हजारीबाग सदर विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार विधायक रहे मनीष जायसवाल को संसदीय चुनाव में अपने परिवार का भी भरपूर सहयोग मिला, तो उनका मनोबल पूरे चुनाव प्रचार में ऊर्जा के रूप में काम किया। विधायक बनते ही उनके पिता ब्रजकिशोर जायसवाल का सपना साकार हो गया था और सांसद बनने के बाद पिता के अरमान की बुलंदी आसमान छू उठी। …और हो भी क्यों नहीं, आखिर उनके पिता ब्रजकिशोर जायसवाल ने भी क्षेत्र के जनप्रतिनित्व का कभी सपना देखा था, लेकिन कुछ ही अंतराल से उन्होंने वह मुकाम हासिल नहीं कर पाया था।
आज उनके जिगर के टुकड़े मनीष जायसवाल ने यह कमाल कर दिखाया। मनीष जायसवाल को राजनीति में रुचि अपने पिता ब्रजकिशोर जायसवाल के चुनावी कार्यों की बदौलत ही जगी। इनके पिता ब्रजकिशोर जायसवाल वर्षों तक हजारीबाग नगर परिषद में अध्यक्ष पद पर रहे। बाद में वे जिला परिषद अध्यक्ष जैसे अहम पद पर भी जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से आसीन हुए। लेकिन विधायक-सांसद का चुनाव जीतना शायद उनकी किस्मत में नहीं था। ब्रजकिशोर जायसवाल ने बड़े अरमान से कई बार जनता की अदालत में विधायक-सांसद प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमाई और जीत के करीब पहुंचकर भी असफल हुए।
विधायक-सांसद के चुनाव में जनता की अदालत में असफल होने की टीस ब्रजकिशोर जायसवाल के दिल में कील बनकर वर्षों तक चुभती रही। लेकिन अपने पिता के नक्शे-कदम पर चलते हुए मनीष जायसवाल ने न सिर्फ अपने पिता की दिली ख्वाहिशें पूरी कीं, बल्कि लगातार दो बार सदर विधानसभा क्षेत्र की जनता का दिल जीतकर उन्होंने अपने पिता और परिवार के अरमान को भी पूरा किया, बल्कि संसदीय क्षेत्र का भी अब वह प्रतिनिधत्व करेंगे। जायसवाल परिवार के चिराग मनीष जायसवाल के सांसद बनने के इस बड़ी उपलब्धि पर उनके पिता ब्रजकिशोर जायसवाल ने डबडबाई आंखों से खुशी का इजहार करते हुए कहा कि जो मैं न कर सका उसे मेरे लाल ने पूरा कर मुझे जीतेजी आत्मिक खुशी की अपार अनुभूति दी और मेरे दिल में जो टीस साल रहा था, उसे समाप्त कर दिया।
उन्होंने बताया कि क्षेत्र के महिला- पुरुष जब मुझे कहते हैं कि”बादल बाबू आपने बेटा नहीं, हीरा पैदा किया है। वह सिर्फ आपका पुत्र नहीं, जन-जन का लोकप्रिय बेटा और क्षेत्र का नेता है, तो सच कहता हूं मुझे जो आत्मिक खुशी की अनुभूति होती है, वह मेरे जीवन का अमूल्य उपहार है। मुझे मेरे पुत्र मनीष जायसवाल पर नाज और गर्व है। मनीष जायसवाल की पत्नी निशा जायसवाल ने विधायक और अब सांसद मनीष जायसवाल की सेवा और सुलभता को उनकी इस उपलब्धि के काबिल बताया।
हजारीबाग से कभी दूर नहीं हुए मनीष
हजारीबाग से मनीष जायसवाल का गहरा लगाव रहा है यही कारण है कि किसी अन्य शहरों में इनका मन नहीं बसा। शिक्षा- दीक्षा और व्यवसायिक कारणों से कईएक बार इन्हें शहर से बाहर भेजने की कोशिश इनके परिवार द्वारा की गई लेकिन मनीष जायसवाल का मन कभी भी हजारीबाग से दूर नहीं हुआ। हजारीबाग की भाषा, रहन- और यहां के जीवन शैली के साथ इन्हें सदैव रहना पसंद आया। यूं तो मनीष जायसवाल का जन्म उनके ननिहाल बिहार राज्य के मोतिहारी में हुआ लेकिन जन्म के तुरंत बाद उन्हें हजारीबाग लाया गया। वहां उनकी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा संत जेवियर स्कूल, हजारीबाग में हुई।
इंटरमीडिएट की पढ़ाई इन्होंने संत जेवियर स्कूल, बोकारो से पूरी करने के पश्चात पुनः हजारीबाग लौट आए और संत कोलंबा महाविद्यालय हजारीबाग से इन्होंने प्रतिष्ठा के विषय इतिहास से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। स्नातक की पढ़ाई के बाद इन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर अपने पारिवारिक व्यवसायों में ध्यान दिया। व्यवसाय को इन्होंने अपने उत्कृष्ट कार्यशैली और कुशल प्रबंधकीय कौशल से सफलता की और अग्रसर करते हुए काफी आगे बढ़ाया।
