पटना, मार्च 2025: प्यार की राह कभी आसान नहीं होती, खासकर जब समाज जातीय भेदभाव के नाम पर रिश्तों को स्वीकारने से इंकार कर देता है। ऐसा ही एक मामला बिहार में सामने आया, जहां एक दलित युवक और पिछड़ी जाति की युवती ने सात साल तक संघर्ष करने के बाद विवाह किया। इस प्रेम कहानी में कई उतार-चढ़ाव आए, पुलिस थाने के चक्कर लगे, लेकिन आखिरकार समाजसेवी अभिषेक कुमार के हस्तक्षेप से यह प्रेम कहानी सफल विवाह में तब्दील हो गई।
सोशल मीडिया से मिली मदद, अभिषेक कुमार बने सहारा
इस जोड़े का प्रेम संबंध सात वर्षों से था, लेकिन जातिगत भेदभाव और पारिवारिक विरोध के कारण उन्हें अलग कर दिया गया। माता-पिता ने शादी से इनकार कर दिया, जिससे लड़की मानसिक रूप से परेशान हो गई और उसने पुलिस थाने तक का सहारा लिया। जब किसी समाधान की उम्मीद नहीं बची, तब उसने सोशल मीडिया के जरिए समाजसेवी अभिषेक कुमार से संपर्क किया।
अभिषेक कुमार ने दोनों परिवारों को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने पुलिस थाने में दोनों पक्षों की बैठक कराई, जहां उन्होंने समझाया कि केस-मुकदमे और कोर्ट के चक्कर में जीवन खराब हो सकता है। उनकी पहल से दोनों परिवारों के बीच सहमति बनी और शादी का रास्ता साफ हुआ।
काली मंदिर में हुआ विवाह, प्रेम की जीत
समाजसेवी अभिषेक कुमार ने 28 तारीख को काली मंदिर में शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे दोनों पक्षों ने स्वीकार कर लिया। निश्चित तिथि पर परिवारों की सहमति से यह विवाह संपन्न हुआ।
कॉलेज में हुई थी प्रेम कहानी की शुरुआत
जानकारी के अनुसार, दोनों युवक-युवती स्नातक (ग्रेजुएट) हैं और उनकी प्रेम कहानी कॉलेज के दिनों में शुरू हुई थी। समाज के विरोध और घरवालों के दबाव के कारण लड़का-लड़की अलग हो गए थे, लेकिन लड़की ने हार नहीं मानी। समाजिक जटिलताओं और पारिवारिक दबावों के बावजूद यह विवाह एक मिसाल बन गया कि प्रेम किसी जाति या वर्ग का मोहताज नहीं होता।
समाजसेवी अभिषेक कुमार का संदेश
अभिषेक कुमार ने कहा, “हर व्यक्ति को अपने जीवन साथी को चुनने का अधिकार है। जाति या वर्ग के आधार पर प्रेम को नकारना सही नहीं है। समाज को समय के साथ बदलना होगा और प्रेम को स्वीकार करना होगा।”
यह विवाह बना प्रेरणा
इस विवाह ने समाज में जातीय भेदभाव के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है। यह उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो सामाजिक दायरों से परे जाकर अपने जीवन के फैसले लेना चाहते हैं।
News – Vijay Chaudhary