रांची : भाजपा की हार की समीक्षा के 5-6 दिन बाद आजसू ने भी अपनी रविवार को अपनी हार की समीक्षा की. विधानसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित हार को लेकर पार्टी कार्यालय में सुदेश महतो ने पार्टी के प्रत्याशियों के साथ मिलकर मंथन किया। इस बैठक में मांडू के नव निर्वाचित विधायक तिवारी महतो भी मौजूद थे।आजसू को काफी जद्दोजहद के बाद एनडीए फोल्डर से 10 सीटें मिली थीं.
बैठक में सुदेश महतो ने कहा कि एनडीए में समन्वय की कमी के कारण हमें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। अगर एनडीए में चुनाव के दौरान बैठकें होती, तो शायद रिजल्ट कुछ और ही होता।
भाजपा-आजसू की बैठकें तो रांची से लेकर दिल्ली तक हुई, लेकिन सिर्फ सीटों के बंटवारे को लेकर हुई. लेकिन बैठक के लिए किसने पहल की? फिर भाजपा ने अपनी समीक्षा में यह क्यों कहा कि आजसू पर अधिक निर्भरता से हमें नुकसान हुआ? वहीं आजसू जयराम की पार्टी को हार का कारण बताने से साफ बचकर क्यों निकल गई?
हेमंत सरकार अपने वादे पूरे करे
बैठक में कोरम पूरा करते हुए सुदेश महतो ने कहा कि चुनाव में झारखंड की जनता ने जिस जनादेश के साथ इंडिया गठबंधन को जीत दिलाई है। उम्मीद करता हूं कि जो भी वादे उन्होंने किए हैं वो सिर्फ वादे न रहे। जनता ने जो भरोसा राज्य सरकार पर जताया है, उन्हें वो शुरुआती दिनों से ही करना शुरू कर दें न कि कार्यकाल के अंतिम दिनों में।
उन्होंने कहा कि हम अपने वोटर को एकजुट नहीं कर पाए. इस चुनाव के मुद्दे में कहीं ना कहीं चूक हुई है। समन्वय जो गठबंधन के साथ बनना था, जो कि नहीं बन पाया वह भी हार का एक कारण निकल कर आया है। कहीं-कहीं इन सभी चीजों में सरकारी महकमे का भी असर दिखा।
दरअसल, समन्वय में कमी तो खुद भाजपा के अंदर नहीं थी, जो 68 सीटों पर लड़ रही थी. लेकिन भाजपा इस खुशफहमी में जरूर रह गई कि आजसू कुर्मी वोटों को बिखरने नहीं देगी और जयराम महतो को बहुत हल्के में लिया गया.