रांची : झारखंड में पेसा कानून नियमावली लागू होने पर जनजाति सुरक्षा मंच के क्षेत्रीय संयोजक संदीप उरांव ने शुक्रवार को राज्य के आदिवासी एवं राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को बधाई एवं धन्यवाद दिया है. जनजाति सुरक्षा मंच राज्य में पेसा कानून लागू कराने के लिए लगातार संघर्षरत रहा है. पेसा कानून लागू करने की मांग विभिन्न स्तरों पर जनजाति सुरक्षा मंच लगातार करते आ रहा है. उसी का फल है कि शुक्रवार झारखंड में पेसा कानून लागू होने को है. केंद्र सरकार द्वारा 1996 में बनायी गयी नियमावली को झारखंड में हू-ब-हू लागू करने से आदिवासियों की अस्मिता उनकी सुरक्षा में बल मिलेगा रुढ़ि जनविधि को भी पेसा कानून के माध्यम से बल मिलेगा, पेसा कानून लागू होने से जनजातियों की संवैधानिक अधिकार को, ग्राम सभा के अधिकार को मजबूती मिलेगी.
ईसाई मिशनरियों व राज्य सरकार के गतिरोध के कारण पेसा कानून लागू नहीं हो पा रहा था
जनजातीय सुरक्षा मंच के क्षेत्रीय संयोजक संदीप उरांव और तमाम कार्यकर्ताओं ने कहा है कि झारखंड में राज गठन के साथ ही पेसा कानून लागू हो जाना था. लेकिन चर्च ईसाई मिशनरियों और कांग्रेस झामुमो द्वारा व्यवधान खड़ा कर विरोध के प्रयास से पेसा कानून लागू नहीं हो पाया. चर्च ने ग्रामसभा में धर्मांतरितों को जगह देने के लिए लगातार सरकारी तंत्र को उलझाते रहा, ग्रामसभा के जरिए से अब आदिवासी जनजातियों की रुढ़िगत परंपरा-संस्कृति के साथ-साथ परंपरागत न्यायिक व्यवस्था को भी मजबूत किया जा सकेगा. संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत केंद्र से मिलने वाले ट्राइबल सब प्लान की राशि से जनजातियों के कल्याण के लिए ग्रामसभा में कई प्रकार के निर्णय लिए जा सकेंगे. साथ ही जनजातियों के हो रहे धर्मांतरण को भी रोकने में पेसा कानून कारगर साबित होगा. मूल जनजातियों की संवैधानिक अधिकार अब संरक्षित हो सकेंगे. जनजाति सुरक्षा मंच के आंदोलन का ही परिणाम है कि पेसा कानून में रूढ़िजन विधि को जगह देते हुए पेसा लागू किया जा रहा है.