गुमला :- गुमला उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी के निर्देशानुसार जिले में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) के सर्वांगीण विकास हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य न केवल इन समुदायों की आजीविका को स्थायी बनाना है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर मुख्यधारा से जोड़ना भी है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री वन धन योजना (PMVDY) के अंतर्गत वर्ष 2019 में विशुनपुर प्रखंड में स्थापित वन धन विकास केंद्र (VDVK) SERKA जिले में एक सफल मॉडल के रूप में सामने आया है।
परियोजना का उद्देश्य
विशुनपुर प्रखंड, जो वन आधारित संसाधनों से समृद्ध है, वहां के PVTG समुदाय जैसे बृजिया , हो , असुर, कोरवा और बिरहोर जनजाति समुदाय के लोग लंबे समय से जंगल उत्पादों पर निर्भर हैं, परंतु सीमित बाज़ार , पहुँच और संसाधनों की कमी के कारण उन्हें उचित लाभ नहीं मिल पाता था कितना मिलना चाहिए था । इन परिस्थितियों को देखते हुए VDVK SERKA की स्थापना की गई। इसे TRIFED के माध्यम से ₹ 15 लाख की सहायता से प्रारंभ किया गया, जिसमें प्रसंस्करण इकाइयों, संग्रहण सुविधाओं, ब्रांडिंग सामग्री और टूल किट की व्यवस्था की गई।
संचालन एवं लाभार्थी
इस केंद्र का संचालन 15 स्वयं सहायता समूहों (SHGs) द्वारा किया जा रहा है, जिनमें कुल 300 सदस्य शामिल हैं। इनका बहुलांश PVTG समुदायों से है और इनमें 70% से अधिक महिलाएं सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
उत्पाद निर्माण एवं मूल्य संवर्धन
VDVK SERKA में वनों से एकत्र महुआ, इमली, करंज , केन्द , चिरौंजी , सखुवा का दातुन – पत्ता , करंज , महुआ, आदि का वैज्ञानिक तरीके से संग्रहण कर मूल्य संवर्धन (Value Addition) किया जाता है। तैयार किए गए उत्पादों में प्रमुख रूप से महुआ लड्डू, महुआ अचार, इमली का पाउच पैक, करंज तेल आदि शामिल हैं। इन उत्पादों की बिक्री झारखंड राज्य सहकारी वनोपज महासंघ (JHAMCOFED) के माध्यम से की जाती है, जिससे विपणन की समस्या दूर हुई है और सदस्यों को नियमित आय मिल रही है।
प्रशिक्षण एवं संसाधन वितरण
VDVK से जुड़े सभी सदस्यों को 7 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से संग्रहण, स्वच्छ प्रसंस्करण, गुणवत्ता नियंत्रण, ब्रांडिंग और बाजार से जोड़ने की जानकारी दी गई। प्रत्येक सदस्य को टूल किट (जैसे संग्रहण बैग, प्रसंस्करण उपकरण) भी प्रदान किया गया है।
आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव
इस पहल के माध्यम से प्रत्येक सदस्य औसतन ₹8,000 से ₹12,000 प्रतिमाह की आय अर्जित कर रहा है। यह आमदनी न केवल उनके परिवार के भरण-पोषण में सहायक हो रही है, बल्कि बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेहतर आवास के लिए भी उपयोग हो रही है।
प्रेरणादायी कहानी – बसंती देवी
इस परियोजना की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि है बसंती देवी की सफलता, जो कोरवा समुदाय से हैं और पहले दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर थीं। वर्ष 2019 में VDVK से जुड़ने के बाद उन्होंने महुआ प्रसंस्करण में प्रशिक्षण लिया और अब ₹10,000-₹12,000 प्रतिमाह की नियमित आय प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने अपने गांव की 15 अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित कर नए SHG बनाने में मदद की है। उनका कहना है, “VDVK SERKA ने मुझे आत्मविश्वास और आमदनी दी। अब मेरा सपना है कि हमारे उत्पाद बड़े बाज़ारों में भी पहुंचें।”
महिला सशक्तिकरण एवं सामुदायिक विकास
महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से न केवल परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, बल्कि उनके अंदर नेतृत्व क्षमता भी विकसित हुई है। परियोजना की सफलता को देखते हुए आसपास के क्षेत्रों में 5 नए SHG गठित किए गए हैं।
बाजार विस्तार एवं स्थायी विकास
VDVK SERKA के उत्पादों की बिक्री अब न केवल गुमला में, बल्कि रांची और अन्य जिलों में भी हो रही है। 30% बिक्री बाहरी बाजारों से हो रही है, जिससे आदिवासी उत्पादों को एक नई पहचान मिल रही है। इसके साथ-साथ प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सतत वन उपयोग एवं जैव विविधता संरक्षण पर भी विशेष बल दिया गया है।
न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया