तिसरी (गिरिडीह) : तिसरी प्रखंड के खिरोध गांव की नदी में आजादी के बाद से अब तक पुल नहीं बनने से आक्रोशित ग्रामीणों ने लोकतंत्र के महापर्व मतदान का बहिष्कार करने की बात कही है. कहा गया है कि चुनाव के समय सभी दल के उम्मीदवार और उनके समर्थक वोट मांगते समय नदी में पुल बनाने का वादा करके जीतने के बाद भूल जाते हैं। ग्रामीणों ने शनिवार को सांसद-विधायक सहित जनप्रतिनिधि के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कहा कि स्थानीय विधायक बाबूलाल मरांडी, माले के पूर्व विधायक राजकुमार यादव, गुरुसहाय महतो सहित कई नेता गांव आने पर नदी में पुल बनाने की अपील की गई है। लेकिन नदी में पुल नहीं बनने से खिरोध गांव के लोग टापू की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। बच्चों की पढ़ाई बरसात के समय बाधित हो जाती है।
सैकड़ों लोग पैदल मार्च कर खिरोध नदी तट पर पहुंचे
खिरोध गांव से सैकड़ों महिला-पुरुष, युवाओं और बच्चों ने पुल निर्माण की मांग को लेकर पैदल मार्च कर खिरोध नदी तट पहुंचे। ग्रामीण बुजुर्ग कुवर यादव ने कहा कि राज्य बनने के पूर्व गुरु सहाय महतो विधायक थे, उस समय उनको घर जाकर गांव के दस लोग खिरोध नदी में पुल बनवाने की अपील की। जब-जब मतदान करने का समय आया विधायक बड़े-बड़े नेता और जनप्रतिनिधि पहुंचे. सभी से इस समस्या के निदान की मांग की। उनलोगों द्वारा वोट लेने के लिए नदी में पुल बनवाने का वादा किया. इसके बाद चुप्पी साध ली। इसलिए इस बार हमलोगों ने मतदान किसी के पक्ष में नहीं करने का संकल्प लिया है. खेमलाल पंडित ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने हेतु बच्चों को जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल-कॉलेज जाते हैं। यदि कोई बीमार पड़ गया तो खटिया पर उठाकर ले जाना पड़ता है। झारखंड राज्य अलग होने के 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी खिरोध गांव के लोग को एक पुल के लिए तरस रहे हैं। मौके पर गांव के खेमलाल पंडित, पुष्पा देवी, पूजा देवी, यशोदा देवी, मुंद्रिका यादव, खिरोधर यादव सहित सैकड़ों लोग शामिल थे।