गुमला जिला के नेशनल हाईवे 23 और नगर परिषद की सड़कें बदहाल
गुमला – गुमला जिला के नेशनल हाईवे 23 और नगर परिषद की सड़कों की स्थिति बेहद खराब है। जिले से होकर झारखंड बॉर्डर से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मुंबई, और उड़ीसा जाने वाले हजारों वाहन प्रतिदिन गुजरते हैं। बावजूद इसके, सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढे हैं और उनमें बरसात का पानी भरा रहता है। इस कारण दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे प्रतिदिन दो-तीन लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।
दुर्घटनाओं का कारण और प्रशासन की लापरवाही
सड़कें इतनी खराब हैं कि गड्ढों में सड़क होने का भ्रम होता है। गड्ढों में भरे बरसात के पानी के कारण वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं। आम जनता सवाल उठाती है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है – केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय संबंधित विभाग या स्थानीय प्रशासन?
राजनीतिक आश्वासन और हकीकत
चुनाव के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता आश्वासन देते हैं कि गुमला को रेलवे लाइन से जोड़ा जाएगा और नेशनल हाईवे फोर लाइन से गुमला जिला मुख्यालय को जोड़ने का वादा करते हैं। लेकिन चुनाव के बाद ये आश्वासन सिर्फ कागजी रह जाते हैं। नेशनल हाईवे 23 का निर्माण बरसों से अधूरा पड़ा है।
नगर परिषद की उपेक्षा और सफाई की समस्या
गुमला नगर परिषद का चुनाव नहीं होने के कारण नगर परिषद अनाथ महसूस कर रही है। चुनाव के बाद जीते हुए प्रतिनिधि सिर्फ अपना विकास करते हैं और नगर का विकास ठप पड़ा रहता है। जगह-जगह कूड़े के अंबार नजर आते हैं और नालियां महीनों से साफ नहीं होतीं। बरसात के पानी के कारण सड़कों पर जलजमाव हो जाता है और रात में अंधेरा छा जाता है।
जिला पुलिस कप्तान के कार्यालय की भी यही स्थिति
गुमला जिला पुलिस कप्तान शंभू कुमार सिंह के कार्यालय जाने वाले रास्ते और मुख्य द्वार की सड़कें भी बेहद खराब हैं। इन सड़कों पर भी जलजमाव और गड्ढों की स्थिति वैसी ही है जैसे नगर परिषद गुमला की अन्य सड़कों की।
News – गनपत लाल चौरसिया