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Friday, November 22, 2024
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कृषि मंत्री समेत विभागीय अधिकारियों ने CIFT कोच्चि-केरल का भ्रमण किया. बादल ने कहा-मत्स्य के क्षेत्र में उन्नत तकनीकी का होगा उपयोग

रांची : कृषि मंत्री बादल के नेतृत्व में केरल भ्रमण पर गई टीम लगातार झारखंड में कृषि की नई तकनीक को लागू करने के लिए अलग-अलग कृषि संस्थानों का भ्रमण कर रही है। इसी क्रम में मंत्री कृषि पशुपालन एवं सहकारिता श्री बादल ने सचिव अबू बकर सिद्दीकी एवं विभागीय पदाधिकारियों के साथ टीम ने केंद्रीय मत्स्यकी प्रौद्योगिकी संस्थान (CIFT) कोच्चि-केरल का दौरा किया, जहां कृषि, मत्स्य से जुड़ी तकनीकी एवं शैक्षणिक व्यवस्थाओं को लेकर टीम ने जानकारी हासिल की। मंत्री का स्वागत संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ शंकर टीवी ने किया.

केरल की उत्कृष्ट कृषि नीति व तकनीक को झारखंड में लागू करने का प्रयास होगा

कृषि मंत्री ने कहा कि केरल राज्य में कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य के क्षेत्र में कई स्तर पर कार्य किए हैं, जिसमें तकनीकी समावेश एक महत्वपूर्ण अंग है। हमारा प्रयास है कि केरल राज्य की उत्कृष्ट कृषि नीति एवं तकनीक को झारखंड में लागू की जाए। मंत्री द्वारा संस्थान के निदेशक को झारखंड के मात्स्यकी संसाधनों एवं उसके अनुसार राज्य की जरूरतों के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की गई। वहां के वैज्ञानिकों को राज्य में अवस्थित जलाशयों, परित्यक्त खदानों से मत्स्य शिकारमही कैसे किया जाए, इससे संबंधित तकनीक उपलब्ध कराने के बारे में चर्चा हुई। चर्चा के दौरान मंत्री ने कहा कि अपनी टीम को राज्य में भेजकर जलकर का विस्तृत सर्वे एवं जानकारी एकत्र करते हुए राज्य के आवश्यकता अनुसार नाव एवं जाल का डिजाइन करें, जिससे मत्स्य शिकारमही एवं मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों को अधिक से अधिक फायदा हो सके।

वेस्ट प्रोडक्ट को फिश मिल के रूप में इस्तेमाल करने की तकनीक चर्चा

राज्य में धुर्वा (रांची) में अवस्थित हाइजेनिक फिश मार्केट हेतु हाइजेनिक कंडीशन में मछलियों के बिक्री एवं मछलियों के वेस्ट प्रोडक्ट को सही रूप में निष्पादित करने के लिए मंत्री द्वारा तकनीक उपलब्ध कराने पर भी चर्चा की गई, जिस पर संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि संस्थान द्वारा मात्र 65000 रुपये लागत में हाइजेनिक कंडीशन में मछलियों की बिक्री हेतु रेफ्रिजरेटेड बॉक्स को डेवलप किया गया है, जिसमें मछलियों को सही रूप में बिक्री किया जा सकता है, साथ ही मछलियों के स्केल (चोईटा) निकालने हेतु उपकरण की उपयोगिता पर भी चर्चा हुई एवं उन वेस्ट प्रोडक्ट को फिश मिल के रूप में भी इस्तेमाल करने की तकनीक को लेकर बात हुई।

गुमला में वर्क प्लान बनाने के लिए वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया

राज्य में संचालित झास्कोफिश को सुदृढ़ करने के विषय में मंत्री ने संस्थान के निदेशक को झास्कोफिश को सेल्फ डिपेंडेंट बनाने हेतु वर्क प्लान बनाने का अनुरोध किया गया, जिसपर निदेशक ने कहा कि बहुत जल्द एक टीम भेजकर इसका अध्ययन करा लिया जाएगा एवं उसके उपरांत इस दिशा में कार्यवाही से मंत्री जी को अवगत कराया जायेगा। अंत में राज्य सरकार द्वारा संचालित राज्य के एकमात्र मात्स्यकी महाविद्यालय, गुमला के मात्स्यकी प्रसंस्करण एवं मात्स्यकी इंजीनियरिंग में हो रहे नित नए प्रयोगों से राज्य के मात्स्यकी विज्ञान के अध्ययनरत छात्रों के ज्ञानवर्धन पर भी मंत्री की संस्थान के निदेशक से बात हुई, जिसपर संस्थान द्वारा विभिन्न प्रकार के स्टैण्डर्ड मानकों पर आधारित लैबों का भ्रमण कराया गया और विशेषज्ञता के अनुसार कॉलेज ऑफ फिशरीज साइंस गुमला को सुदृढ़ करने हेतु भी वर्क प्लान बनाने के लिए वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया।

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