हजारीबाग – हजारीबाग ब्रह्म समाज मंदिर में रविवार को माघ उत्सव का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें पाठ, प्रार्थना और ब्रह्मसंगीत के माध्यम से ईश्वर को स्मरण किया गया। इस विशेष उपासना के दौरान समाज में भाईचारा और सुख-शांति की कामना की गई।
माघ उत्सव का ऐतिहासिक महत्व
माघ उत्सव की शुरुआत ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय ने 1830 में की थी, जिसे ब्रह्म समाज की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। हजारीबाग ब्रह्म समाज की स्थापना 1867 में हुई थी, तब से हर वर्ष माघ महीने में इस उत्सव का आयोजन किया जाता रहा है।
पाठ और संगीत से भरा आध्यात्मिक माहौल
इस वर्ष की उपासना में श्रीमती संध्या धनपति और कोलकाता से आए सुप्रतिम चक्रवर्ती ने पाठ का दायित्व संभाला, जिसमें ब्रह्म समाज और ब्रह्म संगीत के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
उपासना के पूर्वार्ध में श्रीमती तापसी दास, श्रीमती रीता भद्र, श्रीमती रूप पाल, श्रीमती रूबी धनपति, श्रीमती मंदिरा गुप्ता और श्रीमती सुलगना ने भजन प्रस्तुत किए, जबकि डॉ. सुकल्याण मोइत्रा ने तबला पर संगत की।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में कोलकाता से आए सुप्रतिम चक्रवर्ती, श्रीमती एलोरा चक्रवर्ती और श्रीमती जयश्री डे ने अपनी मधुर प्रस्तुति से भक्तों को भाव-विभोर कर दिया।
भक्तों को वितरित किया गया खिचड़ी प्रसाद
उपासना के उपरांत श्रद्धालुओं के बीच खिचड़ी प्रसाद का वितरण किया गया, जिससे पूरे कार्यक्रम का समापन आनंदमयी माहौल में हुआ।
सफल आयोजन में समाज के लोगों की सक्रिय भागीदारी
इस आयोजन को सफल बनाने में हजारीबाग ब्रह्म समाज के सचिव निलंजन चटर्जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। शहर के बंगाली समाज सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस पावन अवसर पर शामिल हुए और इस आध्यात्मिक पर्व का लाभ उठाया।
माघ उत्सव ने श्रद्धालुओं को अध्यात्म, समरसता और आध्यात्मिक संगीत से भरपूर एक अनोखा अनुभव प्रदान किया।
News – Vijay Chaudhary