नारायण विश्वकर्मा
झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के रांची पहुंचने के बाद फिर से एक बार राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. माइनिंग लीज मामले में इलेक्शन कमीशन ने हेमंत सोरेन की सदस्यता पर अपना मंतव्य राज्यपाल को भेजा है. जिस पर अब राज्यपाल को निर्णय लेना है. यानी अब इंतजार की घड़ियां खत्म हो चुकी है. अब सत्ता के गलियारे में बस यही चर्चा है कि हेमंत सोरेन की सदस्यता जाएगी या रहेगी? दूसरी चर्चा ये भी है कि क्या उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिया जाएगा? इसपर पिछले एक माह से राजनीतिक नफे-नुकसान की बात हो रही है. हेमंत सरकार ने महीने भर के लिए उड़नखटोला भी बुक कर रखा है. उधर, बिरसा एयरपोर्ट से राजभवन की रवानगी पर राज्यपाल मीडिया से मुखातिब नहीं हुए. राज्यपाल का 9 सितंबर को क्या कार्यक्रम है, ये भी अभी रहस्यमय बना हुआ है, इधर, हेमंत सरकार की बेचैनी बढ़ी हुई है.
ज्योतिषियों की राय: हेमंत सोरेन खतरे से बाहर नहीं
हेमंत सरकार की स्थिरता को लेकर कुछ ज्योतिष भी बताते हैं कि सरकार की अभी ग्रह दशा सही नहीं चल रही है. इससे उबरना बहुत मुश्किल है. इसका मुख्य कारण वे हेमंत सोरेन के परिवार को मानते हैं. इसके अलावा सत्ता संचालन में अपने मित्रों की जबर्दस्त दखलअंदाजी से भी सरकार पर संकट आ गया है. दरअसल, हेमंत सोरेन का लोगों से घुलना-मिलना और उनकी शालीनता उन्हें झारखंड के सभी सीएम से बिल्कुल अलग करते हैं. वे अच्छी छवि के मालिक हैं. पर कहते हैं न घर फूटे गंवार लूटे…शायद यही कहावत चरितार्थ होनेवाली है. वे मानते हैं कि सीएम बहुत अच्छे हैं पर उनकी मित्रमंडली ने सबकुछ बंटाधार कर दिया है.
9 सितंबर को रहस्योद्घाटन व विसर्जन का सम्भावित काल
झारखंड के एक प्रख्यात ज्योतिष हैं. उनका नाम लेना अभी उचित नहीं होगा. लेकिन उनकी भविष्यवाणियां अक्सर सच साबित होती रही हैं. वे झारखंड की राजनीति को बहुत करीब से जानते भी हैं. झारखंड की राजनीतिक हलचल से भी वे वाकिफ हैं. 15-20 दिन से चल रहे राजनीतिक उठापटक के बीच उन्होंने हेमंत सरकार की स्थिरता को लेकर भविष्यवाणी की है. उनका कहना है कि 9 सितंबर को रहस्योद्घाटन एवं विसर्जन का सम्भावित काल 09.सितंबर 22 को शाम 14.51 बजे से 18.08 बजे तक का समय हेमंत सरकार के लिए शुभ लक्षण प्रतीत नहीं होते हैं. वैसे ज्योतिषाचार्य ने इस बात पर जोर दिया कि 9 सितंबर का दिन हेमंत सरकार पर भारी पड़नेवाला है. संभव है कुछ दिनों बाद झारखंड राष्ट्रपति शासन के हवाले हो जाए. बहरहाल, राज्यपाल कल कोई निर्णय सुनाते हैं या फिर और समय लेते हैं, यह भी कहना मुश्किल है.