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Thursday, November 21, 2024
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झारखंड के राजनीतिक क्षितिज पर छा गए हैं दो ध्रुवतारेे…’कल्पना’ की ऊंची उड़ान और जयराम के तेवर से विपक्षी खेमे में खदबदाहट 

कल्पना सोरेन इकलौती महिला, जिसने झारखंड की राजनीति को ‘नया आयाम’ दिया, अपने पति सीएम हेमंत सोरेन से निकली आगे…यानी ‘कल्पना’ की ऊंची  उड़ान, पार्टी के लिए बन गया वरदान.

जयराम के धुर विरोधी भी मानते हैं युवाओं में है उनका गजब का क्रेज, राजनीतिक दलों के वोटों में जबर्दस्त सेंधमारी के आसार…क्या राजनीतिक दल चाहते हैं जयराम से गुपचुप समझौता…?

नारायण विश्वकर्मा

रांची : झारखंड में विधानसभा चुनाव पूर्व बहुचर्चित दो नाम राजनीतिक क्षितिज पर छाए हुए हैं. इन दो नामों को लेकर भाजपा-आजसू और जदयू के दिग्गज नेताओं में खलबली है. इनमें झारखंड लोकतांत्रिक क्रांति मोर्चा के सुप्रीमो जयराम महतो और झारखंड मुक्ति मोर्चा की गांडेय विधायक कल्पना सोरेन के नाम शामिल हैं. ये दोनों क्षितिक्ष के ध्रु्वतारे साबित हुए हैं. झारखंड की राजनीति में अपने एग्रेशन और अपनी बेबाकी से लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं. वहीं कल्पना सोरेन अपनी ऊंची उड़ान से सत्तापक्ष-विपक्ष में अपना विशेष स्थान बना लिया है. मात्र साल भर में इतनी जल्दी कोई महिला नेत्री झारखंड में अबतक अपने आकर्षक व्यक्तित्व और वाकपटुता के जरिए राजनीति तेजी से उड़ान नहीं भर पाई है. झारखंड की आधी आबादी में कल्पना सोरेन इकलौती महिला हैं, जिसने झारखंड की राजनीति में नया इतिहास अपने नाम कर लिया है. उनकी प्रशंसा में लोग कहने लगे हैं कि अपने पति सीएम हेमंत सोरेन से भी कल्पना सोरेन बहुत जल्द बहुत आगे निकल चुकी हैं. कल्पना सोरेन के कारण झामुमो को विधानसभा चुनाव में राजनीतिक माइलेज मिलना तय है. राजनीति में इतनी जल्दी मुकाम हासिल करना कोई मामूली बात नहीं है.

‘कल्पना’ की उड़ान पार्टी के लिए वरदान

जयराम महतो और कल्पना सोरेन में एक चीज कॉमन है कि दोनों भीड़ खींचने में माहिर माने जा रहे हैं. विधानसभा चुनाव में इसका जबर्दस्त प्रभाव देखने को मिलेगा और इसका चुनाव के नतीजों पर भी असर डालेगा. कल्पना सोरेन का राजनीति में आना महज एक संयोग है. अगर हेमंत सोरेन जेल नहीं जाते तो, कल्पना के कदम संभवत: राजनीति में नहीं पड़ते. हेमंत के जेल में रहने के बावजूद कल्पना ने घर और पार्टी को बखूबी संभाला. कल्पना अपनी पार्टी की खेवनहार बनकर सबके सामने आयी. कल्पना ने ‘कल्पना’ को मूर्त रूप देकर रांची से लेकर दिल्ली तक के सफर में राजनीतिक धुरंधरों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रही. इसलिए मैंने पूर्व में अपने एक लेख में हेडिंग बनाया था…”हेमंत का जेल जाना झामुमो के लिए वरदान बना…!”  गांडेय से उपचुनाव जीतने के बाद लोकसभा चुनाव में झामुमो ने दुमका, राजमहल और चाईबासा की सीटों पर परचम लहराया. अब तो हालात ये हैं कि विधानसभा चुनाव में कल्पना के बिना चुनावी कैंपेन अधूरा रहेगा. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विधानसभा चुनाव में झामुमो को 20-22 सीट आने की संभावना बनी हुई थी, लेकिन कल्पना के बल पर पार्टी को 30-35 मिल सकती है. क्योंकि जानकारों का मानना है कि कांग्रेस इस बार 2019 की तरह 16-17 के बदले, इस बार 8-10 सीट ही हासिल कर पाएगी.

