे जुड़े ज्वलंत मुद्दों के समाधान के लिए स्पष्ट रास्ता तैयार किया जायेगा. तीन-चार महीने के बाद लोकसभा चुनाव है और उसके बाद 2024 में ही विधानसभा चुनाव है. इसे देखते हुए भाजपा और उसके मुखौटे संगठन, आरएसएस, वनवासी कल्याण केन्द्र, जनजाति सुरक्षा मंच जैसे संगठन सामने आ गये हैं. उन्होंने कहा कि तीन दिन पहले आयोजित डीलिस्टिंग रैली केवल चुनाव के मद्देनज़र आदिवासियों के ध्रुवीकरण का प्रयास है.

‘आदिवासियों की डेमोग्राफी में नकारात्मक बदलाव पर भी रैली में कुछ नहीं कहना दुर्भाग्यपूर्ण’

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है और वे विस्थापन, शोषण और पलायन का शिकार हो रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि उन्हीं आदिवासियों के नाम पर झारखण्ड का गठन किया गया था. श्री तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की शैक्षणिक और रोजगार की स्थिति पर भी डीलिस्टिंग रैली में ख़ामोशी रही और उन नेताओं ने यह भी नहीं बताया कि अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद द्वारा संचालित 72 विद्यालयों का अनुदान भाजपा सरकार ने क्यों बन्द किया? श्री तिर्की ने कहा कि भाजपा केवल पाकुड़ और जामताड़ा की डेमोग्राफी में बदलाव की चर्चा करने की, बजाय व्यापक परिप्रेक्ष्य में पूरे राज्य की बात होनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि डीलिस्टिंग की मांग करनेवाले लोगों को यह भी बताना चाहिए कि राजधानी रांची में ही चडरी, करमटोली, हातमा, हेहल, बनहोरा, पूरनकी रांची, हेसल, कमड़े जैसे क्षेत्रों में भी आदिवासियों की ज़मीन व्यापक पैमाने पर कैसे और किनके द्वारा लूटी जा रही है और वैसे लोगों के विरुद्ध रैली में एक शब्द भी क्यों नहीं बोला गया? श्री तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की डेमोग्राफी में नकारात्मक बदलाव पर भी रैली में कुछ नहीं कहना दुर्भाग्यपूर्ण है.

रैली में आरएसएस विचारधारा वाले संगठनों को छोड़कर सभी आदिवासी संगठनों को बुलाया जायेगा : लक्ष्मी नारायण मुंडा

श्री तिर्की ने कहा कि उन्होंने अपने पिछले संवाददाता सम्मेलन में दस्तावेजों के साथ 25-30 वैसे मामले की चर्चा की थी, जहां जमीन लूटने वाले वास्तव में भाजपा से जुड़े नेता ही है या वैसे लोगों के साथ सहानुभूति रखते हैं. श्री तिर्की ने कहा कि डीलिस्टिंग रैली केवल आदिवासियों में फूट डालने का प्रयास है और झारखण्ड के आदिवासी इस नीयत को कभी भी सफल नहीं होने देंगे. इस अवसर पर बोलते हुए आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के पूर्व अध्यक्ष पी.सी. मुर्मू ने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार धारा 25 में अपनी इच्छानुसार धर्म को अपनाने का अधिकार है और उसपर सवाल खड़ा करना बिल्कुल गलत है. संवाददाता सम्मेलन में आदिवासी चिंतक लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि अगले 4 फरवरी को पूरे झारखण्ड के आदिवासी आदिवासी एकता महारैली में भाग लेंगे और यह ऐतिहासिक अवसर होगा जब, रैली में आरएसएस विचारधारा वाले संगठनों को छोड़कर सभी आदिवासी संगठनों को बुलाया जायेगा जिसमें आदिवासियों की एकजुटता और उनकी मांग मुखरता से उठायी जायेगी. सम्मेलन में शिवा कच्छप भी उपस्थित थे.

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments