रांची : पलामू भाजपाई नेताओं के विरोध के बावजूद रांची के भाजपा मुख्यालय में पूर्व एनसीपी विधायक कमलेश कुमार सिंह शुक्रवार की सदस्यता ग्रहण की. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कमलेश सिंह को भाजपा की सदस्यता दिलायी। इस मौके पर कमलेश सिंह के साथ सैंकड़ों समर्थक, उनके पुत्र और परिवार के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे. कमलेश सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके या चुनाव लड़ने का मंसूबा पालने वाले कई भाजपा नेताओं का तीव्र विरोध जारी है. विरोध के बीच झारखंड के सह प्रभारी हिमंता विस्व सरमा ने कहा कि कमलेश सिंह के पार्टी में आने से संगठन को मजबूती मिलेगी। कमलेश सिंह ने कहा कि कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग करके भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया गया था। कमलेश सिंह के भाजपा में आने की खबर जैसे ही फैली, उनके घुर विरोधी भाजपा नेता ज्योतिरीश्वर सिंह और उनके करीबी भाजपाई काफी मुखर हो गये हैं।
विरोधी खेमा कमलेश के खिलाफ कर सकते हैं भितरघात
श्री सिंह अपने आवास के एक कमरे में भाजपा नेता और पूर्व प्रत्याशी विनोद सिंह, प्रफुल्ल सिंह, कामेश्वर कुशवाहा, रवीन्द्र सिंह आदि जमा हुए और कहा कि वे प्रदेश से लेकर केन्द्र तक कमलेश सिंह के भाजपा में शामिल होने के विरोध में अपना विरोध दर्ज करायेंगे। एक दिन पूर्व हुसैनाबाद में एक बैठक भी आयोजित की गयी जिसमें कहा गया कि कमलेश सिंह के भाजपा में शामिल होने पर सैंकड़ों कार्यकर्ता भाजपा छोड़ देंगे। हांलाकि, अंत तक इन नेताओं की नहीं चली और कमलेश सिंह आखिरकार भाजपा के हो ही गए. जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा में शामिल होने के पूर्व ही कमलेश सिंह ने इस विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा से अपना टिकट कंफर्म करवा लिया है. विरोधी खेमा हुसैनाबाद में कमलेश सिंह के पक्ष में रहेंगे या भितरघात करेंगे, ये अभी पता नहीं चल पाया है. वैसे पलामू के कुछ वरीय पत्रकार का मानना है कि हुसैनाबाद ने दलबदलुओं को हमेशा सबक सिखाया है. हुसैनाबाद के मतदाता दलबदलू और गठबंधन प्रत्याशी को कभी जिताकर विधानसभा नहीं भेजा है.
2005 में कमलेश मात्र 35 वोट से जीत पाए थे
कमलेश सिंह पहली बार राकांपा के टिकट पर हुसैनाबाद से विधायक बने थे. 2005 में उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के संजय सिंह यादव को मात्र 35 वोटों से हराकर विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद भ्रष्टाचार के बड़े मामले में फंसने के बाद 2009 में 12.8% वोट लेकर वे चौथे स्थान पर रहे थे। 2014 में 19.8% वोट लेकर वे दूसरे नंबर पर रहे। इस बार, यानी 2019 में 25.2% वोट लेकर उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की। इस बार एंटी इंकमबैंसी फैक्टर होने के बावजूद भाजपा का कोर-कैडर वोट अगर उनके साथ प्लस हो गया तो, हुसैनाबाद की सीट भाजपा की झोली में जा सकती है. दरअसल, राकांपा का इस इलाके में कभी जनाधार नहीं रहा. यहां उम्मीदवार अपने धन-बल से सहारे और अपनी व्यक्तिगत की वजह से ही चुनाव जीत पाते हैं.