बदली हुई परिस्थितियों में बाबूलाल मरांडी का मुकाबला दो पुराने प्रतिद्वंदी राजकुमार यादव, निजामुद्दीन अंसारी और निर्दलीय निरंजन राय के बीच…चतुष्कोणीय मुकाबले में घिरे हैं मरांडी
गिरिडीह (कमलनयन) : झारखण्ड की हाईप्रोफाइल विधानसभा सीटों में से धनवार सीट पर राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी एक बार फिर चुनावी समर में कूद गए हैं। दूसरे चरण में 20 नवम्बर होनेवाले चुनाव में धनवार सीट पर दलीय निर्दलीय समेत 16 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इनमें प्रमुख चुनावी मुकाबला बाबूलाल मरांड़ी भाजपा, राजकुमार यादव भाकपा-माले, निजामुद्दीन अंसारी झामुमो और निर्दलीय निरंजन राय सहित कई अन्य के बीच होने के आसार हैं। इस बार श्री मरांडी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
2019 की तुलना में इस बार पूरी तरह से बदला राजनीतिक माहौल
2019 के विधानसभा चुनाव में धनवार से बाबूलाल मरांडी (जेवीएम) ने 52,352 वोट के साथ जीत हासिल की थी, भाजपा के लक्ष्मण प्रसाद सिंह को 34,802 वोट मिले थे। साल 2014 में जीत दर्ज करनेवाले भाकपा माले नेता राजकुमार यादव तीसरे स्थान पर रहे थे। चुनाव में श्री यादव को 32,245 वोट मिले थे। इसी तरह चौथे स्थान पर निर्दलीय अनूप कुमार संथालिया को 22,624 वोट मिले थे।
झामुमो के टिकट पर लड़े निजामुद्दीन अंसारी एआईएमआईएम के प्रत्याशी मोहम्मद दानिश से भी नीचे रहे थे। एआईएमआईएम के प्रत्याशी मोहम्मद दानिश 15,416 वोट लाकर पांचवें स्थान पर और जेएमएम के निजामुद्दीन अंसारी को 14,432 वोट मिले थे।
इससे पहले 2014 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के राजकुमार यादव, 2009 में झारखंड विकास मोर्चा से निजामुद्दीन अंसारी, चुनाव जीते थे। जबकि 2000 और 2005 में भाजपा कार्यकारी प्रदेश प्रमुख डा. रवींद्र कुमार राय ने इस सीट से जीत दर्ज की थी।
बदली हुई परिस्थितियों में भाजपा के प्रदेश प्रमुख श्री मरांडी का मुकाबला दो पुराने प्रतिद्वंदी राजकुमार यादव भाकपा-माले, निजामुद्दीन अंसारी जेएमएम और निर्दलीय निरंजन राय के बीच लगभग तय माना जा रहा है।
भूमिहार बिरादरी में है आक्रोश…!
दरअसल, धनवार विस सीट पर आजादी के बाद से ही कांग्रेस एवं भाजपा के टिकट पर भूमिहार समाज के स्व. पुनीत राय, एच एन प्रभाकर, तिलकधारी सिंह और डा. रवीन्द्र राय सरीखे नेता जीतते रहे हैं. भूमिहार समाज के लोगों का कहना है कि यह उनकी परम्परागत सीट रही है। इस सीट पर भाजपा के किसी स्वजातीय नेता को टिकट नहीं दिये जाने से समाज के लोगों में गुस्सा है।
पार्टी की ओर से श्री राय को मनाने के लिये गोड्डा से भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने प्रयास किया लेकिन वे असफल रहे। बाद में हालांकि भाजपा ने डा. रवीन्द्र राय को कार्यकारी प्रदेश प्रमुख बनाकर उनके गुस्से को कम करने की कोशिशि जरूर की है, जिसका लाभ श्री मरांडी को मिल सकता है।
क्या निरंजन बने हैं चुनौती…?
ऐसे भी अबतक के हुए चुनावों में भाकपा माले और जेएमएम को इस समाज का खुलकर समर्थन नहीं मिला है। इसके बावजूद राजनीतिक अस्तित्व के लिए समाज के एक वर्ग का झुकाव निर्दलीय निरंजन राय के प्रति स्पष्ट दिख रहा है, लेकिन ये वोटों में कितना तब्दील होगा, यह अभी कहना मुश्किल है. वैसे इस समाज के वोटर न सिर्फ जागरूक हैं बल्कि, भविष्य को ध्यान में रखकर वोट करते रहे हैं।
धनवार विस क्षेत्र को मुख्यतः तीन भागों में बांट कर देखा जा सकता है. इनमें गावां, तिसरी, धनवार ग्रामीण और नगर बाजार शामिल हैं. अबतक के रुझानों के अनुसार हाल के कई चुनाव नतींजों के मुताबिक अपने गृह प्रखण्ड तिसरी में श्री मरांडी, गृह प्रखण्ड गांवा में राजकुमार यादव और धनवार ग्रामीण में निजामुद्दीन अंसारी व नगर बाजार में भाजपा को बढ़त मिलती रही है।
धनवार विस सीट पर कुल 3 लाख 62 हजार से अधिक मतदाता हैं इनमें एक लाख 87 हजार से अधिक पुरुष और एक लाख 74 हजार से अधिक महिला वोटर हैं।
वैश्य वोटरों का हार-जीत में अहम रोल
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक 40 से 50 हजार मुस्लिम, 30 से 40 हजार अगड़ी जाति व भूमिहार समाज और 30 से 35 हजार यादव समाज के वोटर हैं, जो वैश्य वोटरों की तर्ज पर लगभग विस चुनावों में हार-जीत में अहम रोल निभाते रहे हैं.
बहरहाल, इंडिया ब्लॉक के दोस्ताना संघर्ष के बीच धनवार विस सीट पर सभी दलीय-निर्दलीय प्रत्याशियों के धुंआधार चुनाव प्रचार, चुनावी सभाएं और जनसम्पर्क अभियान से यहां चतुष्कोणीय मुकाबले की स्थिति बन चुकी है.
यहां की चुनावी फिजांओं में बदलाव की हवा में गोते लगाते वोटरों में ऊहापोह की स्थिति है. उनके सामने एक अनार कई बीमार वाली स्थिति साफ दिख रही है. वही दूसरी ओर पूरे विस क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी श्री मरांडी को लोग भावी सीएम के रूप में निहार रहे हैं.
वैसे तीन चुनावों से मात खा रही भाजपा के लिए यहां की सीट फंसी हुई है. यहां की सीट फतह करना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. क्योंकि बाबूलाल मरांडी बतौर भाजपा के सीएम उम्मीदवार के रूप में यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इसलिए उनकी प्रतिष्ठा जरूर दावं पर लगी हुई है. कुछ जानकार बताते हैं कि शायद ही किसी ने सोचा होगा कि बाबूलाल चतुष्कोणीय कोण में यहां फसेंगे.
चुनावी मुद्दों की बात की जाय तो, पक्ष-विपक्ष के महिला सम्मान, युवा सम्मान व कई गांरटी के बीच वायदों के नीचे अबरख (ढिबरा) की समस्या और बाल मजदूर जैसे जरूरी मुद्दे गौण हैं। इसपर कोई बात नहीं कर रहा हैै. अब देखना है कि हॉट सीट बनी धनवार में किसकी जीत होगी…?