नई दिल्ली: भाजपा की सभी चाल नाकामयाब रही और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली को नया मेयर मिल गया। आम आदमी पार्टी (आप) उम्मीदवार शैली ओबेरॉय अब दिल्ली की नई मेयर होंगी। बुधवार हुए चुनाव में आप की शैली ओबेरॉय को 150 वोट मिले, जबकि बीजेपी की रेखा गुप्ता को 116 वोट मिले। दिल्ली एमसीडी का चुनाव तो पिछले साल 4 दिसंबर को ही हो गया था लेकिन उसके 2 महीने बाद तक भी हंगामे के कारण मेयर का चुनाव नहीं हो सका था। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा और आखिरकार चौथी बैठक के बाद यह तय हो गया कि मेयर कौन होगा।
शैली ने कहा, चुनावी वायदे पूरे किए जाएंगे
शैली ओबेरॉय मेयर बनने के बाद कहा कि हमें लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मिलकर काम करना होगा। दिल्ली की महापौर शैली ओबेरॉय ने कार्यभार संभालने के बाद एमसीडी सदन में कहा कि हम 10 गारंटियों पर काम करेंगे जिसका चुनाव में वादा किया था। चुनाव के साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि दिल्ली में मेयर के पास क्या शक्तियां हैं। जिस प्रकार दिल्ली सरकार और एलजी के बीच खींचतान देखने को मिलती है, क्या यहां ऐसा तो नहीं। एमसीडी चुनाव के बाद भाजपा ने आखिर दम तक प्रयास किया कि मेयर के चयन का फैसला कोर्ट से ही हो. लेकिन भाजपा ने अपनी फजीहत कराने में पूरी तरह से बदनाम हुई है.
भाजपा ने जमकर अपनी फजीहत करायी
दरअसल, दिल्ली नगर निगम की मेयर के पास बहुत शक्ति होती है. मेयर में एलजी, दिल्ली सरकार, एमसीडी, एनडीएमसी की अलग-अलग इकाइयां हैं। इन जगहों पर अलग-अलग लोगों का कंट्रोल है। हालांकि कई बार लोग यह सवाल भी पूछते हैं कि मेयर अधिक शक्तिशाली या दिल्ली के सीएम। देश की राजधानी दिल्ली में मेयर की शक्तियों को देखा जाए तो यह एक अहम पद है। शक्तियों के लिहाज से देखा जाए तो कुछ मामलों में दिल्ली के सीएम से भी अधिक शक्तियां होती हैं। मेयर नगर निगम के किसी से जुड़ा कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। मेयर की ओर से लिया गया कोई फैसला एलजी या सेंटर के पास भेजने की जरूरत नहीं होती। किसी भी कर्मचारी और अधिकारी के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार मेयर के पास होता है। मेयर अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है हालांकि इस बार आम आदमी पार्टी का एमसीडी पर कब्जा है तो, टकराव अधिक देखने को नहीं मिलेगा। लेकिन ये भी तय है कि एलजी की दखलअंदाजी नहीं चलने से भाजपा आए दिन मेयर को परेशान करने की कोशिश जरूर करेगी.