पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग: गांव-गांव पांव-पांव यात्रा को सैकड़ों का समर्थन

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राम भक्तों के लिए

लखनऊ, 15 अक्टूबर 2024: बुंदेलखंड क्षेत्र में लंबे समय से पृथक राज्य की मांग को लेकर उठती आवाजें अब और बुलंद होती जा रही हैं। इसी कड़ी में राजा बुंदेला के नेतृत्व में चल रही गांव-गांव, पांव-पांव यात्रा अब अपने चौथे दिन में है। यह यात्रा बुंदेलखंड संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में चल रही है और इसका उद्देश्य बुंदेलखंड के नागरिकों को एकजुट करना और पृथक राज्य की मांग को जन-जन तक पहुंचाना है। यात्रा का सफर ललितपुर से शुरू होकर, झांसी तक लगभग 22 गांवों का भ्रमण करेगा।

यात्रा का समापन 24 अक्टूबर को झांसी के इलाइट चौराहे पर होगा। इस यात्रा के दौरान राजा बुंदेला और उनकी टीम क्षेत्र के गांववासियों से संवाद कर, बुंदेलखंड राज्य निर्माण के महत्व पर जोर दे रहे हैं।

विकास के लिए आर-पार की लड़ाई

यात्रा के दौरान आयोजित जनसंवादों में राजा बुंदेला ने खुलकर बुंदेलखंड के विकास और इसके निवासियों के हकों की बात की। उन्होंने कहा,

हमारी संपदा का लाभ उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों को दिया जा रहा है, जबकि बुंदेलखंड के लोग सिर्फ छोटी-मोटी नौकरियों तक ही सीमित रह गए हैं। हम तलवार-बंदूक उठाने की अपील नहीं कर रहे हैं, बल्कि बुंदेलखंड के हक के लिए आवाज उठाने की जरूरत है।”

उन्होंने इस संघर्ष को निर्णायक बताया और कहा कि इस बार हर कीमत पर पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग पूरी करके रहेंगे। यात्रा में सैकड़ों लोग अपनी रोजमर्रा की जिम्मेदारियां छोड़कर इस संघर्ष में शामिल हुए हैं, और उनकी एकजुटता इस आंदोलन को एक नए मुकाम पर ले जा रही है।

बुंदेलखंड का वास्तविक विकास: पलायन रोकने की पहल

बुंदेलखंड 24×7 के फाउंडर अतुल मलिकराम ने यात्रा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बुंदेलखंड की बड़ी समस्या पलायन है। यहां के किसान और युवा अपनी समस्याओं से जूझ रहे हैं और मजबूरी में पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा,

हमारा उद्देश्य बुंदेलखंड को एक सफल और समृद्ध राज्य बनाना है। जब तक बुंदेलखंड को एक अलग राज्य का दर्जा नहीं मिलता, तब तक इस क्षेत्र की समस्याओं का समाधान संभव नहीं है।”

मलिकराम ने आगे कहा कि बुंदेलखंड की खनिज संपदा और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए अलग राज्य का निर्माण जरूरी है। दो राज्यों में बंटे होने के कारण बुंदेलखंड के विकास के कई महत्वपूर्ण कार्य अधूरे हैं। बुंदेलखंड का सही विकास तभी संभव है जब यह अपनी पहचान और अधिकारों के साथ खड़ा होगा।

यात्रा में गूंजते नारे: “नमक रोटी खाएंगे, बुंदेलखंड राज्य बनाएंगे”

यात्रा में शामिल सैकड़ों लोग उत्साहपूर्वक नारे लगा रहे हैं। “नमक रोटी खाएंगे, बुंदेलखंड राज्य बनाएंगे” जैसे नारे न केवल आंदोलन को बल दे रहे हैं, बल्कि लोगों के बीच एकजुटता का संदेश भी फैला रहे हैं।

ग्रामवासी यात्रा का स्वागत कर रहे हैं और आंदोलन को अपना पुरजोर समर्थन दे रहे हैं। इस यात्रा ने अब तक सैकड़ों पुरुष और महिलाओं को पृथक राज्य की मांग के लिए एकजुट किया है। लोग इस उम्मीद में हैं कि बुंदेलखंड को जल्द ही एक अलग राज्य का दर्जा मिलेगा, जिससे इस क्षेत्र का विकास संभव हो सकेगा।

बुंदेलखंड के प्राकृतिक संसाधन और सांस्कृतिक धरोहर

बुंदेलखंड की खनिज संपदा और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का उद्देश्य इस आंदोलन का एक प्रमुख हिस्सा है। यह क्षेत्र लंबे समय से आर्थिक पिछड़ेपन और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।

राजा बुंदेला और बुंदेलखंड संयुक्त मोर्चा का मानना है कि क्षेत्र की खनिज संपदा का उपयोग बुंदेलखंड के विकास के लिए किया जाना चाहिए, न कि बाहरी क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने के लिए। इसके साथ ही, बुंदेलखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना भी आवश्यक है, जो राज्य के गठन के बाद ही प्रभावी रूप से संभव हो सकेगा।

राज्य के समर्थन में क्षेत्रीय एकजुटता

यात्रा के दौरान यह स्पष्ट हुआ है कि बुंदेलखंड के लोग इस संघर्ष में एकजुट हैं। यह आंदोलन धीरे-धीरे एक व्यापक जन आंदोलन का रूप ले रहा है, जिसमें ग्रामीणों से लेकर युवा, किसान, और समाज के अन्य वर्ग शामिल हो रहे हैं। बुंदेलखंड की पीढ़ियों से चली आ रही मांग को अब एक नई ऊर्जा मिली है, और लोग इस संघर्ष को अपने अधिकारों के लिए निर्णायक मान रहे हैं।

नतीजे की ओर बढ़ते कदम

यात्रा का समापन 24 अक्टूबर को झांसी में होगा, लेकिन यह आंदोलन यहीं समाप्त नहीं होगा। राजा बुंदेला और बुंदेलखंड संयुक्त मोर्चा का उद्देश्य बुंदेलखंड की आवाज को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाना है। उनका मानना है कि जब तक यह क्षेत्र अपने अधिकारों के लिए संगठित होकर लड़ाई नहीं लड़ता, तब तक उसका सही विकास संभव नहीं है।

आवाज बुलंद होती जा रही है

बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर चल रही गांव-गांव, पांव-पांव यात्रा ने इस संघर्ष को एक नए आयाम पर पहुंचा दिया है। जनता की भागीदारी और उनके उत्साह ने यह साबित कर दिया है कि इस बार बुंदेलखंड अपनी मांग को लेकर पूरी तरह से गंभीर है।

राजा बुंदेला और उनकी टीम द्वारा उठाई गई यह आवाज सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि बुंदेलखंड के भविष्य की दिशा है। यह यात्रा न केवल क्षेत्र की समस्याओं को उजागर कर रही है, बल्कि यह उम्मीद भी जगा रही है कि आने वाले समय में बुंदेलखंड एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अपनी पहचान स्थापित करेगा।

News – Muskan

Edited – Sanjana Kumari.

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