गुमला – गुमला जिले के घाघरा थाना क्षेत्र में, आजादी के 75 साल बाद भी अंधविश्वास का जाल मजबूत है। लोग तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, टोटका और गंडा-ताबीज पर विश्वास करते हैं।
हाल ही में, एक युवती अंजनी कुमार, जो पेट दर्द और बुखार जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित थी। उसके परिवार ने झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र के चक्कर में समय और पैसा बर्बाद किया। जब स्थिति और बिगड़ गई, तो जागरूक लोगों के कहने पर उसे गुमला सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां अब उसका इलाज हो रहा है।
शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, संबंधित विभाग और एनजीओ जनता और सरकार के पैसे पर अपनी डफली बजाते हुए दावा करते हैं कि पूरे गुमला जिले के लोगों को जागरूक कर दिया गया है। लेकिन इस घटना ने इन जागरूकता अभियानों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
अंधविश्वास के चंगुल में फंसे लोग: जागरूकता अभियानों की असफलता?
गुमला जिले में तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक के चक्कर में फंसे लोग आज भी जागरूकता अभियानों की असफलता को उजागर कर रहे हैं। अंजनी कुमार की घटना इस बात का प्रमाण है कि अंधविश्वास का अंधेरा अभी भी कायम है।
गुमला जिले के लोगों को जागरूक करने के प्रयासों के बावजूद, अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई में अभी भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। संबंधित विभागों और एनजीओ को इस दिशा में और भी गंभीरता से काम करने की जरूरत है।
इस समय, सबसे बड़ी जिम्मेदारी शिक्षा और स्वास्थ्य विभागों की है कि वे लोगों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करें और अंधविश्वास के खिलाफ सख्त कदम उठाएं। जागरूकता अभियानों को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है ताकि कोई भी व्यक्ति फिर से इस तरह की स्थिति में न फंसे।
न्यूज़ सोर्स – गनपत लाल चौरसिया।
Edited by – Sanjana Kumari.