–नारायण विश्वकर्मा-
अपना दागदार दामन लेकर रांची से निकले छविरंजन की छवि की रांची से लेकर दिल्ली तक में चर्चा हो रही है. लैंड स्कैम के मामले में जिस तरह से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) छविरंजन की कुंडली खंगालने में जुटा है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि आनेवाला समय उनके लिए शुभ संकेत नहीं दे रहा है. सत्ता के गलियारे में यह चर्चा जोरों पर है कि जेल में कैद निलंबित आईएएस पूजा सिंघल के बाद दूसरे आईएएस छविरंजन की भी शामत आनेवाली है. 4 मई को ईडी के समक्ष छविरंजन को अपनी चल-अचल संपत्ति के ब्योरे के साथ हाजिर होना है. कई ब्यूरोक्रेट्स, सफेदपोश और सत्ता के संरक्षण में पोषित पावर ब्रोकर्स भी अभी ईडी के रडार पर हैं. 8 मई तक कई आरोपियों से ईडी की पूछताछ के बाद किसकी शामत आनेवाली है, ये 10 मई के बाद पता चल पाएगा.
आखिर अबतक क्यों नहीं हो पाया हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन…?
रांची में अपने दो साल के कार्यकाल में छविरंजन पर कई जमीन घोटाले में उनकी संलिप्तता उजागर हुई है, पर दो मामले में वे बुरी तरह से भ्रष्टाचार के जाल फंस गए हैं, और इससे निकलना आसान भी नहीं है. पहला मामला-राजधानी रांची के बरियातू रोड स्थित सेना की जमीन की खरीद-बिक्री और चेशायर होम रोड की जमीन की डील है. दूसरे, हेहल अंचल के बजरा मौजा की 7.16 एकड़ जमीन को दिन-दहाड़े (30 जून 2021) सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में पुलिस बल के सहारे जमीन की घेराबंदी कराने का मामला भी शामिल है. छवि रंजन ने रांची डीसी रहते जमीन से जुड़े मामलों में जो आदेश पारित किए हैं, उसमें अबतक की जांच-पड़ताल में वे प्रथम दृष्टया दोषी माने जा रहे हैं. बजरा मौजा के खाता सं-140 की 7.16 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक रखनेवाले अश्विनी साहू ने जो खुलासा किया है, उससे पता चलता है कि छविरंजन के अलावा पावर ब्रोकरों और सत्ता पर काबिज कुछ रसूखदारों के जबर्दस्त प्रभाव के कारण हाईकोर्ट के आदेश का अबतक अनुपालन नहीं हो सका है.
हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं CO-LRDC
अपनी जमीन वापस पाने के लिए साहु परिवार अदालत से लेकर प्रशासनिक स्तर पर पिछले दो साल से जद्दोजहद कर रहा है. झारखंड हाईकोर्ट से सिंगल और डबल बेंच में जीत जाने के बावजूद हेहल सीओ और रांची के एलआरडीसी अभी तक चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? इसके जवाब में श्री साहु ने बताया कि एक तरफ एलआरडीसी हाईकोर्ट का आदेश नहीं मान रहे हैं, तो दूसरी ओर वे डीसी के आदेश को निरस्त भी नहीं कर रहे हैं. चूंकि डीसी ने पूर्व में विनोद सिंह के नाम पर जमाबंदी खोलने का आदेश दिया था, जिसे अब हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. इस तरह दोनों अधिकारी हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं. अश्विनी साहू ने बताया कि अदालत का काम आदेश देना है, पर काम तो प्रशासनिक स्तर पर ही होना है. दरअसल, हमारे परिवार को जमीन से बेदखल करने का आज भी कुत्सित प्रयास जारी है. क्योंकि इस मामले में छविरंजन अकेले नहीं हैं. जेल में बंद पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश (पीपी) ने तो हमारे परिवार को केस उठा लेने की धमकी तक दी थी.
