रांची : भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की ऊर्जा की बैट्री पूरी तरह से डिस्चार्ज हो गयी है, इसलिए उन्हें अब रिचार्ज होने के लिए झारखंड आना पड़ रहा है। दरअसल, भाजपा के कुछ नेताओं की वैलिडिटी खत्म हो गयी है. झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने मंगलवार को पीसी में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि झारखंड में विधानसभा के चुनाव जल्दी ही होनेवाले हैं और हमको लगता है कि झारखंड अब पॉवर हब बन चुका है। झारखंड दौरे पर आये असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा पर उन्होंने निशाना साधा। सरमा ने कहा है कि वे झारखंड में रिचार्ज होने आये हैं। हाल में हुए उपचुनावों में भाजपा और एनडीए के घटक दलों की हार हुई है। इस हार से भाजपाई तिलमिला उठे हैं.
‘रघुवर के पांच साल के शासन में घुसपैठियों के लिए क्या कार्रवाई हुई?’
सुप्रियो ने कहा कि देश के गृहमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह का भी दौरा 20 तारीख को संभावित है। भाजपा के संवाद माध्यमों से सूचना मिली है कि वे भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को चुनावी टिप्स देंगे। कहा कि झारखंड में अब न टिप्स से काम चलेगा न यहां कोई तिकड़म चलनेवाला है, क्योंकि जनता ये मन बना चुकी है कि अब झारखंड से भाजपा का सफाया करना है। भाजपा शासित राज्यों में मिली हार से पर उन्होंने कहा कहा कि उपचुनाव में भाजपा मात्र 2 सीटों पर सिमट गयी। इसलिए भाजपा के नेता मान चुके हैं कि उनको रिचार्ज होने की जरूरत है। हालांकि झारखंड में उन्हें कुछ हासिल होनेवाला नहीं है. क्योंकि भाजपा नेता सरना धर्मकोड बिल के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे, सिर्फ घुसपैठियों को लेकर बयान देंगे. रघुवर दास ने पूरे पांच साल राज किया, उन्होंने घुसपैठियों के लिए क्या कार्रवाई की? इन सब बातों का जवाब उनके पास नहीं है.
‘कृषि मंत्री एमएसपी का मजाक उड़ा रहे हैं’
उन्होंने कहा कि देश के कई हिस्सों में बाढ़ आयी हुई है। कई राज्यों में सुखाड़ की स्थिति बन रही है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, जो लगातार झारखंड के दौरा कर रहे हैं। इसका मतलब है कि किसान, बाढ़ और सुखाड़ जैसे मुद्दे इनकी प्राथमिकता में शामिल नहीं हैं। कहा कि कृषि मंत्री से जब एमएसपी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन यहां आकर कृषि मंत्री एमएसपी ढूंढने लगे। कहा यहां पर एमएसपी का मतलब है मतदाताओं का समर्थन पत्र। मतलब साफ है यहां पर भी उनको औऱ राज्यों की तरह एमएसपी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि अब आदिवासी-मूलवासी को छलना आसान नहीं है. इसका जवाब लोकसभा के चुनाव में मिल चुका है. सभी पांचों एसटी सीट हारने के बाद भाजपा सकते में है, लेकिन झारखंड को लेकर उनके पास क्या विजन है, इसपर मंथन नहीं हो रहा है. सिर्फ हवा-हवाई बातों से लोगों को बरगलाना भाजपाइयों का शगल है.