चंपाई ने कहा-कितनी शर्म की बात है कि जिनके आंदोलन से झारखंड बना उसके पीछे ही जासूस लगा दिया…मुझे भरोसा है आदिवासियों को सही पहचान दिलाने की लड़ाई सिर्फ भाजपा ही लड़ सकती है
रांची : झारखंड के पूर्व सीएम और पूर्व झामुमो नेता चंपाई सोरेन ने शुक्रवार को रांची में भाजपा दामन थाम लिया. भाजपा में शामिल होने के बाद पहली बार चंपाई सोरेन ने अपने संबोधन में झामुमो में अपमान की चर्चा के अलावा और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. चंपाई ने कहा कि झामुमो का कांग्रेस के साथ गठबंधन है. इसलिए मैं इस पार्टी में आया हूं. मुझे पीएम मोदी और गृहमंत्री पर पूरा भरोसा है. उन्होंने कहा कि जिस उम्मीद के साथ झारखंड का गठन किया गया था वह झारखंड भाजपा के साथ मिलकर ही बनेगी. चंपाई ने कहा कि कितनी शर्म की बात है कि जिनके आंदोलन से झारखंड बना उसके पीछे ही जासूस लगा दिया. मेरी ईमानदारी और भरोसे के कारण ही विश्व की सबसे बड़ी पार्टी में मुझे आज सदस्यता मिली. चंपाई सोरेन ने अपने भाषण के अंत में जय श्रीराम के नारे भी लगे.
अब कमल खिला कर संतालपरगना को बचाएंगे चंपई
चंपई ने कहा कि झामुमो को अपने खून-पसीने से सींचा और एक लंबे संघर्ष के बाद बाहर आ गए. उन्होंने कहा कि झामुमो में मैं बहुत अपमानित महसूस कर रहा था. पार्टी में अपमान के बाद वह संन्यास लेने के बारे में सोच रहे थे लेकिन जनता का प्यार देखकर अपना फैसला वापस लिया. नया दल बनाने के बारे में सोचा लेकिन समय बहुत कम था. इसलिए अंत में भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया. चंपाई ने कांग्रेस को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हमें याद है झारखंड आंदोलन के समय अगर गोली कांड हुआ था तो, केवल कांग्रेस के कारण हुआ था. कोल्हान में गोली कांड कांग्रेस शासन में हुआ. इस पार्टी ने झारखंड आंदोलन को उस समय कुचलने का काम किया था. उन्होंने कहा कि जिस संतालपरगना को हमारे पूर्वजों ने बनाया, आज वहां बांग्लादेशी घुसपैठियों का बोलबाला है. ऐसे में वहां कमल खिला कर हम उसे बचाएंगे. जो 40 साल पहले मेरी आवाज थी आज भी वही है. वह कहते हैं कि आज आदिवासियों की पहचान संकट में है. ये लड़ाई कोई और पार्टी नहीं लड़ सकती है. ये लड़ाई सिर्फ भाजपा ही लड़ सकती है और इंसाफ दिला सकती है.
चंपाई सोरेन का काफी संघर्षपूर्ण रहा राजनीतिक सफर
चंपाई सोरेन को राजनीति का लंबा अनुभव है. 80 के दशक में झारखंड आंदोलन से राजनीति में एंट्री की थी. चंपाई सोरेन की गिनती झामुमो के वरिष्ठ नेताओं में होती थी. इनका राजनीतिक सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है. गम्हरिया प्रखंड के जिलिंगगोडा गांव में एक किसान परिवार में जन्मे चंपाई सोरेन ने 10वीं तक की पढ़ाई की है. इसके बाद पढ़ाई छोड़ झारखंड आंदोलन में कूद गए. 90 के दशक में उन्होंने जमशेदपुर और आस-पास के क्षेत्रों में असंगठित मजदूरों के हित में बड़े आंदोलन किए. वर्ष 1991 से 2019 तक सरायकेला विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए विधानसभा चुनाव में एक टर्म को छोड़कर उन्होंने सभी चुनावों में जीत दर्ज की है. सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से चंपाई सोरेन ने अब तक छह बार जीत दर्ज की है, जबकि उन्हें वर्ष 2000 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. चंपाई सोरेन कोल्हान टाइगर के नाम से लोकप्रिय हैं. वह झामुमो में भी केंद्रीय समिति के कई पदों पर रह चुके हैं. पूर्व में वह पार्टी में उपाध्यक्ष, महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों को संभाल चुके हैं.