फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी को जड़ से मिटाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने झारखंड के बिरनी प्रखंड के चितनखारी गाँव में नाइट ब्लड सर्वे अभियान (एनबीएस) की शुरुआत की है। इस अभियान का उद्देश्य फाइलेरिया जैसी बीमारी के प्रसार को रोकने और रोगियों की पहचान कर उचित उपचार मुहैया कराना है। इस सर्वे में रात के समय ब्लड सैंपल इकट्ठा किए जा रहे हैं ताकि फाइलेरिया के कीटाणुओं का पता लगाया जा सके, जो दिन की रोशनी में ब्लड में दिखाई नहीं देते।
फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में कदम
फाइलेरिया, जिसे आमतौर पर हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है, एक लाइलाज बीमारी है जिसका समय पर पता लगाना और रोकथाम करना जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग के इस प्रयास में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और पिरामल स्वास्थ्य जैसी संस्थाएं सहयोग कर रही हैं। इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में स्थानीय समुदाय की भागीदारी भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
नाइट ब्लड सर्वे अभियान के तहत, रात 8 बजे से 12 बजे तक स्वास्थ्य विभाग की टीम ग्रामीणों से ब्लड सैंपल एकत्र कर रही है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रभावित रोगियों की पहचान करना है ताकि उन्हें सही समय पर उपचार मिल सके।
चितनखारी गाँव में सर्वे अभियान का उद्घाटन
चितनखारी गाँव में इस सर्वे अभियान का उद्घाटन सहिया साथी प्रियंका देवी, वार्ड सदस्य लक्ष्मी नारायण चौधरी, और आंगनबाड़ी सेविका मंदोदरी देवी के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। अभियान में सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिरनी) की टीम, जिसमें लैब टेक्नीशियन नवीन कुमार शर्मा, एमपीडब्ल्यू चंदन शर्मा और नीतीश कुमार, एमटीएस इंचार्ज हरि प्रसाद हेम्ब्रम और सहिया साथी प्रियंका देवी शामिल थे, ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
ग्रामीणों को जागरूक करने और सर्वे में भाग लेने के लिए प्रेरित करने के लिए नेटवर्क सदस्य सुनील साव ने अपील की कि अधिक से अधिक लोग इस अभियान में हिस्सा लें और अपनी जांच कराएं।
फाइलेरिया के खिलाफ जागरूकता और नाइट ब्लड सर्वे की जरूरत
फाइलेरिया के कीटाणु आमतौर पर रात में ब्लड में सक्रिय होते हैं, इसलिए इस बीमारी की जांच के लिए रात में ब्लड सैंपल लेना अधिक प्रभावी होता है। यह अभियान 18 से 25 अक्टूबर तक चलेगा, जिसके दौरान बिरनी प्रखंड के सभी चयनित स्थलों पर ब्लड सैंपल एकत्र किए जाएंगे।
सिविल सर्जन डॉ. शिव प्रसाद मिश्रा ने इस अभियान की शुरुआत की जानकारी देते हुए बताया कि चयनित गाँवों में स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों की मदद से अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करने की योजना बनाई गई है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि अधिक से अधिक प्रभावित लोगों की पहचान हो सके और समय पर उन्हें उपचार मिले।
सामुदायिक सहभागिता की अहम भूमिका
नाइट ब्लड सर्वे अभियान को सफल बनाने में सहिया, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका और पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ये सभी सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक कर रहे हैं और उन्हें अपने स्वास्थ्य की जांच कराने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग और सहयोगी संगठनों का लक्ष्य है कि समय सीमा के भीतर अधिक से अधिक ब्लड सैंपल एकत्र कर शत-प्रतिशत लक्ष्य को पूरा किया जा सके। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी स्तरों पर ईमानदारी और सक्रियता से काम करने की आवश्यकता है।
फाइलेरिया नियंत्रण के लिए सख्त कदम और जागरूकता
फाइलेरिया से प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे सर्वे और जागरूकता कार्यक्रम चलाना बेहद जरूरी है। यह न सिर्फ बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद करता है, बल्कि लोगों को समय पर सही उपचार प्राप्त करने का मौका भी देता है। इस प्रकार के अभियानों के जरिए ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।
सामुदायिक सहभागिता से फाइलेरिया पर जीत
नाइट ब्लड सर्वे जैसे अभियानों के जरिए फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। बिरनी प्रखंड के चितनखारी गाँव में शुरू हुआ यह अभियान बाकी क्षेत्रों के लिए एक मिसाल है। स्वास्थ्य विभाग, सहयोगी संस्थाएं और स्थानीय समुदाय की भागीदारी से इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है। इस पहल से न केवल बीमारी का उन्मूलन होगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।
News – Naveen Sharma
Edited by – Sanjana Kumari