14.1 C
Ranchi
Saturday, November 23, 2024
Advertisement
HomeBiharआदिवासियों के विकास को नई दिशा देगा रोहतासगढ़ का रिसर्च परिणाम :...

आदिवासियों के विकास को नई दिशा देगा रोहतासगढ़ का रिसर्च परिणाम : बंधु तिर्की

रांची : पूर्व मंत्री एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने सोमवार को रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के 6 शोधर्थियों का दल रोहतासगढ़ किले एवं आदिवासियों की स्थिति का अध्ययन करने के लिये बिहार रवाना किया. श्री तिर्की रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के परिसर में आयोजित एक समारोह में आम का डाहुरा दिखाकर शोधार्थियों के दल को रवाना करते हुए उन्होंने कहा कि बदलती परिस्थितियों एवं परिवेश के अनुरूप आदिवासियों की आर्थिक, सामाजिक, रीति-रिवाज, उनकी परंपरा आदि को संजोने के साथ ही शैक्षणिक सामाजिक एवं आर्थिक स्तर पर उनका उन्नयन सबसे बड़ी चुनौती है. कहा है कि अपने संतुलित एवं समन्वित विकास के लिये आदिवासियों को अपनी समृद्ध पारम्परिक रीति-रिवाज के साथ ही अपनी जड़ों पर ध्यान देना होगा. उन्होंने विश्वास जताया कि आदिवासियों, विशेषकर उरांव जनजाति के लिये बेहद पवित्र एवं ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण रोहतासगढ़ किले एवं आसपास के क्षेत्र में रहनेवाले आदिवासियों की शैक्षणिक, सामाजिक और वास्तविक स्थिति का आकलन करने के लिये होनेवाले अनुसंधान का परिणाम बहुत ही सकारात्मक होगा. रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के छह शोधार्थियों के दल के अनुसंधान का परिणाम ना केवल आदिवासियों की वर्तमान सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति को सामने लायेगा बल्कि वह भविष्य में नीति निर्माण के दृष्टिकोण से भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण होगा.

रोहतासगढ़ के आसपास के 85 गांवों में उरांव जनजाति की अच्छी-खासी संख्या : प्रो. हरि उरांव

इस अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के समन्वयक एवं कुडुख भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. हरि उरांव ने कहा कि जनजातीय जीवन, संस्कृति एवं परिस्थितियों के अनुसंधान और भविष्य के परिप्रेक्ष्य में दशा-दिशा तय करने के लिये यह रांची विश्वविद्यालय का एक सकारात्मक प्रयास है. उन्होंने कहा कि रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अजीत कुमार सिन्हा भी इस मामले में संवेदनशील हैं और उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग की द्वारा भविष्य में भी आदिवासी परंपरा एवं संस्कृति के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण स्थलों पर विभाग के शोधार्थियों द्वारा अनुसन्धान को प्रोत्साहित करने के साथ ही उसका व्यावहारिक लाभ उठाने का प्रयास किया जायेगा.  प्रो. उरांव ने कहा कि शोधार्थी दल के भ्रमण के दौरान रोहतासगढ़ में आदिवासियों विशेषकर उरांव जनजाति की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, रोजगार एवं उनके परिवार, पर्व-त्यौहार, रीति रिवाज का अध्ययन करने के साथ ही उनके पहुँचने और फिर पलायन के कारणों के विषय में भी विस्तृत अध्ययन किया जायेगा. प्रो. उरांव ने कहा कि उरांव जनजाति के प्रशासनिक एवं न्यायिक व्यवस्था, विवाद निपटारे के तरीके और प्रावधान, रोहतासगढ़ किले के निर्माण के अध्ययन के साथ ही वहाँ के पुरातात्विक महत्व का भी अनुसंधान किया जायेगा. प्रो. उरांव ने कहा कि 28 किलोमीटर की परिधि की परिधि में निर्मित चारदीवारी के अन्दर रोहतासगढ़ का किला अवस्थित है और उक्त किले के अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष जनजातीय परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि रोहतासगढ़ के आसपास के 85 गाँवों में आदिवासियों विशेषकर उरांव जनजाति की अच्छी-खासी संख्या है. प्रो. उरांव ने कहा कि शोधार्थियों के दल के अनुसंधान के पश्चात प्राप्त परिणामों से झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी अवगत कराया जायेगा. इसके अतिरिक्त बिहार के पर्यटन मंत्री तेजस्वी यादव से भी मिलकर उन्हें रोहतासगढ़ क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही वहां के पुरातात्विक महत्व के स्थलों के संरक्षण-संवर्धन पर प्रतिवेदन समर्पित किया जायेगा. सरिता कुमारी के नेतृत्व में रोहतासगढ़ रवाना हुए शोधार्थियों के दल में सुखराम उरांव, जगदीश उरांव, प्रियंका उरांव, शीला कुमारी आदि शामिल हैं.

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments