रांची : दी अखिल भारतीय विश्वकर्मा महासभा, झारखंड प्रदेश की एक आवश्यक बैठक रविवार को हुई। बैठक में आगामी 13 और 20 नवंबर को होनेवाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए विश्वकर्मावंशी लोहार, बढई, कुम्हार, ठठेरा और स्वर्णकार समाज ने कई बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया.
दी अखिल भारतीय विश्वकर्मा महासभा के प्रधान महासचिव विक्रांत विश्वकर्मा ने कहा कि भाजपा झारखंड में 81 विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी के निष्ठावान और पुराने कार्यकर्ताओं के साथ घोर अन्याय किया है और अपनी तानाशाही प्रवृत्ति दिखाई है.
हालांकि पूर्व के विधानसभा चुनावों में विश्वकर्मा समाज के दो विधायक चुने गए थे. बेरमो से योगेश्वर महतो बाटुल और गांडेय विधानसभा से लक्ष्मण स्वर्णकार जो कि समाज की आवाज को विधानसभा में उठाने का कार्य किया था. इस बार के विधानसभा चुनाव में हमारे दोनों नेता योगेश्वर महतो बाटुल और लक्ष्मण स्वर्णकार को टिकट नहीं दिया गया.
इसके अलावा भाजपा के पुराने संघी कार्यकर्ता डॉ. दिलीप कुमार सोनी को रांची विधानसभा से टिकट देने के लिए वैश्य महापरिवार, ओबीसी मोर्चा एवं झारखंड के विश्वकर्मा समाज के संगठन दि अखिल भारतीय विश्वकर्मा महासभा ने मांग की थी.
इस संबंध हमारी धारणा यह थी कि विश्वकर्मा समाज का प्रतिनिधि समाज की आवाज बने और विधानसभा में विश्वकर्मावंशियों की बात को रख सके। लेकिन सातवीं बार रांची विधानसभा से फिर वही पुराना चेहरा सीपी सिंह को पार्टी ने टिकट थमा कर रांची विधानसभा की जनता के साथ धोखा किया है।
बैठक में विक्रांत ने कहा कि विश्वकर्मावंशियों ने हमेशा भाजपा का सहयोग किया है लेकिन इस बार हमारे समाज के निष्ठावान लोगों को ठगने का काम किया है. भाजपा ना तो अपनी पार्टी में उचित स्थान देती है और ना ही विधानसभा चुनाव में झारखंड से प्रत्याशी बनाने का काम करता है।
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में विश्वकर्मा महासभा झारखंड प्रदेश ने निर्णय लिया है कि विश्वकर्मा समाज अपना वोट अपने विवेक से देंगे, ताकि हमारे समाज के साथ अन्याय करनेवालों को सबक मिल सके.
इस संबंध में विश्वकर्मा समाज रांची, हटिया सहित पूरे प्रदेश में डोर टू डोर जनसंपर्क अभियान में लगा है, जो अपने समाज के लोगों को इस संदर्भ में जानकारी देकर लोगों से आह्वान कर रहा है कि वोट अपना कीमती मत अपने स्वविवेक से दें।