रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री रहे रघुवर दास की पुरानी सीट पर जेडीयू दावा ठोक रही है। वहां से सरयू राय विधायक है और जेडीयू के टिकट पर एक बार फिर से उम्मीदवार बनने की तैयारी में है। ऐसे में उस सीट पर पेच फंसा हुआ है। कई विधायक और संभावित उम्मीदवार ऐसे है जो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रहे है। झारखंड में तेजी से बदलती सियासी हलचल के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा मुख्यमंत्री झारखंड बीजेपी के चुनाव सह प्रभारी ने ओडिशा के राज्यपाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से मुलाकात के बाद जमशेदपुर में दोनों सीटों को लेकर घमासान होने का अनुमान लगाया जा रहा है. झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले इस मुलाकात को राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भुवनेश्वर राजभवन में हुई मुलाकात की तस्वीर को खुद हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर शेयर किया।
हिमंता-रघुवर की मुलाकात के राजनीति मायने…!
हिमंता बिस्वा सरमा के एक्स पर लिखे पोस्ट के बाद जमशेदपुर की राजनीति में उठापटक होना तय माना जा रहा है. राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर इस मुलाकात को देखा जा रहा है। बीजेपी अक्टूबर के पहले हफ्ते में अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करेगा, उससे पहले इस मुलाकात के राजनीति मायने भी निकाले जा रहे है। हिमंता बिस्वा सरमा झारखंड में बीजेपी की ओर से मुख्य रणनीतिकार होने के चलते और चंपाई सोरेन को बीजेपी में शामिल कराने से लेकर गठबंधन तक के फैसलों में उनकी अहम भूमिका रहने से यह माना जा रहा है कि विधानसभा में सभी सीटों पर हिमंता के रघुवर दास से मुलाकात को लेकर जमशेदपुर की राजनीतिक गतिविधियां तेज हो सकती है.
28 सितंबर को हिमंता रांची आएंगे
बताते चलें कि असम के सीएम 28 सितंबर को फिर से झारखंड आ रहे हैं। वो रांची आने के बाद हजारीबाग जाएंगे जहां, दो अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की तैयारियों को लेकर समीक्षा करेंगे। इसके साथ ही वो आजसू पार्टी से लेकर जेडीयू तक से होनेवाले गठबंधन और सीटों के तालमेल पर फैसला लेंगे। इससे पहले रघुवर दास से उनकी मुलाकात को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि भाजपा ने रघुवर दास पूर्वी जमशेदपुर से उम्मीदवार नहीं होंगे. इसके बावजूद हिंमता और रघुवर दास की मुलाकात को एक झटके में खारिज नहीं किया जा सकता है. जमशेदपुर में इस बात को लेकर चर्चा है कि रघुवर दास अगर उम्मीदवार नहीं होंगे तो उनकी बहू को चुनाव लड़ाया जा सकता है.