नेपोटिज्म या हिंदी में कहें तो भाई-भतीजावाद—यह एक ऐसा शब्द है जो आजकल हर क्षेत्र में सुनाई दे रहा है। चाहे वह राजनीति हो, फिल्म उद्योग हो, या व्यापार जगत—इस प्रवृत्ति के उदाहरण हर जगह मिलते हैं। फिर भी, सबसे अधिक बदनाम अगर कोई क्षेत्र है, तो वह राजनीति है। सवाल उठता है, जब भाई-भतीजावाद हर क्षेत्र में है, तो राजनीति पर ही सबसे ज्यादा निशाना क्यों साधा जाता है?
क्या भाई-भतीजावाद हमारी प्राचीन परंपरा है?
अगर हम पीछे मुड़कर देखें, तो भाई-भतीजावाद कोई नई प्रथा नहीं है। पुराने समय में राजा का बेटा राजा बनता था, और शिक्षक का बेटा शिक्षक। यह हमारे सामाजिक ढांचे का हिस्सा था। आज भी, एक व्यापारी अपनी अगली पीढ़ी को अपने व्यापार में शामिल करना चाहता है, और एक डॉक्टर अपने बच्चे को डॉक्टर बनाने की कोशिश करता है। यह एक सामान्य मानवीय स्वभाव है कि व्यक्ति अपनी मेहनत और उपलब्धियों को भरोसेमंद हाथों में सौंपना चाहता है।
यह स्वाभाविक है कि हम अपने करीबी और भरोसेमंद लोगों को मौका देना चाहते हैं। लेकिन यह तभी गलत हो जाता है, जब योग्यता की अनदेखी कर केवल संबंधों के आधार पर अवसर प्रदान किए जाते हैं। यही कारण है कि भाई-भतीजावाद को लेकर आज के समय में तीव्र आलोचना हो रही है।
राजनीति में भाई-भतीजावाद: दोषी कौन?
राजनीति में भाई-भतीजावाद के आरोप सबसे ज्यादा लगाए जाते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि राजनीति में परिवार के कई सदस्यों के सक्रिय रहने के उदाहरण बहुतायत में हैं। एक ही परिवार की कई पीढ़ियां राजनीति में होती हैं, और यही वजह है कि राजनीति को भाई-भतीजावाद का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है।
राजनीति में यह प्रक्रिया इतनी खुलकर होती है कि यह सबकी नजर में आ जाती है। इसके उलट, मनोरंजन, खेल, और व्यापार जैसे क्षेत्रों में भी भाई-भतीजावाद होता है, पर वह इतना स्पष्ट और सार्वजनिक नहीं होता। मनोरंजन उद्योग में फिल्मी सितारों के बच्चों को आसानी से अवसर मिलते हैं। खेलों में, खिलाड़ी अपने परिवारिक संबंधों के आधार पर चयनित हो जाते हैं, और व्यापार में बड़े घरानों के वारिस बिना विशेष योग्यता के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हो जाते हैं।
लेकिन चूंकि राजनीति का मंच सार्वजनिक होता है और जनता की नजर में रहता है, इसलिए इसका अधिक आलोचना करना स्वाभाविक हो जाता है।
राजनीति के अलावा अन्य क्षेत्रों में भाई-भतीजावाद
राजनीति के अलावा, भाई-भतीजावाद की समस्या अन्य क्षेत्रों में भी गहरी है। उदाहरण के लिए, फिल्मी जगत में अक्सर देखा गया है कि फिल्मी हस्तियों के बच्चों को शुरुआती अवसर आसानी से मिल जाते हैं, जो संघर्षरत कलाकारों के लिए बड़ी चुनौती साबित होते हैं।
खेलों में भी, कई बार देखा गया है कि खिलाड़ियों के परिवारिक संबंधों के आधार पर उन्हें राष्ट्रीय टीमों में जगह दी जाती है। इससे योग्य खिलाड़ियों के अवसर छिन जाते हैं।
व्यापारिक घरानों में, अक्सर देखा जाता है कि व्यापार की बागडोर बिना योग्यता के नए वारिसों को सौंप दी जाती है। यह सब समाज के अन्य क्षेत्रों में हो रहा है, लेकिन केवल राजनीति पर ही सबसे अधिक सवाल क्यों उठाए जाते हैं?
क्या भाई-भतीजावाद पूरी तरह गलत है?
यहाँ एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या भाई-भतीजावाद हमेशा गलत होता है? वास्तव में, यह उस सोच पर निर्भर करता है जो इस प्रक्रिया के पीछे काम करती है।
अगर कोई अपने बेटे को राजा बनाता है, क्योंकि वह योग्य है, तो यह न्यायसंगत है। लेकिन अगर कोई सिर्फ संबंधों के दम पर किसी को अवसर दिलवा रहा है, बिना उसकी योग्यता को ध्यान में रखे, तो यह पूरी तरह गलत है।
यह जरूरी है कि हर क्षेत्र में योग्यता को प्राथमिकता दी जाए। किसी योग्य व्यक्ति को केवल इसलिए अवसर से वंचित करना गलत है, क्योंकि वह किसी प्रभावशाली परिवार से नहीं आता। इसी तरह, सिर्फ भाई-भतीजावाद के डर से योग्य व्यक्ति को अवसर न देना भी अन्याय है।
राजनीति और अन्य क्षेत्रों में संतुलन की जरूरत
नेपोटिज्म का मुद्दा तब तक पूरी तरह हल नहीं हो सकता, जब तक हम इसे सिर्फ एक क्षेत्र, यानी राजनीति तक सीमित रखकर नहीं देखते। इसे सभी क्षेत्रों में समान रूप से समझना और सुधारना जरूरी है। राजनीति में भाई-भतीजावाद को निशाना बनाने के साथ ही हमें अन्य क्षेत्रों में भी पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्राथमिकता देनी होगी।
यह समस्या हर क्षेत्र में मौजूद है, और इसके समाधान के लिए हमें सभी क्षेत्रों में समान रूप से आवाज उठानी होगी। केवल तब ही हम एक योग्यता आधारित समाज का निर्माण कर सकेंगे, जहां व्यक्ति को उसके हुनर के आधार पर अवसर मिलेगा, न कि उसके संबंधों के आधार पर।
भाई-भतीजावाद पर एक संतुलित दृष्टिकोण जरूरी
नेपोटिज्म या भाई-भतीजावाद एक ऐसी समस्या है जो समाज के हर क्षेत्र में देखी जा सकती है। इसे सिर्फ राजनीति तक सीमित कर देना और बाकी क्षेत्रों को नजरअंदाज करना समस्या को और बढ़ाता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि भाई-भतीजावाद का विरोध केवल एक क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं रहना चाहिए।
योग्यता को प्राथमिकता देना और पारदर्शिता को बढ़ावा देना ही एक ऐसा रास्ता है, जिससे हम एक निष्पक्ष समाज का निर्माण कर सकते हैं। यह जरूरी है कि हम हर क्षेत्र में इस प्रवृत्ति के खिलाफ आवाज उठाएं, ताकि योग्य व्यक्तियों को उनका हक मिले और समाज समतावादी बने।
News – Muskan
Edited – Sanjana Kumari.
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