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Sunday, September 8, 2024
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HomeJharkhand Starsअभिमन्यु पाल - मजदूर से लेकर सोशल मीडिया वारियर्स तक का सफर

अभिमन्यु पाल – मजदूर से लेकर सोशल मीडिया वारियर्स तक का सफर

जमशेदपुर – जुगसलाई विधानसभा के खाकड़ीपाड़ा पंचायत से उभरता हुआ सितारा झारखंड राजनीती के सोशल मीडिया में एक जाना माना नाम है अभिमन्यु पाल, सोशल मीडिया में बहुत ही एक्टिव रहते है और अपनी पार्टी के लिए सोशल मीडिया में रणनीति तैयार करते हैं। आईये जानते हैं हम इनके बारे में इन्हीं की जुबानी। जमशेदपुर प्रखंड के खाकड़ीपाड़ा पंचायत के बड़ा गोविंदपुर में 1992 में एक साधारण परिवार में जन्म हुआ जो परिवार कभी राजनीति के बारे में कुछ जानते ही नहीं। 10वीं पास करने के बाद इंटर में दाखिला लिया और पढ़ाई के साथ साथ टाटा मोटर्स कंपनी में ठिकेदारी में काम भी करने लगा, काम करते करते बीच में पढ़ाई छूट गई, फिर हमने काम छोड़कर पढ़ने का मन बनाया और आईटीआई में दाखिला लिया, 2012 में आईटीआई का कोर्स पूरा करने के बाद नौकरी की तलाश में इधर उधर लोगो से मिलना जुलना शुरू किया

झारखंड की राजनीति को सोचने और समझने की ज्ञान हुई, तब से राज्य के जनक पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय शिबू सोरेन जी के द्वारा किए गए कार्य गांव में हमेशा चर्चा होती रहती थी, लोग उनके सोच का तारीफ करते थे कि कैसे हमें झारखंड अलग राज्य मिला, अलग राज्य पाने के लिए कितने आंदोलन करने पड़े और कितने आंदोलनकारी इस आंदोलन में शहीद हुए, जिसे हम अक्सर सुनते थे ओर सोचते थे कि हम भी जब राजनीति में कदम रखेंगे, तो वो झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी का ही दामन थामेंगे और शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन जी के राह, उनके विचार पर चलकर एक अच्छे और खुशहाल झारखंड बनाने में हम भी उनका साथ दे कर उनका आवाज़ बुलन्द करेंगे, 2013 में जब झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बनी और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने तब घाटशिला विधायक रामदास सोरेन जी के नेतृत्व में झामुमो का दामन थामा और पार्टी की राह में चलकर पार्टी के लिए काम करना शुरू किया। 2014 लोकसभा चुनाव के समय पहली बार निर्मल गेस्ट हाउस जमशेदपुर में हेमंत सोरेन जी के साथ मुलाकात हुई, उनके विचार सुनकर और भी प्रभावित हुआ

2015 में हमने अपना प्रयास सोशल मीडिया के माध्यम से शुरू किया, सोशल मीडिया में अपनी प्रयत्न जारी रखने लगे धीरे धीरे पार्टी के तमाम लोगों से सोशल मीडिया के द्वारा जुड़ने लगे और मुझे सोशल मीडिया में एक नई पहचान मिली, इसी क्रम में पार्टी के तमाम बड़े बड़े नेता लगातार हमारे हौसला बढ़ाते रहे, उसके बाद हमें पार्टी के सोशल मीडिया प्रभारी बनाया गया, सोशल मीडिया में हमारा काम से पोटका के विधायक संजीव सरदार जी काफी खुश हुए और मुझे बुलाकर सम्मानित भी किए। मै हमेशा निस्वार्थ पार्टी के लिए दिन रात काम करता हूं और मुझे पार्टी हित में काम करना अच्छा लगता है, मै गर्व से कह सकता हूं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का सच्चा सिपाही हूं। भले ही हमने पढ़ाई लिखाई कम किए है फिर भी हमारा शौक पढ़ना है चाहे वह अखबार हो, किताब हो, नॉवेल हो, साधारण ज्ञान कि पुस्तक हो या किसी भी अच्छे लेखक द्वारा लिखी गई ज्ञानवर्धक किताब हो। मैं हमेशा कहानी की किताबें, समाचार पत्र, पत्रिकाएं, और किसी भी अन्य सामग्री को पढ़ता हूं जो मुझे अपने खाली समय में दिलचस्प लगता है। मेरी किताबों को पढ़ने का यह शौक बचपन से ही है नई चीजों को सीखना, नए नए लोगो से मिलना बात करना अच्छा लगता है। जब मै छोटा था तब से मुझे अपने माता-पिता कुछ ना कुछ कहानियों की किताब लाकर देते थे जो मुझे पढ़ने में बहुत दिलचस्पी लगता था।

सोशल मीडिया के बारे में कहना चाहूंगा आज यह गर्व से कह सकता हूँ कि यह सोशल मीडिया-इन्टरनेट की ताकत ही है कि तमाम अनजाने लोगो से मेरी जान-पहचान हुई और उनके स्नेह ने मुझे दिनों दिन हौसला दिया। मैं उन लोगों धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने मेरा साथ दिया, आज सोशल मीडिया के सभी साथी आज मुझे अपने परिवार के सदस्य की तरह ही लगते हैं। मुझे लगता है लोगो तक अपना बात रखने के लिए सोशल मीडिया एक बहुत अच्छा रास्ता है। मैं तो सोशल मीडिया पर बने रिश्तों-अपने मित्रों से बहुत लाभान्वित हुआ हूँ, दुखी भी हुआ हूँ, दुःख भी साझा किया है और साथ साथ संघर्ष भी किया है। सोशल मीडिया आम जन हेतु अभिशाप तो कतई नहीं है मेरी नजर में, यह समाज के हाथों में एक हथियार है जिसके उपयोग की प्रवृत्ति से यह निश्चित किया जा सकता है कि अमुक मामले में यह अभिशाप साबित हुआ और अमुक में वरदान। सोशल मीडिया रूपी यह धारदार हथियार समाज के हाथों में है और इसका गलत प्रयोग करने वाले व्यक्ति, समूह की प्रवृत्ति का दोष सोशल मीडिया के मंच पर ही थोपना उचित नहीं है। सोशल मीडिया पर लोग अपनी बात धड़ल्ले और बेबाकी से लिख रहे हैं। अख़बारों के पत्रकारों-सम्पादकों और चिंतकों से ज्यादा लोकप्रिय चेहरे सोशल मीडिया पर सुर्खियां और टिप्पणियां बटोर रहे हैं। आज कल तक अनजान रहे चेहरों की लेखन के पीछे बड़े-बड़े चिंतक, लेखक, पत्रकार दौड़ लगा रहे है, उस लिखत की भर्त्सना या प्रशंसा कर रहे हैं और यही तो सोशल मीडिया की असली ताकत है।

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