झारखंड राज्य में चल रहे मतदान की प्रक्रिया के दौरान, हमें एक महत्वपूर्ण सवाल पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है – क्या हम वोटिंग को स्वतंत्रता का प्रतीक मानते हैं? वोटिंग का मतलब है हमारे संविधानिक अधिकारों का प्रयोग करके सबके सामान मानकों पर आधारित निर्णय लेना।
हमारे संविधान ने हमें वोटिंग का अधिकार प्रदान किया है, और यह एक महत्वपूर्ण लक्ष्य का हिस्सा है जिसमें हमें समाज के समूहों के साथ एकता बनाए रखना चाहिए। हमें जातिवाद और सामाजिक भेदभाव को अलग करके, स्वतंत्र रूप से वोटिंग करना चाहिए, जिससे हम एक अधिक उदार और समरस समाज की दिशा में अग्रसर हो सकें।
इसके अलावा, हमें अपने समाज में जागरूकता फैलाने का संकल्प लेना चाहिए। वोटिंग एक जिम्मेदारी है, ना कि एक कार्यकृत क्षमता। हमें अपने नेताओं के कार्यकाल की निगरानी करनी चाहिए, और अपने मतदान को उन्हीं नेताओं के आधार पर चुनना चाहिए।
स्वतंत्र वोटिंग के माध्यम से, हम नाही सिर्फ अपने अधिकारों का सम्मान करते हैं, बल्कि हम अपने देश के भविष्य का निर्माण भी करते हैं। इसलिए, हमें अपने मतदान को एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में देखना चाहिए, जो हमें एक सशक्त और संवेदनशील समाज की दिशा में अग्रसर करने में सहायक होगा।
NEWS – SANJANA KUMARI.