गुमला – AIIMS ऋषिकेश द्वारा 28 और 29 सितंबर को आयोजित होने वाले परिवार चिकित्सा एवं प्राथमिक देखभाल पर छठे राष्ट्रीय सम्मेलन में गुमला जिले में संचालित “प्रोजेक्ट आशा” (फाइट अगेंस्ट एपिलेप्सी) पर विशेष चर्चा की जाएगी। इस कार्यक्रम में गुमला जिले से स्वास्थ्य विभाग के सात अधिकारी और डॉक्टर आमंत्रित किए गए हैं, जिनमें सीएचओ रेशमा कुमारी, अल्का रानी तिग्गा, नीतू तिर्की, बिराजिनी महापात्रा, डॉ. मोनिका बाला (एचएसटीएफ गुमला), डीपीएम एनएचएम जया रेशमा और डीपीसी आयुष्मान डॉ. प्रियंका कश्यप शामिल हैं।
प्रोजेक्ट आशा की राष्ट्रीय पहचान
AIIMS ऋषिकेश द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर से स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रमुख परियोजनाओं पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। विभिन्न प्रदेशों और जिलों में संचालित स्वास्थ्य योजनाओं और परियोजनाओं पर चर्चा के साथ-साथ, मिर्गी के मरीजों के इलाज और बचाव से संबंधित विशेष वर्कशॉप भी आयोजित की जाएगी। गुमला जिले को इस सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण मिला है, जहां “प्रोजेक्ट आशा” की गतिविधियों पर भी चर्चा की जाएगी। यह प्रोजेक्ट मिर्गी के मरीजों की देखभाल और उपचार के क्षेत्र में एक मिसाल बना है।
गुमला में “प्रोजेक्ट आशा” की सफलताएं
गुमला जिले में पिछले साल प्रारंभ हुए “प्रोजेक्ट आशा” के तहत मिर्गी के मरीजों के लिए कई नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया गया है। इन शिविरों में हजारों मरीजों का निःशुल्क जांच और उपचार किया गया, जिसमें AIIMS, नई दिल्ली के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर ममता भूषण सिंह (एमडी, डीएम न्यूरोलॉजी) और उनकी टीम का अहम योगदान रहा। उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की पहल पर आयोजित इन नियमित शिविरों ने गुमला जिले में मिर्गी से जुड़े अंधविश्वास को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अब मिर्गी के दौरे पड़ने पर लोग झाड़-फूंक और तांत्रिक उपायों का सहारा लेने की बजाय डॉक्टरों से इलाज करवा रहे हैं। यह गुमला जिले के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि प्रोजेक्ट आशा के तहत न केवल मरीजों को नि:शुल्क जांच और चिकित्सा सेवाएं दी जा रही हैं, बल्कि उन्हें आवश्यक दवाएं भी मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके अलावा, जिले के डॉक्टर नियमित रूप से मरीजों से संपर्क बनाए रखते हैं, ताकि उनका उपचार निरंतर जारी रहे।
सम्मेलन में प्रोजेक्ट आशा की भूमिका
AIIMS ऋषिकेश के इस सम्मेलन में प्रोजेक्ट आशा की उपलब्धियों पर विशेष चर्चा होगी, जिससे इस महत्वपूर्ण पहल को राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिलेगी। गुमला जिले के अधिकारी और डॉक्टर इस अवसर का लाभ उठाते हुए अन्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से अनुभव साझा करेंगे और मिर्गी के उपचार के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों से अवगत होंगे।
इस तरह, गुमला जिले में प्रोजेक्ट आशा के माध्यम से मिर्गी के मरीजों के लिए एक नई उम्मीद का संचार हुआ है। इस परियोजना ने न केवल इलाज की सुविधा प्रदान की है, बल्कि मिर्गी से जुड़े अंधविश्वासों को भी समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
न्यूज़ – गनपत लाल चौरसिया