रांचीः कथित अवैध बालू खनन, जबरन वसूली और अन्य अपराधों को लेकर दर्ज कई प्राथमिकियों के आधार पर बड़ाकागांव की कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद के विभिन्न ठिकानों पर मंगलवार को ईडी ने छापा मारा। ईडी की दबिश के बीच अंबा प्रसाद अपने घर की खिड़की आकर ‘विक्ट्री’ साइन का इशारा और थंब दिखाते इसे अपनी जीत बताई। वहीं इस छापामारी के बाद अंबा प्रसाद के करीबियों के बीच खदबदाहट है. अंबा प्रसाद के नए आवास में भी ईडी ने छापा मारा. उनके आवास के ठीक पीछे रहनेवाले अंबा प्रसाद के कई करीबियों के ठिकाने पर भी छापेमारी की गई है.
राजनीति अब गंदी हो गई है : निर्मला देवी
मिली जानकारी के अनुसार ईडी की छापेमारी की जानकारी मिलने के बाद हजारीबाग स्थित अपने घर पहुंची अंबा प्रसाद की मां और पूर्व विधायक निर्मला देवी रोने लगी। निर्मला देवी ने कहा कि राजनीति अब गंदी हो गई है। उन्होंने अपनी बेटी को राजनीति से दूर रहने और चुनाव नहीं लड़ने की भी नसीहत दी. इधर, अंबा प्रसाद ने कहा कि उन्हें शुरू से ही राजनीति पसंद नहीं है। इस राजनीति ने पति को पत्नी से और मां को बेटी से दूर कर दिया है. इस राजनीति ने पूरे परिवार को तबाह कर दिया है. 10 साल तक कभी भोपाल तो कभी जेल की यात्रा करनी पड़ी है।
अंबा रांची में, उन्हें हजारीबाग जाने से रोका जा रहा है
दरअसल बड़कागांव से कांग्रेस अंबा प्रसाद के हजारीबाग हुडहुडू स्थित घर में ईडी की छापेमारी के दौरान निर्मला देवी भी पहुंची। उन्होंने बताया कि उनके आवास में इस वक्त कोई नहीं है। पति पूर्व मंत्री योगेंद्र साव दिल्ली में हैं, जबकि बेटी अंबा प्रसाद रांची में है। उन्हें जाने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस छापेमारी का साफ मतलब है कि लोकसभा चुनाव के समय मनोबल तोड़ने के लिए ईडी ने कार्रवाई की है।
आईएएस की तैयारी करनेवाली अंबा कैसे पहुंची राजनीति में…?
बता दें कि अंबा प्रसाद 2019 में बड़कागांव विधानसभा सीट पर पहली बार जीत हासिल कर झारखंड विधानसभा पहुंची है. उन्होंने बड़कागांव विधानसभा सीट से 27 साल की उम्र में चुनाव जीतकर इतिहास बनाया था। उन्होंने आजसू पार्टी के प्रत्याशी रोशनलाल चौधरी को 30,140 वोटों से हराया था। जानकारी के मुताबिक वो दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कर रही थी। लेकिन अचानक माता-पिता को जेल हो जाने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा और राजनीतिक विरासत को संभालने का काम किया। अंबा प्रसाद के पिता योगेंद्र साव साल 2009 में बड़कागांव सीट से विधायक बने। इसके बाद वे वर्ष 2013 में हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री बने, लेकिन नक्सलियों से संबंध होने का आरोप लगने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। बाद में एनटीपीसी प्रोजेक्ट के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन की वजह से उन्हें जेल में रहना पड़ा। योगेंद्र साव के जेल में जाने के बाद उसी विधानसभा सीट से उनकी पत्नी निर्मला देवी ने साल 2014 में चुनाव लड़ी, जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई। लेकिन 2016 में हुए गोलीकांड के बाद उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया था।