✦ जनजातीय भाषा आधारित शिक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य के 1041 विद्यालयों में हो रही है जनजातीय भाषा की पढ़ाई
✦ यूनिसेफ के सहयोग से राज्य के 259 स्कूलों में शुरू किया गया था मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षण कार्यक्रम, अब 1041 विद्यालयों में हो चुका है इसका विस्तार
✦ शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् में शुरू किया गया राज्यस्तरीय जनजातीय भाषा लैब और संग्रहालय
✦ बहुभाषी शिक्षा के अंतर्गत राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा 15 जनजातीय भाषाओ को किया गया है चयनित, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा कोषांग का हुआ गठन
राज्य के स्कूली बच्चो को मातृभाषा एवं जनजाति भाषाओ में शिक्षा देने के लिए झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा लगातार पहल किया जा रहा है। मातृभाषा बच्चो के द्वारा सीखी जाने वाली पहली भाषा होती है, जो परिवार, समुदाय एवं सांस्कृतिक परंपराओं से उन्हें जोड़ती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में बहुभाषावाद, स्थानीय एवं क्षेत्रीय भाषा के प्रभाव को अंकित किया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा 15 जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओ यथा संथाली, हो, मुंडारी, कुड़ुख, खड़िया, माल्टो, भूमिज, बिरहोर, असुर तथा क्षेत्रीय भाषाओ यथा उड़िया, बांग्ला, पंचपरगनिया, कुड़माली, खोरठा एवं नागपुरी को शिक्षण कार्यक्रमों के लिए चिन्हित किया गया है।
वर्तमान में बहुभाषी शिक्षण कार्यक्रम के तहत राज्य के छह जिलों में मातृभाषा एवं जनजातीय भाषा आधारित शिक्षा दी जा रही है। यूनिसेफ के सहयोग के सहयोग से राज्य के 259 स्कूलों में बहुभाषी शिक्षण कार्यक्रम MTB-MLE शुरू किया गया था। इसके अंतर्गत पांच जनजातीय भाषाओ यथा मुंडारी, कुड़ुख, हो, खड़िया एवं संताली भाषा में बच्चो को शिक्षा दी जा रही थी। इस वर्ष इसका विस्तार 1041 विद्यालयों में किया गया है। जिन छह जिलों में इस कार्यक्रम को शुरू किया गया है उनमे गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, खूंटी, पश्चिमी सिंघभूम और साहिबगंज के 24 प्रखंड शामिल है। यह कार्यक्रम इन प्रखंडों के कक्षा तीन से पांच तक के विद्यालयों में संचालित है।
शिक्षण अधिगम सामग्री का विकास
कक्षा तीन से पांच तक की गणित एवं पर्यावरण अध्ययन की द्विभाषीय पाठ्य पुस्तकों को पांच जनजातीय भाषाओ में विकसित किया गया है। MTB-MLE कार्यक्रम के तहत चयनित विद्यालयों हेतु कक्षा तीन से पांच तक की अंग्रेजी की 30,000 पाठ्यपुस्तकों में हिंदी एवं जनजातीय भाषाओ के कठिन शब्दों को शामिल किया गया है। साथ ही इन पाठ्यपुस्तकों में जनजातीय भाषा आधारित गतिविधियों को भी समाहित किया गया है। बरखा श्रृंखला की चार स्तरो की कहानी पुस्तिकाओं में पांचो जनजातीय भाषाओ को शामिल किया गया है। इनके अतिरिक्त फ़्लैश कार्ड और शिक्षक संदर्शिका का भी इन पांचो जनजातीय भाषाओ में अनुवाद किया गया है।
15 जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओ में होगा बहुभाषी शिक्षण कार्यक्रम का विस्तार
राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा चिन्हित 15 भाषाओ यथा संथाली, हो, मुंडारी, कुड़ुख, खड़िया, मालतो, भूमिज, बिरहोर, असुर तथा क्षेत्रीय भाषाओ यथा उड़िया, बांगला, पंचपरगनिया, कुड़माली, खोरठा एवं नागपुरी में बहुभाषी शिक्षण कार्यक्रम के विस्तार की योजना है। इसके तहत इस वर्ष इन 15 भाषाओ में शिक्षण अधिगम सामग्रियों के विकास, प्रशिक्षण मॉडल के निर्माण, भाषायी कौशल विकास हेतु संसाधनों के निर्माण, मूल्यांकन प्राविधि के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।
झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् में शुरू हुआ जनजातीय भाषा लैब
राज्य में बहुभाषी शिक्षण कार्यक्रम के सफल संचालन एवं शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् में राज्यस्तरीय जनजातीय भाषा लैब का गठन किया गया है। इसमें उक्त वर्णित 15 भाषाओ में शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जनजातीय भाषाओ में शिक्षा के विकास के लिए जेसीईआरटी में जनजातीय भाषा कोषांग और संग्रहालय का निर्माण भी किया गया है। जनजातीय भाषा लैब में 15 जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओ की किताबें और शिक्षण अधिगम सामग्रियों का निर्माण भी किया जाएगा।
News – NEWS DESK