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Monday, October 28, 2024
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असली ज़िंदगी और सोशल मीडिया की दुनिया: एक सीख अभिनव अरोरा के नाम

"सोशल मीडिया का छलावा: असली ज़िंदगी की सादगी को फिर से अपनाएं"

आज की डिजिटल दुनिया में सोशल मीडिया ने हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। हर उम्र के लोग इस चकाचौंध में इस कदर खो गए हैं कि असल ज़िंदगी की सादगी और सुंदरता कहीं दब सी गई है। खासकर युवा पीढ़ी तो जैसे इस डिजिटल शोहरत के पीछे भागने को तैयार बैठी है।

हर कोई एक झूठे दिखावे की दुनिया में फेमस होने के लिए कुछ भी करने से नहीं हिचकिचाता। इस दौड़ में असल ज़िंदगी का महत्व नज़रअंदाज किया जा रहा है, और ऐसे में कई युवा सोशल मीडिया स्टार्स हमारे सामने आते हैं जिनका जीवन एक उदाहरण बनता है। ऐसा ही एक नाम है – अभिनव अरोरा

अभिनव खुद को कृष्ण भक्त बताते हैं और सोशल मीडिया पर अपने जीवन को कृष्ण-भक्ति से जोड़कर पेश करते हैं। वो मानते हैं कि कृष्ण उनके छोटे भाई की तरह हैं, जिनके साथ वो बैठकर पढ़ाई-लिखाई और हंसी-ठिठोली करते हैं। यह एक बहुत सुंदर विचार हो सकता था अगर इसे सही तरीके से प्रस्तुत किया जाता, मगर अभिनव ने भक्ति का ये रंग सोशल मीडिया के लिए एक दिखावे में बदल दिया है।

उनकी कई वीडियोस इस तरह प्रस्तुत की जाती हैं कि लोग भक्ति से ज़्यादा एक हास्यास्पद रूप में उन्हें देख रहे हैं। हाल ही में उनकी इन हरकतों पर संत शिरोमणि रामभद्राचार्य जी महाराज जैसे महान संत ने भी उन्हें ‘मूर्ख’ और ‘ढोंगी’ कहकर फटकार लगाई है। संतों का यह कदम इस ओर इशारा करता है कि केवल सोशल मीडिया पर फेमस होना ही जीवन का लक्ष्य नहीं है।

बच्चों की इस दौड़ में माता-पिता की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसी भी बच्चे का जीवन उसके अभिभावकों के मार्गदर्शन का परिणाम होता है। लेकिन, जब माता-पिता ही बच्चों को इस दिखावे की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, तो वे अनजाने में ही उनके असल जीवन का बर्बाद कर रहे होते हैं। सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स, लाइक्स और कमेंट्स के पीछे भागना बच्चों को सच्ची खुशी नहीं दे सकता; यह सिर्फ एक अस्थाई संतोष है जो लंबे समय तक उनके जीवन में सकारात्मकता नहीं ला सकता।

असल में, सोशल मीडिया सिर्फ एक माध्यम है, न कि जीवन का उद्देश्य। किसी इंसान की असल पहचान उसके आदर्शों, व्यवहार और असली रिश्तों में निहित होती है, न कि उस डिजिटल दुनिया में जो केवल कुछ समय तक ही स्थायी रहती है। बच्चों को असल जिंदगी में रिश्तों, मूल्य, संस्कार और प्यार की अहमियत समझानी चाहिए। यही वो चीजें हैं जो उनके जीवन में स्थायी संतोष और वास्तविक खुशी ला सकती हैं।

हमें इस बात को समझना होगा कि ज़िंदगी की असली सुंदरता उसकी सादगी में है। जिस पल हम दिखावे की दुनिया को छोड़कर वास्तविकता में जीने का निर्णय लेते हैं, वही पल हमें सच्ची संतुष्टि और खुशी दे सकता है। सोशल मीडिया केवल एक साधन है, उसे ही जीवन मान लेना कहीं न कहीं हमें एक झूठी दुनिया में जीने के लिए मजबूर करता है।

युवाओं के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने जीवन का मूल्य समझें। सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करें, लेकिन असल ज़िंदगी के मूल्यों और रिश्तों को प्राथमिकता दें। दिखावे की इस दुनिया को असल ज़िंदगी का मकसद न बनाएं। हमेशा याद रखें, सादगी और सच्चाई ही असली शोहरत है, और यह सोशल मीडिया पर फेम से कहीं अधिक कीमती है।

संजना कुमारी 

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