डकरा – सीसीएल की सबसे बड़ी और पायलट प्रोजेक्ट एनके एरिया का भूमिगत कोयला खदान चुरी में जल्द ही दो मैन राइडिंग व्हीकल चलने लगेगा.20-20 करोड़ की लागत से कोल इंडिया द्वारा इसे अस्ट्रेलिया से खरिदा गया है.व्हीकल जून 2021 में चुरी पहुंचा था लेकिन उस समय इसे चलाने के लिए जरूरी तैयारी नहीं थी.चूरी झारखंड का पहला और देश का दूसरा एसा खदान होगा जहां मैन राइडिंग व्हीकल चलेगा. अभी इसीएल के झांझरा खदान में तीन व्हीकल चल रहा है. एक व्हीकल का वजन छह टन है जिसमें ऑपरेटर सहित एक बार में कुल 14 लोग बैठकर खदान के भीतर आना-जाना कर सकेंगे.खदान में इसे चलाने के लिए डीजीएमएस के आदेश इंतजार है.
क्या होगा फायदा
डकरा. इसके इस्तेमाल से कामगारों को आने जाने में काफी सहुलियत होगा. खदान पूरी तरह अप-डाउन है और कार्यस्थल पर आने-जाने में एक-सवा घंटा लग जाता है.थकावट से कामगारों का कार्यक्षमता भी प्रभावित होता है सबसे बड़ी बात यह है कि काम करके लौटते समय कामगारों की स्थिति मानवीय द्ष्टिकोण से बहुत खराब लगता था और वे घुटने आदि की समस्या से त्रस्त रहते थे.
ट्रायल सफलता पूर्वक हुआ फोटो 01 डकरा 01 मैन राइडिंग व्हीकल का ट्रायल करते हुए अधिकारी
डकरा. डीडीएमएस मैकेनिकल रविंदर बोनथा के देखरेख में शुक्रवार को मैन राइडिंग व्हीकल का सफलतापूर्वक ट्रायल संपन्न कराया गया. वे पहले खुद खदान के भीतर गए और निरीक्षण के बाद खाली व्हीकल को अंदर भेजा बाद में एक टन का वजन लगा कर उसे अंदर भेजा.उन्होनें बनाए गए सड़क ठीक बताया है.मौके पर पीओ अनुज कुमार, मैनेजर शैलेश कुमार, सुजय चटर्जी, राजेंद्र प्रसाद, श्रमिक प्रतिनिधियों में प्रेम कुमार, धीरज कुमार, रविन्द्र बैठा, धनंजय कुमार, संयमी निधि आदि मौजूद थे.
हाॅलेज समस्या बन सकता है
डकरा.खदान के भीतर भारी सामान लाने और ले जाने के लिए बना हाॅलेज जिसके लिए रेलवे ट्रैक बना हुआ है वह समस्या हो सकती है.सुत्रों ने बताया कि डीडीएमएस ने उसे हटाने के लिए कहा है अगर उसे हटाने की नौबत आई तो मैन राइडिंग व्हीकल परियोजना के लिए बड़ी समस्या भी बन सकता है क्योंकि हाॅलेज खदान के भीतर कार्यस्थल तक लगभग तीन-चार किमी तक जाता है जबकि व्हीकल मात्र 500 मीटर तक जाएगी एसे में भारी सामानों भेजना और लाना बड़ी समस्या हो जाएगी.
NEWS – SUNIL KUMAR.