सत्तापक्ष-विपक्ष के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं जयराम

झारखंड लोकतांत्रिक क्रांति मोर्चा के सुप्रीमो जयराम महतो राजनीति में एक अलग तरह की राजनीतिक ट्रेंड स्थापित करते नजर आ रहे हैं. भीड़ खींचने में माहिर जयराम महतो सत्तापक्ष और विपक्ष के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. जयराम की पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए नवरात्र के पूर्व 6 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी. पार्टी प्रमुख जयराम महतो डुमरी विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे। पार्टी ने जमुआ से रोहित कुमार दास, राजमहल से मोती सरकार, तमाड़ से दमंयती मुंडा, छतरपुर से प्रीति राज और सरायकेला से प्रेम मार्डी को उम्मीदवार बनाया है। डुमरी विधानसभा क्षेत्र से स्वयं चुनाव लड़ने का एलान कर जयराम ने डुमरी की झामुमो विधायक और सरकार में मंत्री बेबी देवी को बड़ी चुनौती दे डाली है. गिरिडीह लोकसभा चुनाव के दौरान जयराम महतो को डुमरी क्षेत्र से करीब 90 हजार मतों से बढ़त मिली थी। इसीलिए जयराम महतो ने यहां से चुनाव लड़ने का फैसला कर झामुमो के रणनीतिकारों को परेशानी में डाल दिया है. पिछले दिनों जयराम ने दो सीटों से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर किया है. गोमिया से भी जयराम महतो को बढ़त मिली थी। इसलिए संभव है कि वह गोमिया से भी चुनाव लड़ें. डुमरी क्षेत्र झामुमो का गढ़ है। दिवंगत जगरनाथ महतो के कारण यहां झामुमो मजबूत है। जगरनाथ महतो के निधन के बाद हुए उपचुनाव में बेबी देवी ने आजसू उम्मीदवार यशोदा देवी को हराया था। भाजपा से गठबंधन के तहत डुमरी आजसू के खाते में है। उपचुनाव में यशोदा देवी ने बेबी देवी को अच्छी टक्कर दी थी।

जयराम डैमेज ज्यादा करेंगे पर, वोटों में कनवर्ट होने के आसार नहीं

डुमरी में आजसू इस बार फिर से यशोदा देवी को मैदान में उतारती है या हाल ही में तामझाम के साथ पार्टी में शामिल हुए दुर्योधन महतो को मौका देती है, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी. वैसे चुनाव लड़ने के मकसद से ही दुर्योधन महतो आजसू में शामिल हुए हैं। डुमरी कुर्मी बहुल इलाका है, इसलिए यहां की लड़ाई इस बार दिलचस्प होनेवाली है। डुमरी में कुर्मी उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होना लगभग तय है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में जयराम महतो कई दिग्गजों का खेल बिगाड़ सकते हैं. उनके घुर विरोधी भी मानते हैं कि जयराम का युवाओं में गजब का क्रेज है. इनका यह भी आकलन है कि जयराम महतो विपक्षी उम्मीदवारों को डैमेज ज्यादा करेंगे लेकिन वोटों में वैसा कनवर्ट नहीं कर पाएंगे. राजनीतिक पंडितों का आकलन है कि जयराम महतो की पार्टी कांग्रेस, आजसू और भाजपा के वोटों में जबर्दस्त सेंधमारी कर सकती है. जयराम झारखंड की 15 प्रतिशत कुर्मी आबादी को वोटों के जरिए आजसू को डैमेज करने में सफल हो सकते हैं. एक आंतरिक सर्वे के मुताबिक झारखंड लोकतांत्रिक क्रांति मोर्चा की 70 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है. सर्वे में जेएलकेएम को 8-10 सीटें दी गई हैं. यही कारण है कि सभी राजनीतिक दलों के अंदरखाने में जयराम महतो को अपने खेमे में लाने का प्रयास भी चल रहा है. लेकिन जयराम इसे सिरे से नकार रहे हैं. बहरहाल, राजनीतिक दलों के दावों-प्रतिदावों के बीच ये तय है कि किसी भी पार्टी को बहुमत लायक सीट नहीं आ रही है. अब देखना है कि झारखंड में हॉटकेक बने दो चेहरे, कल्पना सोरेन और जयराम महतो के खिलाफ राजनीतिक दल इनकी काट के लिए कोई कारगर रणनीति बनाते हैं या फिर सबकुछ वोटरों के हवाले छोड़ देते हैं…?

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