लखनऊ, उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश के संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एसजीपीजीआई), लखनऊ ने टेलीमेडिसिन और तकनीकी सहयोग के माध्यम से पूरे राज्य में अत्याधुनिक स्मार्ट-आईसीयू नेटवर्क स्थापित किया है। यह परियोजना पॉवरग्रिड कॉर्पोरेशन और क्लाउडफिजिशियन के सहयोग से क्रियान्वित की गई है, जिसका उद्देश्य प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में भी उन्नत क्रिटिकल केयर सेवाएं पहुंचाना है।
उत्तर प्रदेश, जहां 24 करोड़ से अधिक की आबादी है, में इस पहल का सीधा असर उन इलाकों में पड़ा है जहां आईसीयू विशेषज्ञों की कमी थी। स्मार्ट-आईसीयू नेटवर्क की बदौलत राज्य के विभिन्न जिलों के मरीज अब उच्च गुणवत्ता वाली क्रिटिकल केयर सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं।
हब एंड स्पोक मॉडल: अत्याधुनिक टेली-आईसीयू का नया स्वरूप
इस स्मार्ट-आईसीयू नेटवर्क का आधार हब और स्पोक मॉडल पर रखा गया है, जिसमें एसजीपीजीआई को केंद्रीय हब बनाया गया है। लखनऊ के इस हब में रडार एआई सॉफ्टवेयर और क्रिटिकल केयर डॉक्टर्स व नर्सेस की एक विशेषज्ञ टीम मरीजों की स्थिति की निरंतर निगरानी करती है। हब से जुड़े सात स्पोक मेडिकल कॉलेज आईसीयू इस नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिनमें लगभग 100 बेड शामिल हैं।
इन सुविधाओं के तहत मरीजों की वास्तविक समय में देखभाल और उनकी स्थिति का आंकलन एसजीपीजीआई में बैठे विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। वे स्पोक आईसीयू में मौजूद डॉक्टरों और नर्सों को उचित परामर्श और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जिससे जिला स्तर पर मरीजों को तुरंत लाभ पहुंचता है।
विशेषज्ञों द्वारा संचालित सफल उपचार का अनूठा उदाहरण
गोरखपुर में एक 26 वर्षीय महिला, जिसे सामान्य प्रसव के बाद पोस्टपार्टम एक्लेम्पसिया (एक गंभीर प्रसवोत्तर जटिलता) का सामना करना पड़ा था, को स्मार्ट-आईसीयू नेटवर्क के माध्यम से जीवनरक्षक उपचार प्राप्त हुआ। सांस लेने में कठिनाई और निमोनिया की संभावना के चलते महिला की स्थिति गंभीर हो गई थी।
एसजीपीजीआई हब के डॉक्टरों ने तत्काल चेस्ट एक्स-रे करवाने का सुझाव दिया जिससे पता चला कि उसके फेफड़े में न्यूमोथोरैक्स (फेफड़े का संकुचन) हो गया है। इस निदान के बाद, विशेषज्ञों ने तुरंत दवाओं और उपचार में आवश्यक बदलाव सुझाए, जिससे महिला की हालत में तेजी से सुधार हुआ और वह पांच दिनों में पूरी तरह ठीक हो गई। इस मामले ने दिखाया कि कैसे टेली-आईसीयू तकनीक ने सक्रिय देखभाल और उचित समय पर सहायता प्रदान कर जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एसजीपीजीआई का स्मार्ट-आईसीयू नेटवर्क: स्वास्थ्य सेवाओं में एक क्रांतिकारी कदम
स्मार्ट-आईसीयू नेटवर्क की स्थापना से न केवल मरीजों की देखभाल में सुधार हुआ है, बल्कि राज्य के चिकित्सा कॉलेजों में क्रिटिकल केयर को भी नया आयाम मिला है। एसजीपीजीआई के विशेषज्ञ नर्स और डॉक्टर, टेली-आईसीयू के माध्यम से जुड़कर रियल-टाइम में मरीजों की स्थिति पर नजर रखते हैं और स्थानीय टीमों को आवश्यक सहायता प्रदान करते हैं।
अब तक, इस नेटवर्क के माध्यम से 1,500 से अधिक गंभीर मरीजों का इलाज किया जा चुका है और हर दिन कई मरीजों की जान बचाई जा रही है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में यह एक प्रभावी पहल साबित हो रही है।
राज्यभर में स्मार्ट-आईसीयू के प्रभाव और चिकित्सा प्रबंधन में सुधार
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थापित यह स्मार्ट-आईसीयू नेटवर्क मरीजों की बेहतर देखभाल को साकार कर रहा है। इस नेटवर्क ने न केवल मरीजों के इलाज को आसान बनाया है, बल्कि स्थानीय डॉक्टरों और नर्सों को भी विशेषज्ञों की देखरेख में प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर दिया है। इस नेटवर्क की सफलता का श्रेय एसजीपीजीआई और उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को जाता है, जिन्होंने इस परियोजना को सफलतापूर्वक लागू किया।
इसके अलावा, इस नेटवर्क के संचालन में जुड़े सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल और नोडल अधिकारियों की मेहनत सराहनीय है। उन्होंने टेली-आईसीयू यूनिट्स को सक्रिय करने और उसे सुचारू रूप से चलाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है।
जीवन रक्षा में सक्षम एसजीपीजीआई का स्मार्ट-आईसीयू नेटवर्क
एसजीपीजीआई द्वारा विकसित किया गया यह स्मार्ट-आईसीयू नेटवर्क उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को उच्च स्तर पर ले जाने में सफल हो रहा है। इस क्रांतिकारी पहल से न केवल कई मरीजों की जान बचाई जा रही है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में आईसीयू सेवाओं की एक नई मिसाल कायम हो रही है।
इस अभिनव प्रयास का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के हर नागरिक तक उच्च गुणवत्ता वाली क्रिटिकल केयर सेवाओं को पहुंचाना है। इस नेटवर्क के माध्यम से एसजीपीजीआई ने यह साबित किया है कि अत्याधुनिक तकनीक और कुशल चिकित्सकों का समन्वय, स्वास्थ्य क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम है।