रांची : पूर्व मंत्री एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि डेमोग्राफी के विषय में बात करते समय सभी भाजपा नेताओं को पूरे झारखण्ड के परिप्रेक्ष्य में बात करनी चाहिये. उन्होंने कहा कि सलेक्टिव होकर डेमोग्राफी जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बात करना खतरनाक है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकसभा में सांसद निशिकांत दुबे या फिर झारखण्ड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी केवल संथालपरगना के मामले में ही बातचीत करते हैं. जबकि दक्षिणी छोटानागपुर, उत्तरी छोटानागपुर और कोल्हान के संदर्भ में बातचीत करने के दौरान सभी भाजपा नेता, डेमोग्राफी के बारे में बोलने से परहेज करते हैं. श्री तिर्की ने कहा कि रांची के साथ ही जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो एवं अन्य नगरों और अब तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी आदिवासियों की संख्या तेजी से कम होती जा रही है. आदिवासी, जमीन लूट का शिकार हो रहे हैं जिसके कारण आदिवासियों को विस्थापन और पलायन का सामना करना पड़ रहा है.
भाजपा बताए…रांची में सबसे ज़्यादा ज़मीन किसने लूटी? सीएनटी-एसपीटी एक्ट की धज्जियां किसने उड़ायीं…?
उन्होंने कहा कि विशेष रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश से आये लोग आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं और इसमें वे सीएनटी और एसपीटी एक्ट की धज्जियां उड़ाने से भी बाज नहीं आते हैं. उन्होंने कहा कि श्री मरांडी एवं अन्य भाजपा नेताओं को यह भी बताना चाहिये कि राजधानी रांची में सबसे ज़्यादा ज़मीन किसने लूटी? श्री तिर्की ने कहा कि झारखण्ड की बात करते समय भाजपा नेताओं को हमेशा यह गौर करना चाहिये कि उनके अनेक वक्तव्यों से आदिवासियों के मन में उनके प्रति गुस्सा, नाराजगी और तकलीफ है क्योंकि भाजपा नेताओं द्वारा जमीनी मुद्दों की तो बात नहीं होती. श्री तिर्की ने कहा कि भाजपा नेताओं को अपनी अंतरात्मा में झांकना चाहिये और झारखण्ड और यहां के आदिवासियों के हित को प्राथमिकता देते हुए बात करनी चाहिये न कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के पीछे भागना चाहिये. इससे आदिवासी समुदाय भाजपा को कोई सरोकार नहीं है.