गुमला, झारखंड – समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा गुमला के नगर भवन में एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसमें जिला शिक्षा अधीक्षक नूर आलम खां, क्षेत्रीय शिक्षा पदाधिकारी प्रियश्री भगत, और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया। स्वागत समारोह में अतिथियों को पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह भेंट किए गए।
समावेशी शिक्षा की अहमियत पर जोर
झारखंड शिक्षा परियोजना के समावेशी शिक्षा प्रभाग की प्रभारी डॉ. मीतू सिन्हा ने कार्यशाला के दौरान समावेशी शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि “दिव्यांग बच्चों को समान रूप से शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए, और इसे सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सामान्य बच्चों के साथ समावेशी शिक्षा प्रदान करना अनिवार्य है।”
प्रस्तुतियां और सक्रिय चर्चा
कार्यशाला में दिव्यांगता के विभिन्न प्रकारों और उनके लिए उपलब्ध शैक्षिक सुविधाओं की जानकारी प्रेजेंटेशन के माध्यम से साझा की गई। चर्चा सत्र के दौरान शिक्षक उदय कुमार, अरविंद तिवारी, सुंदरम भारद्वाज, और बीपीओ पुष्पा टोप्पो ने अपनी राय और अनुभव साझा किए। मंच संचालन ओमप्रकाश दास ने किया।
प्रतिनिधियों की व्यापक भागीदारी
इस कार्यक्रम में जिले के सभी बीईईओ, एपीओ, बीपीओ, बीआरपी, डायट के संकाय सदस्य, समावेशी शिक्षा से जुड़े थेरेपिस्ट, रिसोर्स शिक्षक, और गुमला, सिसई, भरनो, और रायडीह प्रखंडों के प्राथमिक शिक्षक शामिल हुए।
समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में कदम
इस कार्यशाला को समावेशी शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इसका उद्देश्य दिव्यांग बच्चों को शिक्षा में समान अवसर प्रदान करना और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने के लिए बेहतर वातावरण तैयार करना है। आयोजकों ने आशा व्यक्त की कि इस पहल से सभी बच्चों के लिए समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मार्ग प्रशस्त होगा।
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया