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बंधु तिर्की ने पीएम से किया सवाल….इधर-उधर की बात नहीं करें…वे बताएं कि आखिर सरना धर्म कोड को सरकार क्यों नहीं लागू करना चाहती है?

पीएम को अगर झारखण्डियों की इतनी ही चिन्ता है तो, वो बताएं…झारखण्ड की बकाया राशि का भुगतान अबतक क्यों नहीं किया?

रांची : पूर्व मंत्री एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि झारखण्ड में आयोजित अपनी चुनावी सभाओं में केवल भ्रष्टाचार का नाम लेकर झारखण्ड के लोगों को डराने, भड़काने और भटकाने से भाजपा को कोई चुनावी लाभ नहीं मिलनेवाला है. इसलिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी ऐसी कोशिशों को बंद कर देना चाहिये. झारखण्ड के साथ ही देश की जनता भी उन्हें और भाजपा को सत्ता से हटाने का मन बना चुकी है. श्री तिर्की ने रविवार को एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि श्री मोदी को झारखण्ड के लोगों की यदि इतनी ही अधिक चिन्ता है और वे झारखण्ड के लोगों का हित चाहते हैं तो उन्हें झारखण्ड की केन्द्र सरकार के पास बकाया 1 लाख 36 हज़ार करोड रुपये की राशि का भुगतान अविलंब कर देना चाहिये. आम लोगों को महंगाई, बेरोजगारी और अन्य अनेक वैसी जटिल समस्याओं से जूझना पड़ रहा है जिसपर केन्द्र सरकार का तनिक भी ध्यान नहीं है.

‘डीएमएफटी फंड के मामले में भी केन्द्र सरकार निष्पक्ष नहीं’

श्री तिर्की ने कहा कि अपनी चुनावी सभाओं में जोहार और जयश्री राम करने के साथ ही प्रधानमंत्री को जय सरना कहकर भी अभिवादन करना चाहिये और उन्हें यह बताना चाहिये कि आखिर सरना धर्म कोड को सरकार क्यों नहीं लागू करना चाहती है? इसके पीछे भाजपा का आखिर वैसा कौन-सा डर है? श्री तिर्की ने कहा कि डीएमएफटी फंड के मामले में भी केन्द्र सरकार निष्पक्ष नहीं है और सही बात यह है कि उन सभी राज्यों के साथ केंद्र सरकार का सौतेला व्यवहार जगज़ाहिर है, जहां विपक्ष की सरकार है. श्री तिर्की ने कहा कि हकीकत तो ये है कि कांग्रेस सरकार ने ही आदिवासियों के हित में कई वैसे कानून बनाये, जिसमें आदिवासियों का हित सुरक्षित और संरक्षित था. साथ ही उन कानूनों के निर्माण में आदिवासियों एवं मूलवासियों की जीवन पद्धति, जल, जंगल और जमीन को पूरा-पूरा महत्व देने के साथ ही प्रकृति के साथ सामंजस्य की भावना को समझा गया. लेकिन मोदी की सरकार में वन संरक्षण कानून को कमजोर किया गया है, वहीं दूसरी ओर वनाधिकार कानून के मामले में भी उसका रवैया ढीला-ढाला है. केन्द्र सरकार के पास 20 लाख से ज्यादा आवेदन लंबित पड़े हैं.

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