नई दिल्ली : तमाम अवरोधों-विरोधों के बावजूद आम आदमी पार्टी (आप) की शैली ओबेरॉय बुधवार को दिल्ली की महापौर निर्विरोध चुन ली गईं, क्योंकि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की कमान फिलहाल ‘आप’ के हाथों में आ गया है। चुनाव में उन्हें टक्कर दे रही भाजपा की उम्मीदवार शिखा राय ने अपना नामांकन वापस ले लिया। इसी के साथ ओबेरॉय को दिल्ली के महापौर पद का एक और कार्यकाल मिल गया। अपना नामांकन वापस लेने वाली भाजपा उम्मीदवार राय ने सदन को बताया कि उन्होंने स्थायी समिति का चुनाव नहीं होने के कारण यह कदम उठाया। मौजूदा उप-महापौर आले मोहम्मद इकबाल भी एक बार फिर इस पद के लिए चुन लिए गए, क्योंकि भाजपा उम्मीदवार सोनी पाल ने अपना नामांकन वापस ले लिया। दिल्ली में महापौर पद के चुनावों में ओबेरॉय और राय के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना थी। ओबेरॉय को इससे पहले 22 फरवरी को चौथी कोशिश में महापौर चुना गया था, क्योंकि मनोनीत सदस्यों को मतदान का अधिकार देने के मुद्दे पर जारी गतिरोध के चलते चुनाव कराने के पिछले तीन प्रयास नाकाम हो गए थे।
भाजपा एमसीडी के चुनाव में ‘आप’ में सेंधमारी नहीं कर सकी
ओबेरॉय ने भाजपा की रेखा गुप्ता को 34 वोटों के अंतर से हराते हुए महापौर पद हासिल किया था। महापौर चुनाव में पड़े कुल 266 वोटों में से 150 वोट ओबेरॉय के खाते में गए थे, जबकि गुप्ता को 116 मत हासिल हुए थे। राष्ट्रीय राजधानी में महापौर पद का पांच साल का कार्यकाल एक-एक वर्ष के पांच कार्यकाल का होता है, जिसमें से पहला वर्ष महिलाओं के लिए, दूसरा वर्ष अनारक्षित श्रेणी के लिए, तीसरा वर्ष आरक्षित श्रेणी के लिए और बाकी के दोनों वर्ष अनारक्षित श्रेणी के लिए आरक्षित होते हैं। शहर को हर वित्त वर्ष की समाप्ति के बाद एक नया महापौर मिलता है। भाजपा एमसीडी के चुनाव में न आप पार्टी में सेंधमारी कर सकी और न कानूनी लड़ाई में जीत दर्ज कर पाई. इस तरह 15 साल के भाजपा शासन का आप ने खात्मा कर दिया. लेकिन यह भी सत्य है कि ओबेरॉय को महापौर का पद कांटों से भरा ताज मिला है.