रांची : झारखण्ड में पांचवीं अनुसूची को लागू करने की मांग को लेकर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन अगले 17 सितम्बर को किया जायेगा. पूर्व मंत्री और झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने गुरुवार को इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि राजधानी के मोरहाबादी स्थित अभिनंदन हॉल में आयोजित इस कार्यशाला में राज्यभर से आदिवासी अगुवा, शिक्षाविद एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होंगे. श्री तिर्की ने कहा कि झारखण्ड के अनुसूचित क्षेत्र एवं यहां सदियों से निवास करनेवाले आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में है. क्योंकि विकास परियोजनाओं की वजह से आदिवासी विस्थापित होते जा रहे हैं.
‘अबतक कानूृन लागू नहीं होना, आदिवासियों के साथ अन्याय है’
श्री तिर्की ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्र की सुरक्षा की संवैधानिक जवाबदेही राज्यपाल की है और पांचवी अनुसूची के अनुच्छेद 5 (1) के अंतर्गत आदिवासी हितों की सुरक्षा के लिए संसद या विधानमंडल द्वारा निर्गत कानून पर रोक लगाना, आदिवासी जमीन हस्तांतरण पर रोक एवं आदिवासी क्षेत्रों में शांति व्यवस्था बहाल करना राज्यपाल की जिम्मेदारी है लेकिन अबतक किसी भी राज्यपाल ने अपने संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के हितों की रक्षा हेतु संविधान के अनुच्छेद 19 (5) एवं (6) के तहत सरकार कानून बनाकर बाहरी जनसंख्या पर उचित प्रतिबन्ध लगा सकती है. इसके साथ ही जनसंख्या को आधार बनाकर यहाँ के एमपी, एमएलए सीट एवं स्थानीय निकाय को सामान्य किया गया है जो आदिवासियों के साथ अन्याय है.