नप से राजनीतिक कैरियर की शुरुआत कर दो बार विधायक और अब सांसद बनने तक का तय किया सफर
मनीष जायसवाल ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत वर्ष 2008 में नगर परिषद चुनाव से की। जिसमें उन्होंने पहली बार हजारीबाग नगर परिषद से उपाध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा और विजयी हुए। सेवा भाव और जनता से सीधा नाता रखना इनके राजनीतिक कैरियर को अन्य नेताओं से अलग करता है। नगर परिषद के चुनाव प्रचार के दौरान मार्च का महीना होने के बावजूद भी इन्होंने प्रचंड धूप में पदयात्रा करते हुए निगम परिषद क्षेत्र के एक- एक घर तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। यही कारण रहा कि इस चुनाव में इन्हें प्रचंड मतों से विजयश्री मिली।
इस दौरान इनकी लोकप्रियता राजनीति में बढ़ती गई और जनता में इनका पैठ भी मजबूत होता गया। इसी बीच जब तक इन पर किसी राष्ट्रीय दलों के नेता डोरे डालते तब तक झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी की पारखी नजर इन पर पड़ी और वर्ष 2011 के नवंबर माह में हजारीबाग लोकसभा क्षेत्रांतर्गत मांडू विधानसभा के उपचुनाव में इन्हें झाविमो प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा। जिसमें वे पराजित हुए। लेकिन मांडू चुनाव हारने के बाद से तुरंत इन्होंने 2012 के नव वर्ष से ही हजारीबाग सदर विधानसभा क्षेत्र का ताबड़तोड़ दौरा शुरू किया और कम समय में सदर विधानसभा क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की।
फिर समय की नजाकत को देखते हुए उन्होंने 27 नवंबर 2013 को अपने हजारों समर्थकों के साथ भाजपा जिला कार्यालय अटल भवन सभागार में झाविमो के केंद्रीय सदस्य सह सदर विधानसभा प्रभारी के पद से इस्तीफा देते हुए भाजपा का दामन थामे। वर्ष 2014 में हजारीबाग सदर विधानसभा क्षेत्र में इनकी लोकप्रियता और जनता के बीच पकड़ को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार विधायक का टिकट दिया और अपनी पूरी शिद्दत से वह चुनाव लड़े और बड़ी जीत के साथ पहली बार विधायक बने। विधायक बनने के उपरांत नेता नहीं एक बेटा के रूप में इन्होंने सदैव विधानसभा क्षेत्र में रहकर आजादी के बाद पहली बार विकास की गति को क्षेत्र में प्रगति दी और जनमानस के बीच सर्वसुलभ जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। झारखंड विधानसभा के पटल पर हजारीबाग कि जनमानस का आवाज बड़े ही बुलंदी से उठाया। इन्होंने अपने करीब 05 वर्षों के कार्यकाल में कई अनोखे और अतुल्य कार्य किए।
इन्हीं कार्यों का नतीजा रहा के भाजपा ने इनकी कार्यशैली और कुशलता को देखते हुए पुनः 2019 के चुनाव में प्रत्याशी घोषित किया। सदर विधानसभा क्षेत्र में मनीष जायसवाल को भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के साथ ही चुनाव परिणाम उनके पक्ष में दिखना शुरू हो गया। उनके मधुर व्यवहार और कार्यकुशलता हजारीबाग सदर विधानसभा क्षेत्र के जन- जन के मन-मन में रच बस गया और जनता ने फिर एक बार अपने मन के मनीष जायसवाल को विधायक चुना। 2019 में विधायक बनने के बाद साल 2020 और 2021 के कोरोना कल में निर्बाध रूप से क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए कोरोना ग्रसित लोगों से लेकर प्रवासी और जरूरतमंद लोगों को जो अभूतपूर्व सेवा उन्होंने दी उसे न सिर्फ हजारीबाग बल्कि पूरे झारखंड और देश स्तर पर उनकी ख्याति हुई। फिर सड़क से लेकर सदन तक सनातन संस्कृति और हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर मुखर रहें।
हजारीबाग के ऐतिहासिक रामनवमी के मामले में सदन पर जब उन्होंने कुर्ता फाड़कर विरोध किया तो हजारीबाग वासी उनके कायल हो गए। जनहित से जुड़े कई ज्वलंत मुद्दों को उन्होंने बेबाकी से सड़क से लेकर सदन पटल तक उठाया। जिसका सुखद नतीजा हुआ की पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उनपर विश्वास जताते हुए साल 2024 में हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से बड़ा बदलाव करते हुए केंद्रित वित्त राज्य मंत्री और केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री रहें सीटिंग सीट के सांसद जयंत सिन्हा का टिकट काटकर मनीष जायसवाल को टिकट दिया और अब सांसद के रूप में मनीष जायसवाल क्षेत्र और देश की सेवा करेंगे।
साफगोई, सादगी, सक्रियता और सर्वसुलभता रही मनीष जायसवाल की पहचान
विगत झारखंड विधानसभा चुनाव में हजारीबाग सदर विधानसभा क्षेत्र के अन्य सभी प्रत्याशियों के मुकाबले हर मामले में मनीष जायसवाल बीस रहे। वर्ष 2014 के चुनाव में उन्हें वोट करने वाले मतदाताओं में श्री जायसवाल के पारिवारिक पृष्ठभूमि को लेकर यह चर्चा आम थी कि चुनाव जीतने के बाद मनीष जायसवाल अपने व्यवसाय में अधिक ध्यान देंगे। लेकिन मनीष जायसवाल ने अपने मेहनत और परिश्रम से लगातार क्षेत्र का दौरा कर और विकास करते हुए अपनी साफगोई, सादगी, सक्रियता और सर्वसुलभता का एहसास ना सिर्फ जनता को कराया बल्कि जनता के हरेक सुख- दुख में सहभागी बनकर उनके साथ खड़े रहे।
क्षेत्र की जनता के सोहुलियत के लिए विधायक बनते ही उन्होंने शहर के बीचो-बीच झंडा चौक के समीप विधायक कार्यालय की स्थापना की। जहां प्रतिदिन वे अपने दिनचर्या की शुरुआत यहां पहुंचने वाले सैकड़ों जनता की समस्याओं का हल निकाल कर करते रहे तत्पश्चात क्षेत्र के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निकलते थे। हर समय दूसरों के मदद को तन, मन और धन से तैयार रहना श्री जायसवाल की बड़ी विशेषता रही। इनकी क्वालिटी साफगोई और सादगी रही।
जो काम इनसे नहीं हो सकता खुलकर लोगों को बोल देते और जो हो सकता था उसे तुरंत करने में पीछे नहीं हटते थे। क्षेत्र के लोग जितनी सुलभता से अपने विधायक से मिले और उनका काम हुआ उससे निश्चित रूप से जनता को जहां बड़ी सहूलियत हुई वहीं जनता के बीच मनीष जायसवाल की पहचान जन नेता के रूप में बनी।
फेयर और पॉजिटिव पोलिटिक्स ने बनाया जन-जन का चहेता, मोदी का मनीष बन जीता दिल
मनीष जायसवाल का फेयर और पॉजिटिव पोलिटिक्स ने उन्हें जन-जन का चहेता बना दिया। उन्होंने कभी भी नेगेटिव पॉलीटिक्स नहीं की। विरोधियों यानी व्यक्ति विशेष पर कभी सियासी निशाना नहीं साधा। संसदीय चुनाव में वे मोदी का मनीष बन प्रचार में उतरे और पार्टी के एजेंडे और खुद की बनाई रणनीति पर ही काम किया। यह साफ-सुथरा सियासी कॉरीडोर ही उन्हें जीत की राह तय कराई।
हजारीबाग संसदीय सीट से भाजपा संगठन ने भी मनीष जायसवाल की कुशलता पर विशेष विश्वास जताते हुए स्टार प्रचारकों की भूमिका पर भी फोकस नहीं किया। मनीष जायसवाल के नामांकन सभा में राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा, बरही विधानसभा क्षेत्र में मध्य प्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव, रामगढ़ विधानसभा के रजरप्पा में आसाम के सीएम डॉ हिमंता विश्व शर्मा और बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ही स्टार प्रचारक के रूप में चुनाव प्रचार में पहुंचे।
सिमरिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हजारीबाग और चतरा जिले के लिए साझा चुनावी जनसभा हुआ। जबकि पहले के लोकसभा चुनावों में भाजपा के सिर्फ नेता हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचते रहें हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मनीष जायसवाल के पक्ष में वीडियो जारी कर हजारीबाग की जनता से उनके पक्ष में मतदान करने का अपील किया था।
न्यूज़ – VIJAY CHAUDHARY.