वन नेशन वन इलेक्शन राष्ट्र हित में होनी चाहिए । यदि यह किसी राजनेता या किसी राजनीतिक दल का चुनाव जीतने के उद्देश्य से अपनाया गया हथकंडा है तो फिर उसके घातक परिणाम हो सकते हैं। उक्त बातें राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष तथा समाज विज्ञान संकाय के पूर्व संकायअध्यक्ष डॉ सीपी शर्मा ने कही। डॉ शर्मा राजनीति विज्ञान विभाग मे ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ विषय पर मंगलवार को व्याख्यान दे रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने किया।
डॉ शर्मा ने बताया की कैसे भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में इसी विषय पर अनुशंसा हेतु पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का भी गठन किया गया था।
उन्होंने बताया कि वन नेशन वन इलेक्शन करने के समर्थन में वर्तमान व्यवस्था की जो खामियां हैं उसे बताया गया है। यह निम्नलिखित है: राष्ट्र को हमेशा चुनाव की अवस्था मे रखना, धन का अत्यधिक व्यय होना, आचार संहिता के कारण विकास कार्यों का रुक जाना, प्रशासनिक यंत्र का चुनाव कार्य में उलझा रहना, बार-बार सामाजिक सद्भावना पर प्रतिकूल प्रभाव पढ़ना, निजी पूंजी का निवेश नहीं हो पाना, आदि।
डॉ शर्मा ने कहा कि इसके विरोध में भी कुछ तर्क दिए गए हैं, जैसे की बड़े पैमाने पर संविधान में संशोधन करना, अत्यधिक धन का व्यय होना, एक साथ अनेक प्रकार के चुनाव व्यावहारिक रूप से नहीं कर पाना, मतदाताओं को भ्रमित करना व उलझन मे डालना, क्षेत्रीय मुद्दों का गौण हो जाना, संघवाद तथा लोकतंत्र का कमजोर होना, आदि।
इस अवसर पर विभागीय शिक्षक डॉ रीता कुमारी, डॉ अजय बहादुर सिंह एवं विभागीय शोधार्थी रुखसाना परवीन, धर्मेंद्र कुमार, महेंद्र पंडित, रवि विश्वकर्मा, विकास कुमार रवि ने भी अपने विचार रखें। कुछ विद्यार्थियों ने अर्थपूर्ण प्रश्न भी पूछे।
News – विजय चौधरी