छविरंजन ने पीपी से साहु बंधुओं को मैनेज करने का दिया था निर्देश
श्री साहु ने खुलासा करते हुए कहा कि छविरंजन ने पीपी जैसे पावर ब्रोकर को मैनेज करने के लिए बोला था. प्रेम प्रकाश ने अपने आवास (दलान) बुलाकर हम भाइयों को धमकाते हुए कहा कि आपलोग जमीन वापस नहीं ले पाइयेगा, इसलिए केस वापस ले लीजिए. इंकार करने पर प्रेम प्रकाश ने तेवर दिखाते हुए कहा कि तुमलोग जानते नहीं हो, छविरंजन सीधे अभिषेक पिंटू से गाइडेड होता है. तुमलोग डीसी का कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे. इसके बाद भी साहु बंधु केस नहीं उठाने की बात कहकर उसके आवास से निकल गये. इससे पूर्व दक्षिणी छोटानागपुर के कमिश्नर रहे नितिन मदन कुलकर्णी की जांच को रुकवाने के लिए राज्यसभा सदस्य आदित्य साहु को बुलाकर छविरंजन ने साहु परिवार को केस उठा लेने का आग्रह किया था. आदित्य साहु ने कहा था कि ये सरकार सदा के लिए नहीं रहेगी. गलत ढंग से किसी की जमीन पर कब्जा दिलवाना सही नहीं होगा. इस पर डीसी ने कहा कि उनलोगों को (साहु परिवार) कहिए फिर से आवेदन करें, हम उचित निर्णय लेंगे.
कमिश्नर की जांच-रिपोर्ट के बाद फंसे थे छविरंजन
बता दें कि रांची डीसी रहते हुए हेहल अंचल के बजरा मौजा के खाता नंबर 140 की भूमि पर दिन-दहाड़े 7.16 एकड़ जमीन की घेराबंदी के लिए 150 पुलिस बल लगाकर अपने दोस्त के नाम जमीन कर दी थी. प्रतिक्रियास्वरूप साहु परिवार और उनके समर्थकों ने डीसी के खिलाफ अरगोड़ा चौक पर धरना-प्रदर्शन कर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, झारखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को स्मार पत्र भेजकर डीसी के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया था. इसके कुछ दिनों बाद झारखंड सरकार की ओर से दक्षिणी छोटानागपुर के तत्कालीन आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी जांच कार्य सौंपा गया. आयुक्त ने एक माह के अंदर डीसी के खिलाफ जांच कर 2021 के अगस्त माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. आयुक्त की जांच रिपोर्ट से मची खलबली से सरकारी महकमे भी सकते में था. आयुक्त ने अगले आदेश तक एलआरडीसी को विनोद सिंह के नाम पर जमीन की जमाबंदी करने पर रोक लगा रखी है. उधर, हाईकोर्ट के सिंगल और बाद में डबल बेंच ने भी साहु परिवार के नाम पर जमाबंदी करने का आदेश निर्गत किया है.
साल भर बाद भी आयुक्त की जांच-रिपोर्ट पर सरकार ने कार्रवाई नहीं की
बता दें कि खाता 140 की करीब 7 एकड़ 16 डिसमिल भूमि की रजिस्ट्री रवि भाटिया और श्याम सिंह के नाम पर चार अलग-अलग डीड के माध्यम से हुई है. इस भूमि की लगान रसीद रवि भाटिया और श्याम सिंह की रजिस्ट्री से एक दिन पूर्व ही निर्गत हुआ था. वर्ष 1938 से लेकर वर्ष 2021 तक का लगान निर्धारण किये बिना लगान रसीद जारी की गई थी. जिसके बाद प्रमंडलीय आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी ने इस जमीन की जमाबंदी के मामले में रांची डीसी छवि रंजन के आदेश को नियम विरुद्ध बताया था. यहां दिलचस्प बात ये है कि साल भर बाद भी सरकारी स्तर पर आयुक्त की जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद साहु परिवार के साथ इंसाफ हो पाया है.
नोट: खाता-140 के खाते की पड़ताल अभी जारी है…!