लोकसभा चुनाव के दौरान निशिकांत दुबे ने 2 अफसरों पर कुछ आरोप लगाये थे…तब चुनाव आयोग ने कार्रवाई की थी…इससे चुनाव आयोग की मंशा का पता चलता है.
रांची : अमूमन नियम के मुताबिक प्रत्याशी अधिकारियों की शिकायत कर सकते हैं लेकिन इस चुनाव में गोड्डा के भाजपा के सांसद निशिकांत प्रत्याशी नहीं हैं। फिर भी दो अधिकारियों का तबादला कर दिया गया। इससे एक बात तो साफ है कि आदिवासी और दलित अफसर भाजपा के टारगेट पर हैं।
जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को पीसी कर कहा कि सुप्रियो ने कहा कि 29 अक्टूबर को अचानक से फरमान आया कि देवघर एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग का तबादला किया जाये। इससे पहले रांची उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री का भी तबादले का फरमान आया। ये सब क्यों हो रहा है, किस परिस्थिति में हो रहा है, इसे समझना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान सांसद निशिकांत दुबे ने इन 2 अफसरों पर कुछ आरोप लगाये थे। तब चुनाव आयोग ने कार्रवाई की थी। इससे चुनाव आयोग की मंशा का पता चलता है. इस प्रेसवार्ता में सुप्रियो के साथ राजद, कांग्रेस और माले के नेता भी मौजूद थे।
‘विडंबना देखिए…! अपने राज्य छोड़कर एक सीएम और एक केंद्रीय मंत्री झारखंड में दिवाली मनाते हैं’
सुप्रियो ने तंज करते हुए कहा कि विडंबना देखिए एक दूसरे राज्य के सीएम और एक केंद्रीय मंत्री झारखंड में ही दिवाली मनाते हैं। इससे बीजेपी के दिवालियापन का पता चलता है। कहा कि भारत चुनाव आयोग के अधिकारी जब यहां आये थे तभी हमने कहा था कि 15 नवंबर तक हमारे यहां कई बड़े पर्व और त्योहार हैं। इसमें लोग अपने घर चले जाते हैं।
अभी संथाल परगना में सोहराय चल रहा है। आनेवाल समय में चित्रगुप्त पूजा, छठ महापर्व, गुरु नानक जंयती के अलावा बिरसा जंयती है। लेकिन एक साजिश के तहत इस चुनाव को त्योहारों के बीच धकेल दिया गया है। इसके पीछे पूरे प्रशासनिक तंत्र को पंगु बना देने की साजिश है।
सुप्रियो ने कहा कि राज्य के अधिकारी और कर्मचारी भी इन त्योहारों में अपने घरों में रहते हैं। वे इस मौके पर छुट्टी लेते हैं। साथ ही, चुनाव कराने में बड़ी संख्या में वाहनों की जरूरत पड़ती है। 8 नवंबर तक छठ है और पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को है। छठ में जमशेदपुर और रांची से बड़ी संख्या में लोग बिहार औऱ दूसरे प्रदेश में चले जाते हैं।
इस पर चुनाव आयोग ने गौर नहीं किया कि वाहन की कमी होगी तो वे वापस कैसे आयेंगे? चुनाव की घोषणा के समय इन सभी तकनीकी चीजों को दरकिनार कर दिया गया, ताकि इसका फायदा बीजेपी को मिल सके।
हेमंत सोरेन के गलत नामांकन को लेकर भाजपा की आपत्ति पर सफाई दी
हेमंत सोरेन के गलत नामांकन को लेकर भाजपा की आपत्ति पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी के एक बड़े नेता ने ये कह दिया कि हेमंत सोरेन ने गलत नामांकन फार्म भर दिया है। हेमंत ने, अपना निर्वाचन क्षेत्र जो 3 नंबर बरहेट है, उसकी जगह पर 64 हटिया लिख दिया।
कहा कि 64 हटिया के मतदाता हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन हैं। ये हम सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि एक सीएम ट्वीट करते हैं कि हेमंत सोरेन ने अपनी आयु की भी गलत जानकारी दी है। कहा कि ऐसे बीजेपी नेता को पता ही नहीं है कि आयु की गिनती जन्म प्रमाण पत्र और मैट्रिक के प्रमाण पत्र से होती है।
इस आधार पर हेमंत सोरेन के नामांकन को सही करार दिया गया है। लेकिन उनको इस बात की भी जानकारी नहीं है। इस पर बेवजह हंगामा करने की कोशिश हो रही है. अगर गलत है तो कोर्ट जाएं उन्हें किसने रोका है?