गिरिडीह : भारतीय ग्रामीण इलाकों में आजादी के 75 वर्षों बाद भी कई सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पेयजल की पानी की समस्या से त्रस्त है. कई गांवों में तो लोग नदी में चुंआ खोदकर पानी का जुगाड़ करते हैं। गिरिडीह जिला मुख्यालय से सटे सदर प्रखण्ड के बड़कीटांड़ के लोगों को आज भी अपने घरों के आस-पास पानी नसीब नहीं है. एक तरफ जहां पीएम मोदी की सरकार हर घर को जल-नल योजना से जोड़कर शुद्ध पेयजल पहुंचाने की अति महत्वाकांक्षी योजना चला रही है. वहीं गिरिडीह के करहरबारी पंचायत के लगभग एक सौ घर वाले बड़कीटांड़ गांव के आज भी पीने के पानी से लेकर नहाने तक के लिए क्षेत्रीय नदी पर निर्भर है। इस गांव में अभी तक जल-नल योजना का लाभ नहीं पहुंचा है। इस गांव में जल नल योजना के तहत जलमीनार तो लगी है, पर वह एक शोभा की वस्तु बनी हुई है।
ग्रामीणों ने कहा-आखिर पानी के लिए कहां करें फरियाद…?
मिली जानकारी के अनुसार आसपास की महिलाएं गांव से कुछ दूरी पर नदी में चुंआ खोदकर पानी निकालती है और पथरीली पगडंडी से होकर पानी लाती है. तब जाकर उनके और उनके परिवार के सदस्यों की प्यास बुझती है. फिर उसी पानी से घर में भोजन बनता है और सभी नहाते भी हैं। यह क्रम महिलाओं की दिनचर्या में शामिल है. महिलाएं सुबह सबसे पहले दिनभर के पानी की व्यवस्था करती है, जिसमें घंटों समय लगता है. बरसात के दिनों में महिलाएं दूषित पानी को कपड़े से छानती है, तब जाकर परिवार के लोग इसे पीते हैं। इसके फलस्वरूप कई बार दूषित जल के सेवन से एक ही परिवार के कई लोग बीमार पड़ जाते हैं. इसका कारण यह है कि इस गांव में है चापाकल है, लेकिन वह भी अक्सर खराब रहता है। लोगों का कहना है कि पानी के लिए आखिर हमलोग कहां फरियाद करें, यह समझ से परे है.