रांची : हेमंत सरकार को नियोजन नीति मामले में हाईकोर्ट से मिली हार के बाद फिर वही नियोजन नीति को लागू करने की सरकार की मंशा पर युवाओं का विरोध शुरू हो गया है. युवाओं ने पलाश के फूल से 40 फीसदी का विरोध किया। युवाओं ने 60:40 नाय चलतो कहा है। 10 मार्च को ट्विटर महाअभियान चलाया जाएगा। सभी युवाओं से इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि युवाओं से राय लेकर ही फिर वही पुरानी नियोजन नीति पर अमल करने की बात सामने आई थी. इसमें करीब 72-73 प्रतिशत युवाओं ने पुरानी नियोजन पर अपनी सहमति जतायी थी.
अब बाहरी छात्रों की भागीदारी बढ़ेगी
अब युवाओं का कहना है कि यह नियोजन नीति नहीं, बल्कि छलावा है। पहले झारखंड के युवाओं के लिए नौकरी सुनिश्चित करने के लिए नियोजन नीति बनाने की बात कही, अब वो सारी शर्तें हटा दी गयी हैं, जो राज्य की नौकरियों में यहां के युवाओं की सीट सुरक्षित करती थी। ऐसे में विरोध करना जरूरी हो गया है। सरकार के खिलाफ राज्य के विभिन्न जिलों के युवा कल ट्विटर पर अभियान चलाएंगे। इसके बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी. युवाओं ने कहा है कि प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करनेवाले युवाओं ने जिस नियोजन नीति को सरकार युवाओं की राय पर तैयार नियोजन नीति बता रही है, वह उचित नहीं है। इस नियोजन नीति में ऐसी एक भी बात नहीं है, जो राज्य के युवाओं को राज्य में नौकरी सुनिश्चित करता हो। नयी नियोजन नीति में राज्य से 10वीं-12वीं की पढ़ाई राज्य के संस्थान से किया हो, उसे हटा दिया है। नई नियोजन नीति में 40 फीसदी सीटों को ओपन फोर ऑल कर दिया गया है। युवाओं कहना है कि आरक्षण की वजह से एक तो सीटें कम हो गई हैं। अब 40 फीसदी सीट में भी ओपन फोर ऑल कर दिया गया है तो इसमें भी बाहरी छात्रों की भागीदारी बढ़ेगी।
नीति उलझती रही, तो नौकरी उम्मीद नहीं रहेगी
बता दें कि हेमंत सरकार ने जिस नियोजन नीति को कैबिनेट से मंजूरी दी है, उसमें झारखंड के संस्थान से 10वीं-12वीं करने की योग्यता खत्म कर दी गयी है। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। वहीं भाषा के पेपर में हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत जोड़ा गया है। इस तरह से क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा पेपर में 15 भाषा होगा। एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि अगर ऐसे ही मामले को उलझाया गया तो फिर इस सरकार से नौकरी की उम्मीद छोड़ देनी होगी. सरकार के लिए अब मात्र डेढ़ साल का समय शेष है. अगर इस तरह से विरोध होता रहा तो फिर नियोजन नीति एक बार फिर ठंडे बस्ते में चली जाएगी.