गुमला – एम्स ऋषिकेश में फैमिली मेडिसिन और प्राइमरी केयर का छठा राष्ट्रीय सम्मेलन मिर्गी के उपचार को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल कर रहा है। इस सम्मेलन के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में मिर्गी से संबंधित प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला (टीओटी) का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को मिर्गी के रोकथाम के लिए आवश्यक कौशल सिखाए जा रहे हैं, जिससे वे मिर्गी के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान, रोगियों को इलाज जारी रखने के लिए परामर्श, और मिर्गी के प्रति जागरूकता फैलाने का काम बेहतर ढंग से कर सकें। इस पहल से स्वास्थ्य कर्मियों को सामुदायिक स्तर पर मिर्गी का प्रभावी प्रबंधन करने में सहायता मिलेगी, जिससे मिर्गी के उपचार तक पहुँच को आसान बनाया जा सकेगा और इस रोग से जुड़े कलंक को भी कम किया जा सकेगा।
“आशा: मिर्गी और अंधविश्वास से लड़ाई” परियोजना का विस्तार
इसके साथ ही, एम्स ऋषिकेश ने जिला अधिकारियों को नीति आयोग द्वारा वित्त पोषित “आशा: मिर्गी और अंधविश्वास से लड़ाई” परियोजना पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया। इस परियोजना का उद्देश्य वर्तमान स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में मौजूद कमियों को दूर करना है। इसके तहत मुफ्त चिकित्सा शिविरों के माध्यम से विशेषज्ञ न्यूरोलॉजिकल परामर्श, आवश्यक दवाओं की उपलब्धता और प्रमुख अस्पतालों में इलाज की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
“आशा” परियोजना के माध्यम से मिर्गी के रोगियों पर होने वाले वित्तीय बोझ को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे इलाज के परिणामों में सुधार हो सके। इस परियोजना का लक्ष्य मिर्गी से पीड़ित लोगों की सहायता करना और इस रोग के प्रति जागरूकता फैलाना है, विशेषकर वंचित क्षेत्रों में, जहां चिकित्सा सेवाओं की पहुँच सीमित होती है।
विश्व मिर्गी दिवस पर डी.सी. गुमला द्वारा “आशा” परियोजना का शुभारंभ
“आशा: मिर्गी और अंधविश्वास से लड़ाई” परियोजना का शुभारंभ 9 फरवरी 2024 को विश्व मिर्गी दिवस के अवसर पर डी.सी. गुमला द्वारा किया गया था। इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य मिर्गी के उपचार को सुलभ बनाना, अंधविश्वासों को दूर करना और मिर्गी से ग्रसित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। परियोजना विशेष रूप से उन क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित करती है जहां मिर्गी से जुड़े अंधविश्वास अधिक प्रचलित हैं और जहां चिकित्सा सेवाओं की सीमित पहुंच है।
इस पहल से न केवल मिर्गी के उपचार में सुधार होगा, बल्कि मिर्गी से जुड़े सामाजिक कलंक को समाप्त करने में भी मदद मिलेगी।
एम्स ऋषिकेश द्वारा मिर्गी के उपचार को बढ़ावा देने के इस प्रयास से मिर्गी के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने और इससे पीड़ित व्यक्तियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। यह कदम मिर्गी के उपचार और इसके प्रति समाज में फैले अंधविश्वास को समाप्त करने में एक महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा।
न्यूज़ – गनपत लाल चौरसिया