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Friday, October 25, 2024
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JMM ने खूंटी में स्नेहलता के बदले रामसूर्या मुंडा जैसे ‘बोरो प्लेेेयर’ देकर नीलकंठ की राह आसान कर दी…? 2019 में झापा से लड़कर मिले थे मात्र 1,385 वोट

खूंटी (रांची) : झारखंड विधानसभा में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान अब मामूली सी बात हो गई है, लेकिन सेटिंग-गेटिंग भी बहुत बड़ा फैक्टर माना जाता है. चुनाव लड़नेवाले नहीं, बल्कि लड़वानेवाले की भी अहम भूमिका होती है. खूंटी विधानसभा क्षेत्र में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. गुरुवार को आदिवासी संगठनों द्वारा जेएमएम उम्मीदवार स्नेहलता कंडुलना का भारी विरोध होने के बाद देर रात जेएमएम की सूची जारी हुई, जिसमें स्नेहलता का टिकट काट कर आनन-फानन में राम सूर्या मुंडा को टिकट थमा दिया गया और यहां से सबसे प्रबल दावेदार कड़िया मुंडा के बेटे अमरनाथ मुंडा के नाम पर विचार नहीं किया गया.

 नीलकंठ पर भारी पड़ते अमरनाथ…!

बता दें कि गुरुवार को Jharkhandweekly ने आदिवासी संगठनों के विरोध को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. सूत्र बताते हैं कि जेएमएम के कुछ वरिष्ठ नेताओं और खूंटी जिलाध्यक्ष जुबैर अहमद की मिलीभगत से अब भाजपा प्रत्याशी नीलकंठ सिंह मुंडा की जीत की राह आसान हो गई है. खूंटी की राजनीति को करीब से जानने-समझने वाले जानकार भी ऐसा ही मानते हैं. उनका कहना है कि भाजपा प्रत्याशी की जीत में बाधक बने जेएमएम के संभावित उम्मीदवार अमरनाथ मुंडा हर हाल में नीलकंठ पर भारी पड़ रहे थे. उन्हें रास्ते से हटाने के लिए डमी उम्मीदवार के रूप में राम सूर्या मुंडा को उनके मुकाबले खड़ा कर दिया गया. राम सूर्या का नाम देखकर लोग चकित रह गए. लोगों को सहसा यकीन नहीं हुआ, क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनाव राम सूर्या की जमानत जब्त हो गई थी. लोगों का सवाल था कि फिर किस आधार पर उनका चयन किया गया?

जुबैर अहमद के बगल में रामसूर्या मुंडा

जेएमएम के चयन पर लोग चकित

बताया गया कि राम सूर्या मुंडा मूलत: खिजरी विधानसभा क्षेत्र के रहनेवाले हैं. 2019 में राम सूर्या मुंडा झारखंड पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उन्हें मात्र 1,385 वोट हासिल हुए थे. फिर किस आधार पर जेएमएम ने उनपर विश्वास जताया, ये समझ से परे है. 2019 में जेएमएम के प्रत्याशी सुशील पाहन को 32,871 और जेवीएम (प्र) की दयामनी बारला को 20,726 मत प्राप्त हुए थे.

जुबैर अहमद के खिलाफ आदिवासी समुदाय में आक्रोश

इस पूरे प्रकरण में जुबैर अहमद को खलनायक माना जा रहा है. राम सूर्य मुंडा की उम्मीदवारी को लेकर लोगों का आरोप है कि नीलकंठ की राह आसान करने के मकसद से जुबैर ने जेएमएम से सेटिंग कर अमरनाथ मुंडा का टिकट कटवाया और राम सूर्य मुंडा जैसे कमजोर उम्मीदवार को नीलकंठ के मुकाबले खड़ा करवा दिया. राम सूर्या मुंडा को बोरो प्लेयर बताया जा रहा है. लोगों का कहना है कि जेएमएम के दरबार में जुबैर की सुनी गई, लेकिन जमीनी हकीकत पर गौर नहीं किया गया और खूंटी में भाजपा के खिलाफ की गई हेमंत सोरेन की मोर्चेबंदी की हवा निकाल दी गई. इस तरह जेएमएम ने नीलकंठ को खूंटी सीट उपहारस्वरूप भेंट कर दी. कहा जा रहा है कि जुबैर के खिलाफ आदिवासी समुदाय में आक्रोश है.

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