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Monday, January 20, 2025
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छत्तरपुर पुल पर सड़क दुर्घटना: जीजा-साला की दर्दनाक मौत, परिजनों में शोक

गुमला जिले के चैनपुर थाना अंतर्गत छत्तरपुर पुल के पास एक दर्दनाक सड़क हादसे में जीजा रौशन लोहारा और साला नीलकंठ लोहारा की मौत हो गई। यह हादसा शुक्रवार रात करीब 9:30 बजे हुआ, जब दोनों मजदूरी से घर लौट रहे थे। इस घटना ने न केवल उनके परिवार को गहरे शोक में डाल दिया, बल्कि सड़क सुरक्षा की गंभीरता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।


दुर्घटना का विवरण: कैसे हुई घटना?

रौशन लोहारा (छत्तरपुर, रैनटोली निवासी) और नीलकंठ लोहारा (मुंडा टोली निवासी) शुक्रवार सुबह एक ही बाइक पर सवार होकर मजदूरी के लिए घर से निकले थे।

  • समय और स्थान:
    देर रात 9:30 बजे, छत्तरपुर पुल के पास उनकी मोटरसाइकिल दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
  • घटनास्थल पर ही मौत:
    दुर्घटना इतनी भयानक थी कि दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।

परिजनों को हादसे की खबर देर रात मिली, जिसके बाद उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचित किया।


पुलिस की त्वरित कार्रवाई

चैनपुर थाना पुलिस को दुर्घटना की सूचना मिलने पर उन्होंने तुरंत कार्रवाई की।

  1. घटनास्थल पर पहुंचकर शव बरामद किए:
    पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों शवों को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए गुमला सदर अस्पताल भेजा।
  2. शीतगृह में रखा गया शव:
    शवों को शनिवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा गया।
  3. प्रारंभिक जांच:
    दुर्घटना के संभावित कारणों की जांच की जा रही है। प्राथमिक तौर पर यह माना जा रहा है कि अंधेरा और सड़क की खराब स्थिति हादसे की वजह हो सकती है।

परिवार और गांव में शोक का माहौल

रौशन और नीलकंठ दोनों अपने परिवार के लिए आर्थिक सहारा थे।

  • रौशन लोहारा:
    छत्तरपुर के रैनटोली गांव के निवासी और अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे।
  • नीलकंठ लोहारा:
    मुंडा टोली गांव के युवा, जो अपने जीजा के साथ मजदूरी करने जाया करते थे।

इस हादसे ने दोनों गांवों में शोक की लहर फैला दी है। ग्रामीणों ने प्रशासन से सड़क सुरक्षा और प्रकाश व्यवस्था में सुधार की मांग की है।


सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते मामले: एक गंभीर चिंता

छत्तरपुर पुल जैसे ग्रामीण इलाकों में सड़क दुर्घटनाएं आम होती जा रही हैं।

मुख्य कारण:

  1. सड़क की खराब स्थिति:
    ग्रामीण सड़कों का रखरखाव समय पर नहीं होने से दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।
  2. प्रकाश व्यवस्था की कमी:
    पुल और आसपास की सड़कों पर पर्याप्त स्ट्रीट लाइट्स न होने से रात में वाहन चलाना खतरनाक हो जाता है।
  3. यातायात नियमों की अनदेखी:
    हेलमेट न पहनना और तेज रफ्तार से बाइक चलाना प्रमुख कारण हैं।

आंकड़े:

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है।


स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी और सुधार के उपाय

इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन की जिम्मेदारी को उजागर किया है।

आवश्यक कदम:

  1. सड़क और पुल का रखरखाव:
    छत्तरपुर पुल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की मरम्मत और नियमित निरीक्षण।
  2. प्रकाश व्यवस्था:
    पुल और आसपास के इलाकों में स्ट्रीट लाइट्स लगाना।
  3. सड़क सुरक्षा अभियान:
    स्थानीय निवासियों और चालकों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करना।
  4. सीसीटीवी निगरानी:
    दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान के लिए प्रमुख स्थानों पर कैमरे लगाना।

नागरिकों की भूमिका:

  • यातायात नियमों का पालन करना।
  • वाहन चलाते समय हेलमेट पहनना और सावधानी बरतना।

सड़क सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी

रौशन और नीलकंठ लोहारा की मृत्यु ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा की उपेक्षा कितनी घातक हो सकती है। प्रशासन और नागरिकों को मिलकर ऐसे हादसों को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।

क्या आप मानते हैं कि सड़क सुरक्षा के उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए? अपनी राय साझा करें।

न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया 

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