गुमला, 12 अप्रैल 2025 — गुमला जिले के घाघरा प्रखंड अंतर्गत हापामुनि गांव में आयोजित पांच दिवसीय मंडा महापर्व का शनिवार को धार्मिक उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ समापन हुआ। इस पारंपरिक पर्व का मुख्य आकर्षण रहा दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर श्रद्धालुओं द्वारा शिवभक्ति की अग्नि परीक्षा देना।
इससे पहले शुक्रवार रात्रि को, सैकड़ों पुरुष और महिलाएं विभिन्न गांवों से आकर फुलकुन्दी व्रत धारण कर इस तपस्वी परंपरा में शामिल हुए। सभी श्रद्धालु निर्जल व्रत रखते हुए मंडा चबूतरे पर विराजमान शिवलिंग के समक्ष बम-बम भोले के जयकारों के साथ भक्ति में लीन नजर आए।
अंगारों पर चली आस्था की लहर, शिवभक्तों ने निभाई कठिन परंपरा
शुक्रवार की रात, जैसे ही गुलईची फूलों की माला और बेलपत्र भक्तों पर गिराए गए, वैसे ही सभी भोक्ता शिव उपासना की अग्नि परीक्षा में शामिल हो गए। वे नंगे पांव दहकते अंगारों पर चलकर अपने व्रत की पूर्णता की घोषणा करते दिखे।
इस अवसर पर पट्टभोक्ता ने कहा —
“शिव की असीम कृपा से हमारे लिए अंगारे भी फूलों जैसे प्रतीत होते हैं। हम सब अपने आराध्य शिव की भक्ति को इसी अग्नि परीक्षा से सिद्ध करते हैं।”
पारंपरिक पर्व का सांस्कृतिक व आध्यात्मिक महत्त्व
मंडा महापर्व, गुमला और झारखंड के आदिवासी समाज में धार्मिक आस्था, प्रकृति पूजा और तपस्या का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व विशेषकर शिव भक्ति और सामूहिक संकल्प का परिचायक है, जिसमें ग्रामीण समाज की सांस्कृतिक एकता और समर्पण भावना झलकती है।
यह महापर्व न केवल धार्मिक श्रद्धा का परिचायक है, बल्कि यह स्थानीय लोक संस्कृति को भी जीवंत बनाए रखता है।
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया