विपक्ष का आरोप: स्पीकर ने अपने पद का निष्पक्ष रूप से उपयोग नहीं किया और सीएम के हित की रक्षा करते हुए सरकार के इशारे पर विधायक सुदिव्य कुमार द्वारा लाये गये निलंबन प्रस्ताव पर भाजपा विधायकों को निलंबित किया.
सदन में सीएम ने अपना भाषण दिया. उसके बाद स्पीकर के भाषण के साथ ही सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया
रांची : हेमंत सोरेन की सरकार का अनुपूरक बजट के अलावा बगैर कोई बिजनेस के विधानसभा के मॉनसून सत्र का शुक्रवार को अवसान हो गया. आज छठे और आखिरी दिन भी विपक्ष के हंगामे के साथ सदन की शुरुआत हुई और हंगामे पर ही खत्म हुई. पूरा मॉनसून सत्र विपक्ष के हाईवोल्टेज ड्रामे से जनहित के मुद्दे गौण रहे. विपक्ष सरकार को जवाबदेह बनाने से चूक गया और सत्तापक्ष ने इसका भरपूर फायदा उठाया. भोजन अवकाश के बाद 2 बजकर 19 मिनट पर सदन की कार्यवाही शुरू हुई. बीजेपी के 18 निलंबित विधायक जयश्री राम का नारा लगाते हुए सदन में प्रवेश तो किया पर निलंबित विधायक आसन में जाने के बजाय वेल में आ गये और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जवाब देने की बात पर फिर अड़ गये. नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि संसदीय इतिहास में पहली बार सदन की कार्यवाही खत्म होने के बाद विधायकों पर कार्रवाई हुई. कहा कि जब तक मुख्यमंत्री नही बोलेंगे, हमारा विरोध जारी रहेगा. बीजेपी विधायक फिर से वेल में आये. सदन में फिर मार्शल पहुंचे. विपक्ष का कहना था कि झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष ने अपने पद का निष्पक्ष रूप से उपयोग नहीं किया और मुख्यमंत्री के हित की रक्षा करते हुए सरकार के इशारे पर झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार द्वारा लाये गये निलंबन प्रस्ताव पर भाजपा विधायकों को निलंबित किया. जबकि अमूमन इस प्रकार का प्रस्ताव संसदीय कार्यमंत्री सदन में लाते हैं और उसके पूर्व में कार्यमंत्रणा समिति की बैठक होती है. लेकिन कोई बैठक नहीं हुई. इस बीच सदन में सीएम ने अपना भाषण दिया. उसके बाद स्पीकर के भाषण के साथ ही सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.
विपक्ष का आरोप: रवींद्रनाथ महतो स्पीकर से अधिक, जेएमएम कार्यकर्ता की भूमिका में नजर आए
स्पीकर द्वारा निलंबन की कार्रवाई से बौखलाए विपक्ष ने रवींद्रनाथ महतो को पद से हटाने की मांग की। इसके लिए विधानसभा के प्रभारी सचिव को बीजेपी विधायकों ने पत्र लिखा है। विधायकों ने प्रभारी सचिव से झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन के नियम 158 (1) के तहत उन पर कार्रवाई की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि स्पीकर ने अपने पद का सही रूप से निर्वहन नहीं करते हुए करीब 05 वर्ष तक अध्यक्ष की भूमिका में कम और झामुमो के कार्यकर्ता के रूप में ज्यादा कार्य किया, इसका प्रमाण है विधानसभा अध्यक्ष रहते 2024 के संपन्न लोकसभा चुनाव में दुमका लोकसभा क्षेत्र में झामुमो का झंडा लगाकर झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन के पक्ष में चुनाव प्रचार किया। यहां तक कि झारखंड हाईकोर्ट की बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित कर वापस भेजने के लिए कार्ययोजना शीघ्र बनाने का निर्देश हेमंत सरकार को दिया था, दुर्भाग्य से स्पीकर ने हाईकोर्ट को भी नहीं बख्शा और सार्वजनिक रूप से कहा कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों का कोई मामला ही नहीं है। स्पीकर ने अपने पद पर रहते हुए लगभग 04 वर्ष तक भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सहित कई भाजपा विधायकों को पूर्वाग्रह से ग्रसित रहकर सदन के अंदर बोलने तक नहीं दिया तथा कई विधायकों की पूरे सत्र के दरम्यान एक बार भी ध्यानाकर्षण की सूचना ग्रहण नहीं किया है।
स्पीकर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर होगा
पत्र में स्पीकर पर अपने पद का दुरुपयोग लगाते हुए कहा गया कि भाजपा के गोड्डा के सांसद के व्यक्तिगत बयान की भी सदन में चर्चा कर झामुमो एवं कांग्रेस के विधायकों को भी उकसाने का काम किया। स्पीकर ने अपने पद पर रहते हुए भाजपा विधायकों पर झूठा आरोप लगाया कि भाजपा विधायकों ने महिला एवं पुरुष मार्शलों के साथ दुर्व्यवहार किया है, इससे दुखी होकर हम सभी भाजपा विधायक सक्षम न्यायालय में विधानसभा अध्यक्ष के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे। पत्र में कहा गया कि स्पीकर अपने पद का संवैधानिक दायित्व निर्वहन करने में पूरी तरह से असफल रहे तथा विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्यसंचालन एवं निष्पादन का सुचारू ढंग से करने में असफल रहे। पत्र में कहा गया कि स्पीकर ने अपने पद पर रहते हुए नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी और अन्य विधायकों द्वारा युवाओं को पांच लाख नौकरी, बेरोजगारी भता, पारा शिक्षक, सहायक पुलिस, होम गार्ड, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका एवं रसोईया, पारा मेडिकल कर्मी, मनरेगा कर्मी, पंचायत कर्मी सहित कार्यरत सभी अनुबंध कर्मियों को 2019 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन द्वारा स्थायी करने और समस्त मांगों को पूरा करने का झूठा वादा किया था. उन्हीं वादों पर भाजपा विधायक सीएम हेमंत सोरेन से सदन में जवाब चाह रहे थे. लेकिन जवाब दिलवाने की जगह अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष के साथ सही बर्ताव नहीं किया..