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Sunday, December 22, 2024
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समग्र समावेशन और सशक्तिकरण: दिव्यांगजनों को मुख्यधारा से जोड़ने की पहल

गुमला में दिव्यांगजनों के लिए सशक्तिकरण कार्यक्रम

गुमला जिला मुख्यालय में 19 दिसंबर 2024 को एक महत्वपूर्ण आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग, झारखंड सरकार के सौजन्य से आयोजित हुआ। रांची स्थित मुक्ति संस्थान के मूक बधिर, नेत्रहीन, और स्पैष्टीक आवासीय विद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम ने दिव्यांगजनों के समग्र समावेशन और सशक्तिकरण की दिशा में एक नया कदम बढ़ाया।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाना, उनके गुणों को विकसित करना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करना था। साथ ही, उन्हें आध्यात्मिकता के माध्यम से आत्मा से परमात्मा तक जोड़ने की प्रेरणा दी गई।


कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियाँ

इस कार्यक्रम में दिव्यांगजनों के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिनमें मुख्यतः शामिल थे:

  1. स्वागत गीत से शुभारंभ: कार्यक्रम का शुभारंभ दृष्टि बाधित (नेत्रहीन) छात्र-छात्राओं द्वारा गाए गए मधुर स्वागत गीत से हुआ।
  2. खेल और क्रियाकलाप: बच्चों के बीच विभिन्न खेल और मनोरंजक गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनका उद्देश्य उनकी मानसिक और शारीरिक क्षमता को विकसित करना था।
  3. आध्यात्मिक सत्र: राजयोग एजुकेशन और रिसर्च फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने दिव्यांगजनों के आत्मिक और आध्यात्मिक सशक्तिकरण के लिए प्रेरणादायक सत्र का आयोजन किया।

समावेशन के महत्व पर जोर

कार्यक्रम में आए विशेषज्ञों और अतिथियों ने समग्र समावेशन और सशक्तिकरण के महत्व पर अपने विचार रखे।

  • राष्ट्रीय समन्वयकों का संदेश: राजस्थान के शांतिवन माउंट आबू से आए राष्ट्रीय समन्वयकों ने दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण में आत्मिक बल और आध्यात्मिकता की भूमिका पर जोर दिया।
  • समाज कल्याण पदाधिकारी की भूमिका: गुमला के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने दिव्यांगजनों को मुख्यधारा में शामिल करने और उनकी क्षमताओं को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता बताई।

दिव्यांगजनों के लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद

कार्यक्रम ने यह दर्शाया कि दिव्यांगजनों के लिए समग्र समावेशन और समानता केवल सामाजिक दायित्व नहीं है, बल्कि यह एक मानवीय कर्तव्य भी है।

  • शैक्षिक विकास: दिव्यांगजनों के लिए संचालित आवासीय विद्यालय न केवल उनकी शिक्षा बल्कि उनके संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास में सहायक साबित हो रहे हैं।
  • आध्यात्मिकता का प्रभाव: आध्यात्मिक वातावरण ने बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने और उन्हें सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने में मदद की है।

आगे की राह

दिव्यांगजनों का समावेशन और सशक्तिकरण तभी सफल हो सकता है जब समाज और सरकार मिलकर काम करें। इस दिशा में कुछ जरूरी कदम हैं:

  1. सामाजिक जागरूकता: समाज को दिव्यांगजनों की जरूरतों और अधिकारों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाना।
  2. तकनीकी सहायता: दिव्यांगजनों के जीवन को सरल बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग बढ़ाना।
  3. सांस्कृतिक और खेल गतिविधियाँ: दिव्यांगजनों की प्रतिभा को निखारने के लिए खेलकूद और सांस्कृतिक आयोजनों को प्राथमिकता देना।

गुमला में आयोजित यह कार्यक्रम केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि दिव्यांगजनों के जीवन में बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। यह दिखाता है कि अगर सही दिशा और समर्थन मिले, तो दिव्यांगजन न केवल आत्मनिर्भर बन सकते हैं, बल्कि समाज की मुख्यधारा में भी योगदान दे सकते हैं।

आइए, हम सब मिलकर दिव्यांगजनों के समावेशन और सशक्तिकरण के इस प्रयास को और मजबूती दें। यही सच्चे समावेशन और समानता का प्रतीक है।

न्यूज़ – गणपत लाल चौरसिया 

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