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Friday, September 20, 2024
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लावारिस पागल कुत्ते ने , गाय को काटा , गाय ने गर्भवती महिला को काटा, 3 माह के बच्चे की हुई मौत।

प्राथमिक उपचार के बाद , बेहतर इलाज के लिए , रांची रिम्स रेफर , उक्त महिला अपने जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रही है , स्थिति काफी गंभीर ।

लोगों के आर्थिक सहयोग से अनिमा एक्का को रांची रिम्स ले जाया गया है ।
गुमला – गुमला जिले में समय समय पर , लावारिस पागल कुत्तों ने काटने से , पिछले दिनो जिला मुख्यालय गुमला में , एक व्यक्ति और एक नन्दी ( बैल ) की मौत गुमला जिला मुख्यालय में हो चुकी हैं, समय-समय पर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पागल कुत्तों का आतंक और दहशत से लोग काफी डरे हुए और भयभीत हैं , फलस्वरूप लावारिस कुत्तों को दूर से ही देखकर लोग अपने रास्ते बदल लेते हैं , गुमला‌ सदर थाना ( गुमला प्रखंड ) स्थित कसीरा ग्राम निवासी अनिमा एक्का के गाय को रविवार के दिन एक लावारिस , पागल कुत्ते ने काट लिया , तो उसके परिजनों ने देहाती दवा , जड़ी बूटी , खिलाकर लोग निश्चित हो गये, परंतु उसका दुष्प्रभाव यह हुआ कि , सोमवार को उक्त गाय ने देहाती दवा खिलाते अनिमा एक्का की एक उंगली गाय के दांत से कट गई , तो उसके परिजनों ने उक्त बात को हल्के में लेते हुए , अनिमा एक्का को भी , उसके परिजनों ने देहाती जड़ी बूटी , औषधि खिलाकर निश्चित हो गया ,जिसके परिणाम स्वरूप , अनिमा एक्का जो तीन माह की गर्भवती थी और उसके पेट में पाल रहे तीन माह के बच्चे की मौत हो गई, इस वैज्ञानिक युग में भी लोग , अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर , अपनी लापरवाही और सरकारी अस्पताल के प्रति यह धारणा लोगों के जेहन में घर कर गई है कि सरकारी अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में दवा नहीं मिलता है , और डॉक्टरों द्वारा अधिक दामों की दवा लिख दिए जाते हैं अपने कमीशन के लिए तो कहां से मिलेगा इलाज और दवा मिलता है सिर्फ डॉक्टर का लिखा हुआ अधिक दवा और अधिक दामों का पर्ची और तो और डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा रोगियों और उसके परिजनों के साथ करते हैं दुर्व्यवहार , यही कारण है कि लोग सरकारी अस्पतालों में जाने के लिए 100 बार सोचते हैं , और निजी क्लिनिको द्वारा बीमारी के नाम पर तरह-तरह के टेस्ट, विभिन्न आकार प्रकार के कोस्टली महंगी दवाइयों के नाम पर खुला खेल फर्रुखाबादी खेला जा रहा है , लूट की छूट बची हुई है , फिर भी कोई नहीं है देखन हारा , रोगियों और उनके अभिभावकों से आप बीती कहानी सुनकर और क्षुब्द होकर , लोग मजबूरी में , देहाती औषधियों (दवा ) में दशकों से ज्यादा विश्वास करते हैं लोग, और अपनी ही जान को जोखिम में डाल लेते हैं और अपनी जान के दुश्मन बन जाते हैं ,,, ?? प्रश्न उठता है कि दोषी कौन , बाद में अनिमा एक्का को पैसे के भाव में ही गुमला सदर अस्पताल लाया गया , जहां डॉक्टरों ने अनिमा एक्का को प्राथमिक उपचार के बाद उसे, बेहतर इलाज के लिए रांची रिम्स रेफर किया गया हैं, उसके मृत बच्चे की प्रसव के बाद उसके शरीर से रक्तस्राव बंद नहीं होने के कारण अनिमा एक्का को काफी गंभीर स्थिति में उसे बेहतर इलाज के लिये, रांची रिम्स रेफर किया दिया हैं , अनिमा एक्का अपने जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रही हैं और लोगों के आर्थिक सहयोग से उसे रांची रिम्स ले जाया गया है।

न्यूज़ – गनपत लाल चौरसिया 

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